राफेल पर गृहमंत्री अमित शाह का कांग्रेस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला

राफेल विमान डील मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी ने कहा कि राहुल गांधी देश से माफी मांगे। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राफेल डील मामले में सच की जीत हुई है।

Update: 2019-11-14 08:37 GMT

नई दिल्ली: राफेल विमान डील मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी ने कहा कि राहुल गांधी देश से माफी मांगे। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राफेल डील मामले में सच की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने प्राइसिंग, खरीदने की प्रक्रिया को जांचा और उसे सही बताया है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी को देश से माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस ने इस तरह का झूठा कैंपेन चलाया।

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फैसले ने मोदी सरकार के पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त होने पर लगा दी मुहर: गृह मंत्री

वहीं मामले पर गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जबरदस्‍त हमला करते हुए कहा कि- फैसले से साफ हो गया है कि इस मुद्दे पर संसद में सिर्फ दिखावे के लिए हंगामा किया गया था। इस मसले को लेकर बर्बाद किए गए संसद के समय को जनहित के मुद्दों पर चर्चा कर बेहतर तरीके से इस्‍तेमाल किया जा सकता था।

अमित शाह ने कहा कि ऐसे लोगों को माफी मांगनी चाहिए, जिन्होंने राष्ट्रहित से ऊपर अपनी निजी राजनीति को रखा। उन्‍होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन लोगों के लिए जोरदार जवाब है, जो आधारहीन प्रचार में जुटे थे। फैसले ने फिर नरेंद्र मोदी सरकार के पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त होने पर मुहर लगा दी है।

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रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले देश में प्रायोजित कैंपेन चलाया गया, अदालत से हारे तो लोकसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा बनाया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने तो यहां तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारे लोकप्रिय और ईमानदार नेता को चोर कहा है। रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया है कि उस समय के कांग्रेस अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राजनीतिक इस्तेमाल किया।

केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने लगातार इस मामले में झूठ बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को चोर कहा था, लेकिन खुद ओलांद ने इस बात को गलत करार दिया।

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उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अनिल अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाने का दावा किया, लेकिन दसॉल्ट ने कहा था कि इस मामले में भारत सरकार का कोई रोल नहीं है।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने झूठ बोला, हमारे ईमानदार प्रधानमंत्री के खिलाफ अभियान चलाया, भारत की विदेशों में साख को घटाने की कोशिश की। इसलिए आज राहुल गांधी को देश से माफी मांगने की जरुरत है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आज मानहानि मामले पर माफी मांगने पर आपको छोड़ा है।

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रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने इस मामले में संसद में भी झूठ बोला, राफेल के दाम के बारे में देश को गुमराह किया। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने तो माफी मांगने पर आपको छोड़ दिया, लेकिन क्या देश की जनता से आंख मिलाने के लिए माफी मांगेंगे आप?

उन्होंने कहा कि आज देश ये जानना चाहता है कि वो कौन सी ताकतें थी जो राहुल गांधी के पीछे खड़ी थी। हम इतना ही कह सकते हैं कि यह अभियान पूरी तरह संशय से घिरा हुआ है।

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इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से एनडीए सरकार का स्टैंड सही साबित हुआ है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी और उनकी सरकार की ईमानदार छवि को बिगाड़ने के लिए झूठे आरोप लगाए गए। राजनाथ ने ट्वीट कर कहा कि यह फैसला लेने की प्रक्रिया में हमारी सरकार की पारदर्शिता पर भी जजमेंट है।

राजनाथ ने लिखा कि राफेल जेट की खरीद पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से हुई और इस दौरान भारत की रक्षा जरूरतों को मजबूत करने और अपडेट करने की अति-आवश्यकता को भी ध्यान में रखा गया। राजनाथ ने कहा कि रक्षा तैयारियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों पर कभी भी राजनीति नहीं होनी चाहिए।

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बीजेपी नेता बीएल संतोष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे के बारे में समीक्षा याचिका खारिज की और राहुल गांधी को भविष्य में सावधान रहने की नसीहत दी। यह मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की बड़ी जीत है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राफेल डील पर पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इनमें कोई दम नहीं है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसफ की पीठ ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांस की फर्म दसॉ के साथ हुए समझौते में मोदी सरकार को क्लीन चिट देने का निर्णय दोहराया।

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दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के साथ ही अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इन याचिकाओं में कोर्ट से अनुरोध किया था कि वह 14 दिसंबर 2018 के फैसले पर फिर से विचार करे।

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