अमरमणि-मधुमणि त्रिपाठी की रिहाई के बाद अब संतोष राय सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर, मधुमिता हत्याकांड में था अहम रोल

Madhumita Shukla Murder Case: पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई के बाद इसी मामले के एक अन्य दोषी संतोष राय ने भी समय से पहले रिहाई की मांग की है। संतोष ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दी है। हत्याकांड में इसकी भूमिका अहम थी।

Update:2023-08-28 20:22 IST
Madhumita Shukla Murder Case (Social Media)

Madhumita Shukla Murder Case : उत्तर प्रदेश के चर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के मुख्य दोषी और पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी (Amarmani Tripathi) और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी (Madhumani Tripathi) की रिहाई पिछले दिनों हुई। दोनों की रिहाई होने के बाद अब इसी हत्याकांड के दोषी संतोष राय (Santosh Rai) ने भी समय पूर्व रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

संतोष राय ने अपनी रिहाई के लिए अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि की रिहाई का हवाला दिया है। शीर्ष अदालत से गुहार लगाई है कि वो सरकार को उसकी रिहाई पर फैसला करने के निर्देश जारी करें। मधुमिता हत्याकांड में शूटर के रूप में संतोष राय शामिल था।

तब तक मिले अंतरिम जमानत

सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी देते हुए संतोष राय की ओर से कहा गया कि, जब तक उसकी दया याचिका (Santosh Rai Mercy petition) पर फैसला न हो तब तक उसे अंतरिम जमानत दी जाए। इस मामले में खास बात ये है कि संतोष की याचिका पर सुनवाई भी 25 अगस्त को उसी पीठ के सामने हुई, जिसने मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला (Nidhi Shukla) की अर्जी पर सुनवाई की थी। जिसके बाद अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

SC में 1 सितंबर को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट संतोष राय की याचिका पर 1 सितंबर को सुनवाई करेगा। इस दौरान यूपी सरकार (UP government) और उत्तराखंड सरकार को जवाब दाखिल करना है। वकील हर्षवर्धन विशेन (Advocate Harshvardhan Vishen) द्वारा दाखिल याचिका में संतोष राय ने कहा है कि, उसने केंद्र सरकार, यूपी और उत्तराखंड सरकार को समय से पहले रिहाई की अर्जी दाखिल की है। मगर, अभी तक उस पर निर्णय नहीं लिया गया है।

अब तक कितनी सजा काट चुका है?

संतोष राय की ओर से वकील ने बताया है कि उसका मुवक्किल 27 मार्च 2023 को छूट के साथ 18 साल 1 महीने 14 दिन की कुल अवधि के लिए और छूट के साथ 21 साल 10 महीने 15 दिन की अवधि के लिए जेल में बंद है। याचिकाकर्ता छूट तथा समय पूर्व रिहाई के लिए विचार किए जाने का पात्र है। अतः कोर्ट सरकार को मामले पर विचार करने का निर्देश दे।

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