बैंकों की बल्ले-बल्ले: सरकार देगी नवरत्न और महारत्न का दर्जा, कर्मचारियों को तोहफा

सरकार, सरकारी कंपनियों की तर्ज पर सरकारी बैंकों को भी रत्न का दर्जा मिल सकता है। जिससे बैंकों को कामकाज की आज़ादी मिल सकती है। सरकार द्वारा बैंकों को महारत्न, नवरत्न, मिनी रत्न का दर्जा देने का प्रस्ताव है।

Update:2020-08-12 12:53 IST
बैंकों की बल्ले-बल्ले: सरकार देगी नवरत्न और महारत्न का दर्जा, कर्मचारियों को तोहफा

नई दिल्ली: 15 अगस्त का दिन भारत की स्वतंत्रता का दिवस है। सरकार इस बार बैंकों पर बड़ा फैसला ले सकती है। सरकार, सरकारी कंपनियों की तर्ज पर सरकारी बैंकों को भी रत्न का दर्जा मिल सकता है। जिससे बैंकों को कामकाज की आज़ादी मिल सकती है। सरकार द्वारा बैंकों को महारत्न, नवरत्न, मिनी रत्न का दर्जा देने का प्रस्ताव है। एक जानकारी के मुताबिक बैंक समेत दूसरे वित्तीय संस्थाओं को कामकाज में आजादी देने के लिए सरकार ऐसे ही खास कदम उठाने की तैयारी कर रही है।

कर्मचारियों को क्या फायदा होगा

अबकी स्वतंत्रता दिवस पर सरकारी कंपनियों की तरह बैंकों को भी कामकाज की आजादी मिलेगी। निवेश समेत दूसरे बड़े कॉमर्शियल प्रस्तावों पर खुद फैसला ले सकेंगे। बैंकों को बड़े फैसले लेने के लिए सरकार से मंजूरी की जरूरत नहीं पडे़गी। कंपनियों को टर्नओवर, प्रॉफिट के आधार पर रत्न का दर्जा मिलता है। सूत्रों के मुताबिक, बैंक के कर्मचारियों को भी इसका फायदा मिलेगा। बेहतर प्रदर्शन पर कर्मचारियों को बैंक के शेयर (ESOP) देने का प्रस्ताव भी है।

पीएसयू कंपनियों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है

1- महारत्न

2- नवरत्न

3- मिनीरत्न-

टाइटल देकर सरकार इन कंपनियों को सपोर्ट करती है

नवरत्न टाइटल 1997 में 9 पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज को भारत सरकार की ओर से दिया गया था, क्योंकि वह पब्लिक सेक्टर की ऐसी कंपनियां थीं, जिनकी परफॉर्मेंस अन्य कंपनियों से खास थी। इस तरह का टाइटल देकर सरकार इन कंपनियों को सपोर्ट करना चाहती थी, ताकि भविष्य में वे एक ग्लोबल दिग्गज के रूप में उभर कर सामने आ सकें।

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मिनीरत्न कैटेगरी-1

इस स्टेटस को पाने के लिए किसी भी पब्लिक सेक्टर कंपनी को लगातार तीन सालों तक मुनाफा दिखाना होता है, या फिर पिछले तीन सालों में से किसी एक साल 30 करोड़ रुपये या उससे अधिक का फायदा दिखाना होता है।

मिनीरत्न कैटेगरी-2

इसके लिए किसी भी पब्लिक सेक्टर कंपनी को पिछले तीन सालों से लगातार मुनाफा दिखाना होता है और एक पॉजिटिव नेट वर्थ होनी चाहिए। नवरत्न- नवरत्न का स्टेटस पाने के लिए 100 में से 60 का स्कोर प्राप्त करना होता है, जिसे 6 पैमानों पर मापा जाता है। यह 6 पैमाने नेट प्रॉफिट, नेट वर्थ, कुल मैनपावर कॉस्ट, कुल उत्पादन लागत, सेवाओं की लागत, PBDIT (Profit Before Depreciation, Interest and Taxes) और बिजनेस में लगाई गई कैपिटल हैं।

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महारत्न कैटेगरी- 3

तीन साल तक 5000 करोड़ से अधिक का शुद्ध लाभ 2- तीन सालों की औसत नेट वर्थ 15000 करोड़ रुपये। 3- तीन सालों का औसत टर्नओवर 25000 करोड़ रुपये है।

महारत्न बनने के बाद मिलता है ये फायदा

महारत्न कंपनियां बाजार में इक्विटी के जरिए निवेश कर सकती है। इसके साथ ही वो अन्य कंपनियों के साथ वित्तीय साझेदारी के अलावा देश-विदेश में विलय या फिर अधिग्रहण कर सकती है। हालांकि इसके लिए एक प्रोजेक्ट में पांच हजार करोड़ रुपये का ही निवेश कर सकती हैं।

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फैसले लेने की स्वतंत्रता

इसके अलावा कंपनियां अपनी संपत्तियों का ट्रांसफर, ताजा निवेश और सहयोगी कंपनियों में हिस्सेदारी को कम करने जैसे फैसले भी ले सकेंगी। तकनीक अपग्रेड करने के लिए वो अन्य कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकती हैं।

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