विश्व योग दिवस 2020: योग साधक कभी संकट में धैर्य नहीं खोता- PM मोदी

पीएम मोदी ने कहा- आप प्राणायाम को अपने प्रतिदिन के अभ्यास में जरूर शामिल करिए और अनुलोम-विलोम के साथ साथ दूसरी प्राणायाम techniques को भी सीखिए।

Update: 2020-06-21 02:44 GMT

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जनता को सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने कोरोना काल में योग की जरूरत के बारे में जानकारी दी। पीएम ने कहा कि योग का साधक कभी संकट में धैर्य नहीं खोता है। योग का अर्थ ही है- समत्वम् योग उच्यते. अर्थात, अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है। गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है- ‘योगः कर्मसु कौशलम्’अर्थात्, कर्म की कुशलता ही योग है।

पीएम मोदी का योग दिवस पर संबोधन:

अपने सम्बोधन में पीएम मोदी ने कहा- आप प्राणायाम को अपने प्रतिदिन के अभ्यास में जरूर शामिल करिए, और अनुलोम-विलोम के साथ साथ दूसरी प्राणायाम techniques को भी सीखिए और उनको सिद्ध कीजिये।

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स्वामी विवेकानंद कहते थे- “एक आदर्श व्यक्ति वो है जो नितांत निर्जन में भी क्रियाशील रहता है और अत्यधिक गतिशीलता में भी सम्पूर्ण शांति का अनुभव करता है”। किसी भी व्यक्ति के लिए ये एक बहुत बड़ी क्षमता होती है।

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योग का साधक कभी संकट में धैर्य नहीं खोता है।

योग का अर्थ ही है- ‘समत्वम् योग उच्यते’। अर्थात, अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है। जब हम योग के माध्यम से समस्याओं के समाधान और दुनिया के कल्याण की बात कर रहे हैं, तो मैं योगेश्वर कृष्ण के कर्मयोग का भी आपको पुनः स्मरण करना चाहता हूं।

गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है- ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ अर्थात्, कर्म की कुशलता ही योग है।

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