बुरे फंसे नेताजी: लालू से हो गया पंगा, न घर के रहे और न घाट के

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह के रहते हुए मंत्री से सदस्यता ग्रहण करना ग़लत है। लिहाज़ा, दोनों नेताओं की घर वापसी अवैध मानी जाती है।

Update:2020-10-01 15:39 IST
राजद कोटे के मंत्री सत्यानंद भोगता ने बाजाप्ते फूल माला पहनाकर दोनों नेताओं का स्वागत किया। इस दौरान राजद के कई पदाधिकारी भी मौजूद रहे। खुशी अभी परवान चढ़ रही थी कि, एक दुख भरी खबर आ गई।

चले थे सत्ता की मलाई चखने लेकिन न घर के रहे और न ही घाट के। मामला झारखंड की राजधानी रांची से जुड़ा है। मामला यूं है कि, ठीक झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले राजद प्रवक्ता डॉ मनोज कुमार भाजपा में और मनोज पांडेय एलजेपी में शामिल हो गए। पार्टी में मान सम्मान नहीं मिलने पर घर वापसी का मन बनाया। राजद की ओर से विधिवत तौर पर दोनों पूर्व नेताओं को आरजेडी में शामिल भी करा लिया गया। राजद कोटे के मंत्री सत्यानंद भोगता ने बाजाप्ते फूल माला पहनाकर दोनों नेताओं का स्वागत किया। इस दौरान राजद के कई पदाधिकारी भी मौजूद रहे। खुशी अभी परवान चढ़ रही थी कि, एक दुख भरी खबर आ गई।

न घर के रहे और न घाट के

राजद में विधिवत तौर पर शामिल होने के बाद पार्टी के प्रदेश इकाई की ओर से घर वापसी को अवैध क़रार दे दिया गया। बाजाप्ते पार्टी की प्रमुख प्रवक्ता अनीता यादव की ओर से लिखित बयान जारी किया गया।

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बुरे फंसे नेताजी (फाइल फोटो)

कहा गया कि, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह के रहते हुए मंत्री से सदस्यता ग्रहण करना ग़लत है। लिहाज़ा, दोनों नेताओं की घर वापसी अवैध मानी जाती है। हालांकि, घर वापसी की पूरी तैयारी पार्टी की ओर से की गई थी। पत्रकारों को निमंत्रण भी भेजा गया था।

मंत्री को बनाया जा रहा बलि का बकरा

बुरे फंसे नेताजी (फाइल फोटो)

राजद की ओर से जो सूचना जारी की गई उसमें राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह का हस्ताक्षर भी है। सूचना को जारी करने वाली पार्टी की प्रमुख प्रवक्ता अनीता यादव हैं। ऐसे में पार्टी का प्रदेश नेतृत्व बुरी तरह फंसता हुआ नज़र आ रहा है।

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लेकिन बलि का बकरा पार्टी कोटे के मंत्री सत्यानंद भोगता को बनाया जा रहा है। पार्टी की कार्यालय प्रभारी शतरुपा पांडेय की ओर से जो बयान जारी किया गया है उसमें मंत्री को ही निशाना बनाया गया है।

लालू प्रसाद ने किया था निकाल बाहर

बुरे फंसे नेताजी (फाइल फोटो)

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राजद में घर वापसी का सपना संजोने वाले डॉ मनोज और मनोज पांडेय समेत कुल छह लोगों को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने अनुशासनहीनता के आरोप में बाहर निकाला था। ऐसे में कहा जा रहा है कि, बिना शीर्ष नेतृत्व की अनुमति लिए दोनों नेताओं को कैसे पार्टी में शामिल कराया गया। मामला चूंकि, सीधे लालू प्रसाद से जुड़ा है लिहाज़ा, प्रदेश अध्यक्ष बैकफुट में आ गए हैं और ठीकरा मंत्री सत्यानंद भोगता पर फोड़ा जा रहा है।

बुरे फंसे नेताजी (फाइल फोटो)

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प्रदेश राजद के निर्णय से डॉ मनोज और मनोज पांडेय हैरान-परेशान हैं। कहते हैं कि, हमारी क्या ग़लती है। पार्टी ने विधिवत तौर पर आमंत्रित किया था। प्रदेश अध्यक्ष का हस्ताक्षरयुक्त पत्र भी है। हम तो कहीं के नहीं रहे। भाजपा और एलजेपी का दरवाज़ा पहले बंद हो चुका है और अब राजद ने हाथ खड़े कर दिए हैं। हमारी तो राजनीति बंद हो गई है।

पार्टी और मंत्री में टकराव की स्थिति

बुरे फंसे नेताजी (फाइल फोटो)

राजद कोटे के मंत्री सत्यानंद भोगता और पार्टी का मिजाज बिल्कुल जुदा है। मंत्री शायद ही कभी पार्टी दफ्तर जाते हों। पार्टी के कार्यक्रमों से भी मंत्री को बहुत लेना-देना नहीं होता है। पार्टी कार्यकर्ताओं की लगातार शिकायत रही है कि, सरकार में उनकी नहीं सुनी जाती है। पार्टी सत्ता में होने के बावजूद कार्यकर्ताओं को खुश नहीं कर पाती है।

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मंत्री सत्यानंद भोगता को जिस विभाग की ज़िम्मेदारी मिली है उससे वे भी खुश नज़र नहीं आते हैं। सत्यानंद भोगता को श्रम, प्रशिक्षण एवं नियोजन विभाग का ज़िम्मा मिला है। पार्टी इस मामले में मंत्री के साथ खड़ी नज़र नहीं आती है। ऐसे में मंत्री और पार्टी के बीच दूरी बढ़ती जा रही है।

रिपोर्ट- शहनवाज़ इदरीसी

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