तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने बनाई संविधान पीठ, 11 मई से हर रोज हो सकती है सुनवाई

Update:2017-03-31 05:36 IST
तीन तलाक पर केंद्र सरकार ने नए कानून की जरूरत को किया खारिज

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लेते हुए तीन तलाक और तलाक के बाद मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के मामले पर सुनने के लिए संविधान पीठ का गठन किया है। 5 जजों वाली यह पीठ 11 मई से इस मामले की सुनवाई करेगी। संभवतः पीठ में मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर हो सकते हैं।

न्यायमूर्ति जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने कहा कि ये मामला महत्वपूर्ण और संवेदनशील है। इसलिए 11 मई से इस पर संविधान पीठ सुनवाई करेगी। 11 मई से रोजाना सुनवाई के संकेत देते हुए कहा, कि '11 और 12 मई को गुरुवार और शुक्रवार है। उसके बाद का अगला हफ्ता भी सुनवाई के लिए उपलब्ध होगा। हम शनिवार और रविवार को भी सुनवाई के लिए तैयार हैं।' पीठ ने संबंधित पक्षकारों से कहा है कि जिन्होंने अपने लिखित जवाब दाखिल नहीं किए हैं वो दो हफ्ते में जवाब दाखिल करें।

छुट्टियों में सुनवाई का हो रहा विरोध

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में 11 मई से गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो रही है। इस कारण कई वरिष्ठ वकील सुनवाई का विरोध कर रहे हैं। लेकिन कोर्ट ने वकीलों की आपत्तियां खारिज करते हुए कहा, 'यह अहम मुद्दा है और हम इसे सेटल करना चाहते हैं। इसमें देर करना उचित नहीं है। देर होने पर आप हमें ही दोष देंगे।' जून तक चलने वाले अवकाश काल में संभवत: तीन संविधान पीठें बैठेंगी, जो तीन तलाक के अलावा दो अन्य मुद्दों पर सुनवाई करेंगी।

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सरकार मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में

हालांकि, केंद्र सरकार ने तीन तलाक और बहुविवाह को असंवैधानिक करार दिया है। वह मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में खड़ी दिख रही है। सरकार ने कहा है कि 'मुस्लिम देशों में तीन तलाक प्रथा नहीं है, जबकि मुस्लिम धर्म वहीं से आया है।'

मुस्लिम लॉ बोर्ड कर रहा विरोध

जबकि, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुनवाई का विरोध किया है। बोर्ड ने कहा, कि 'कोर्ट धर्म से जुड़े मसलों को संविधान की कसौटी पर नहीं कस सकता। मौलिक अधिकार व्यक्ति के खिलाफ लागू नहीं किए जा सकते।' बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दी लिखित दलीलों में कहा है कि 'तीन तलाक पवित्र कुरान में लिखा है, जिसे संविधान की कसौटियों पर तौलना कुरान के फिर से लिखने जैसा होगा, जिसकी इजाजत नहीं है।'

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