राज्यसभा चुनाव जबर्दस्त घमासान में, राज्य में सत्तारूढ़ दल फायदे में
पूर्वोत्तर के मणिपुर, मेघालय औक मिजोरम की एक-एक राज्यसभा सीटों पर भी चुनाव हो रहे हैं। मेघालय में कांग्रेस के कनेडी कोमेलियस के खिलाफ मेघालय डेमोक्रेटिक गठबंधन से उतरे वंसुख सीम के बीच कड़ा मुकाबला है अभी कुछ कह पाना मुश्किल है। मणिपुर में कांग्रेस फिलहाल फायदे में दिख रही है। जबकि मिजोरम में कड़ा मुकाबला है।
नई दिल्लीः राज्यसभा चुनाव को लेकर घमासान तेज हो गया है। सभी पार्टियां अपने अधिकतम प्रत्याशियों को जिताने की कोशिश में जुट गई हैं। भाजपा ने मध्यप्रदेश और गुजरात में कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ा तो मणिपुर में कांग्रेस ने दांव चल दिया है। झारखंड में हेमंत सोरेन महागठबंधन के साथ समीकरण साध रहे हैं। कुल मिलाकर सभी एक दूसरे को पटखनी देने के लिए दांव आजमाने में लगे हैं।
सोमवार को राज्य सभा की 55 सीटों के लिए चुनाव का एलान किया गया था। 37 सीटों पर निर्विरोध चुनाव हो चुका है। 18 सीटों पर 19 जून को मतदान होना है। हालांकि ये सीटें अप्रैल में खाली हो गई थीं लेकिन कोरोना संकट के चलते विलंब हुआ।
इन राज्यों में हो रहा है रास चुनाव
जानने की बात ये है कि राज्य सभा की 18 सीटों में से चार-चार सीटें आंध्र प्रदेश और गुजरात से हैं। जबकि झारखंड की दो सीटें, और मध्य प्रदेश - राजस्थान की तीन-तीन सीटें हैं। इसके अलावा मणिपुर और मेघालय की एक-एक सीट के लिए चुनाव होने हैं। वोटों की गिनती 19 जून शाम को ही होगी।
आंध्र प्रदेश की 175 सदस्यों की विधानसभा में वाईएसआर कांग्रेस के 157 विधायक हैं। इसलिए राज्य में खाली हो रही सभी चारों सीटें वाईएसआर कांग्रेस को ही मिलना तय है। यहां 4 राज्यसभा सीटों पर पांच प्रत्याशी हैं। वाईएसआर कांग्रेस की ओर से पिल्ली सुभाष चंद्रबोस, मोपीदेवी वेंकटरमणास, आल्ला अयोध्या रामीरेड्डी और परिमल नाथवानी मैदान में हैं। हालांकि टीडीपी की ओर से वर्ला रामय्या मैदान में हैं।
रिलायंस समूह के प्रेसीडेंट परिमल नाथवानी इस बार आंध्र प्रदेश कोटे से राज्यसभा जा रहे हैं। नाथवानी इससे पहले झारखंड से राज्यसभा सांसद रहे हैं। वह दो बार भाजपा और आजसू (ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन) के समर्थन से राज्यसभा गए थे लेकिन इस बार बदले समीकरणों के चलते यह संभव नहीं था इसलिए आंध्र को चुना है। चर्चा में यह भी है कि खुद रिलांयस समूह के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने जगन मोहन रेड्डी से नाथवानी की सिफारिश की है।
गुजरात में भाजपा की निकलेंगी तीन सीटें
गुजरात में चार राज्यसभा सीटों पर पांच प्रत्याशी हैं। यहां भाजपा की ओर से अभय भारद्वाज, रमीलाबेन बारा और नरहरी अमीन मैदान में हैं जबकि कांग्रेस ने शक्ति सिंह गोहिल और भरत सिंह सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है।
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भाजपा की तीन सीटें तो बिना किसी बाधा के निकल जाने की उम्मीद है जबकि कांग्रेस एक सीट जीत सकती है। राज्य में एक सीट जीतने के लिए 35 वोटों की जरूरत है। भाजपा के पास 103 विधायक हैं। हालांकि कांग्रेस के पास 65 विधायक हैं और अगर वह 2 बीटीपी, एक एनसीपी और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहती है तो उसकी दो सीट भी निकल सकती हैं। हालांकि ये होना आसान नहीं है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सांसत
मध्य प्रदेश में भी तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशी के मैदान में है। भाजपा से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी आराम से चुनाव जीत जाएंगे लेकिन कांग्रेस से दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया दोनो को जिताने की स्थिति में नहीं है।
कांग्रेस एक सीट ही जीत सकती है। राज्य में एक सीट के लिए 52 मतों की जरूरत होगी।भाजपा के पास 107 विधायक हैं, कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 है। बसपा के 2 विधायक हैं, 1 विधायक सपा से है और 4 विधायक निर्दलीय हैं जबकि 24 सीटें फिलहाल खाली हैं।
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अगर डिनर पार्टी को आधार मानें तो बुधवार को शिवराज की डिनर पार्टी में ही तस्वीर साफ हो गई थी जब बसपा, सपा और निर्दलीय उसमें दिखाई दिये जबकि कांग्रेस की बैठक में पार्टी के ही छह विधायक गैरहाजिर हो गए थे।
झारखंड, राजस्थान में भी कांटे की टक्कर
झारखंड में भी राज्यसभा की दो सीटों पर तीन प्रत्याशी हैं। जेएमएम से शिबू सोरेन, बीजेपी से दीपक प्रकाश तो कांग्रेस से शहजादा अनवर ताल ठोंक रहे हैं। यहां जेएमएम के शिबू सोरेन का जीतना तो तय है कांग्रेस भाजपा भिड़े हुए हैं।
राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटों पर भी भाजपा व कांग्रेस के दो दो उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां कांग्रेस की राह तो आसान लग रही है लेकिन भाजपा की मुश्किल है वैसे पार्टी के एक उम्मीद्वार की जीत तय है।
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पूर्वोत्तर के मणिपुर, मेघालय औक मिजोरम की एक-एक राज्यसभा सीटों पर भी चुनाव हो रहे हैं। मेघालय में कांग्रेस के कनेडी कोमेलियस के खिलाफ मेघालय डेमोक्रेटिक गठबंधन से उतरे वंसुख सीम के बीच कड़ा मुकाबला है अभी कुछ कह पाना मुश्किल है। मणिपुर में कांग्रेस फिलहाल फायदे में दिख रही है। जबकि मिजोरम में कड़ा मुकाबला है।