PM-CM: क्या किसी पीएम और सीएम को हो सकती है गिरफ्तारी ? जानिए क्या कहता है नियम

PM-CM: वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद अब आंच पार्टी के सबसे बड़े लीडर पर पड़ती नजर आ रही है। खुद को कट्टर ईमानदार बताने वाले दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल पर भी शराब घोटाले की छींटे पड़तीं नजर आ रही हैं।

Update: 2023-04-20 12:01 GMT
PM and CM of India

PM-CM: शराब घोटाले को लेकर इन दिनों दिल्ली की राजनीति में घमासान मचा हुआ है। प्रचंड जनादेश के साथ दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी इस मामले में बुरी तरह घिरती नजर आ रही है। वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद अब आंच पार्टी के सबसे बड़े लीडर पर पड़ती नजर आ रही है। खुद को कट्टर ईमानदार बताने वाले दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल पर भी शराब घोटाले की छींटे पड़तीं नजर आ रही हैं।

रविवार को सीबीआई ने उनसे घोटाले को लेकर लंबी पूछताछ की थी। सुबह 11 बजे जांच एजेंसी के दफ्तर पहुंचे केजरीवाल शाम तक नहीं निकले। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी की अटकलें भी लगनी शुरू हो गई थीं, जिसे लेकर दिल्ली का सियासी पारा और हाई हो गया था। क्योंकि उनके सहयोगी को सीबीआई ने ऐसे ही अरेस्ट किया था। हालांकि, इस केस में ऐसा कुछ नहीं हुआ, रात 8 बजे दिल्ली सीएम जांच एजेंसी के दफ्तर से घर के लिए निकले।

देश में ऐसे कई मुख्यमंत्री हैं या थे, जिन्हें सता गंवाने के बाद जेल जाना पड़ा है। कुछ को तो सजा के कारण कुर्सी भी गंवानी पड़ी है। पंजाब के पूर्व सीएम भगवंत मान भी फिलहाल जांच एजेंसियों का सामना कर रहे हैं। प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के पद पर बैठे किसी शख्स को पुलिस या कोई जांच एजेंसी ऐसे ही नहीं गिरफ्तार कर सकती। इसके लिए कुछ नियम हैं, तो आइए एक नजर उन पर डालते हैं।

पीएम-सीएम को गिरफ्तार करने के नियम ?

प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, संसद के दोनों सदनों के सदस्य और विधानसभा के दोनों सदनों के सदस्य को गिरफ्तारी से बचने के लिए कुछ छूट मिल रखी है। ये छूट केवल सिविल मामलों में मिली है, क्रिमिनल मामलों में नहीं। उन्हें यह रियायत कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा 135 के तहत मिला हुआ है। इस धारा के मुताबिक, उपरोक्त माननीयों में से किसी को गिरफ्तार या हिरासत में लेना है तो सदन के अध्यक्ष या सभापति से मंजूरी लेना जरूरी है।

कानून में यह भी बताया गया है कि किस समय संसद या विधानसभा या विधान परिषद के सदस्यों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। धारा कहती है कि सत्र से 40 दिन पहले, उस दौरान और उसके 40 दिन बात तक न तो किसी सदस्य को हिरासत में लिया जा सकता है और न ही उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके अलावा संसद या विधानसभा अथवा विधान परिषद के परिसर में भी इनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है।

संसद और विधानसभा अथवा विधान परिषद के सदस्यों को क्रिमिनल मामलों में ये छूट हासिल नहीं है। अगर उन पर कोई क्रिमिनल मामला बनता है तो उन्हें पुलिस या अन्य एजेंसियां गिरफ्तार कर सकती हैं। लेकिन तब भी उन्हें इसकी जानकारी संबंधित हाउस के स्पीकर या सभापति को देनी होगी। ये नहीं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर भी लागू होता है क्योंकि प्रधानमंत्री लोकसभा या राज्यसभा और मुख्यमंत्री विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य होते हैं।

राष्ट्रपति – राज्यपाल को दोनों मामलों में मिली है छूट

राष्ट्रपति और राज्यपाल के पद पर बैठे व्यक्ति को पुलिस या कोई अन्य जांच एजेंसी किसी भी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकती। उन्हें यह छूट सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह के मामलों में हासिल है। संविधान का अनुच्छेद 361 उन्हें यह छूट प्रदान करता है। इस अनुच्छेद के मुताबिक, कोई अदालत भी उनके खिलाफ कोई आदेश जारी नहीं कर सकती हैं। हालांकि, पद से हटने के बाद उन्हें गिरफ्तार या हिरासत में लिया जा सकता है।

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