सचिन तेंदुलकर के इस ट्वीट पर सियासी बवाल, शरद पवार ने कह दी इतनी बड़ी बात

शरद पवार ने शनिवार को पुणे में पत्रकारों से बात की। उन्होंने सचिन तेंदुलकर और लता मंगेश्कर के किसान आंदोलन पर दिए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने बिना नाम लिए बगैर कहा कि आंदोलन को लेकर जो राय इन्होंने रखी है, उससे जनता में नाराजगी है।

Update:2021-02-06 23:27 IST
क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के एक ट्वीट पर सियासी बवाल मच गया है। एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने सचिन तेंदुलकर को नसीहत दे डाली है।

नई दिल्ली: क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के एक ट्वीट पर सियासी बवाल मच गया है। एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने सचिन तेंदुलकर को नसीहत दे डाली है। उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र को छोड़कर किसी अलग विषय पर बोलने में सावधानी बरतनी चाहिए।

दरअसल किसान आंदोलन पर विदेशी हस्तियों के बयान पर कुछ दिनों पहले ही सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट कर कहा था कि बाहरी ताकतों को किसान आंदोलन में दखल अंदाजी नहीं करनी चाहिये। भारतीयों के बारे में भारतीय ही सोचने में सक्षम हैं। अब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के इस ट्वीट पर बयान पर सियासी घमासान छिड़ गया है।

तेंदुलकर और लता के बयान से जनता में नाराजगी

शरद पवार ने शनिवार को पुणे में पत्रकारों से बात की। उन्होंने सचिन तेंदुलकर और लता मंगेश्कर के किसान आंदोलन पर दिए बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने बिना नाम लिए बगैर कहा कि आंदोलन को लेकर जो राय इन्होंने रखी है, उससे जनता में नाराजगी है।

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शरद पवार ने कहा कि किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए सत्ताधारी दल के नेता कभी आंदोलनकारियों को खालिस्तानी कहते हैं तो कभी कुछ और कहकर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। एनसीपी मुखिया ने कहा कि यह आंदोलन जीतोड़ मेहनत करके इस देश को अनाज देकर आत्मनिर्भर करने वाले किसानों का है। किसानों को बदनाम करना अच्छी बात नहीं।

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पत्र पर दी सफाई

शरद पवार का कृषि मंत्री रहते लिखा पत्र सोशल मीडिया पर हुआ है। इस पर उन्होंने सफाई दी और कहा कि हां, मैंने पत्र लिखा था। उस पत्र में ये दो-तीन बातें भी स्पष्ट लिखी हुई हैं कि कृषि को लेकर कानून में सुधार लाया जाना जरूरी है। इसके लिए सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ मीटिंग की थी और कुछ कृषि मंत्रियों की कमेटी भी बनाई थी। महाराष्ट्र के हर्षवर्धन पाटिल को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था।

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उन्होंने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट के बाद हर प्रदेश को पत्र लिखा,क्योंकि कृषि राज्य का विषय है. दिल्ली में बैठकर इसके लिए कानून बनाने की बजाय हर राज्य से बात की जानी। चाहिए.इसीलिए हर राज्य को पत्र लिखा था जिसकी ये लोग बात कर रहे हैं।

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