Patanjali Ads Case: 'मांगें एक हफ्ते के अंदर सार्वजनिक रूप से माफी', रामदेव-बालकृष्ण को मिला सुप्रीम निर्देश
Patanjali Advertising Case: भ्रमक विज्ञापन के मामले पर शीर्ष अदालत से कड़ी फटाकर लगाए जाने के बाद बाबा रामदेव की ओर से दो बार माफीनाम पेश किया गया। कोर्ट ने दोनों ही माफीनाम को खारिज करते हुए इसको सिर्फ खानापूर्ति करार दिया। 10 अप्रैल और 2 अप्रैल को सुनवाई करते हुए कोर्ट माफीनामा खारिज कर चुका है।
Patanjali Advertising Case: पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन के मामले में मंगलवार को देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को उनके वकीलों द्वारा सार्वजनिक माफी की पेशकश के बाद कथित अवमानना को सुधारने के लिए एक सप्ताह का समय दिया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने की। बाबा रामदेव और कंपनी के सीईओ बालकृष्ण तीसरी बार सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। आज भी सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव ने कोर्ट से माफी मांगी, कोर्ट ने फिर बाबा रामदेव और बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाई। इस मामले में अब तक कंपनी दो बार कोर्ट में बिना किसी शर्त के माफीनामा दायर कर चुकी है, लेकिन कोर्ट ने दोनों ही बार माफीनामा खारिज कर चुका है और दोनों ही बार बाबा रामदेव और बालकृष्ण की कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने रामदेव और बालकृष्ण को 23 अप्रैल को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहने को कहा है।
बाबा रामदेव बोले, हम फिर माफी मांगते
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पेश हुए बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा हम पूरी तरह माफी मांगते हैं। हमें पछतावा है, यह दिखाने के लिए हम जनता में माफी मांगने को तैयार हैं। हमने दावा किया था कि हमारे पास दवाओं की एक वैकल्पिक व्यवस्था है। कोर्ट ने कहा कि हम रामदेव से बात करना चाहते हैं। जस्टिस कोहली ने रामदेव से कहा कि आपने योग के लिए बहुत कुछ किया है। आपका सम्मान है, लेकिन ये जो स्टेटमेंट दिए हैं, परम आदरणीय जज साहिब महोदया। अनकंडीशनली हमने जो भी हमसे हुई हम अपोलोजाइज किए हैं। कोर्ट ने कहा कि आपने क्या सोचा कि आप प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और एडवरटाइज करेंगे? जिस चीज का आप प्रचार कर रहे हैं, हमारी संस्कृति में ऐसी कई चीजें हैं। लोग सिर्फ ऐलोपैथी नहीं, घरेलू पद्धतियां भी इस्तेमाल कर रहे हैं। आप अपनी पद्धतियों के लिए दूसरों को खराब और रद्द करने को क्यों कह रहे हैं।
कोर्ट रामदेव से बोला- आप इतने सीधे तो नहीं
कोर्ट के इस स्टेटमेंट का बाबा रामदेव ने जवाब देते हुए कहा कि किसी को भी रद्द करने का इरादा नहीं था। इस पर 5 हजार से ज्यादा रिसर्च प्रोटोकॉल हुए। आयुर्वेद को रिसर्च बेस्ड एविडेंस के लिए तथ्य पर लाने के लिए पतंजलि ने प्रयास किए हैं। आगे से इसके प्रति जागरुक रहूंगा। कार्य के उत्साह में ऐसा हो गया। इसी पर कोर्ट ने रामदेव पर जवाब देते हुए कहा कि आप इतने मासूम नहीं है। इससे पहले पिछली सुनवाई में पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद द्वारा प्रकाशित भ्रामक विज्ञापनों पर कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण की खिंचाई की थी।
दो बार खारिज हो चुका माफीनामा
भ्रमक विज्ञापन के मामले पर शीर्ष अदालत से कड़ी फटाकर लगाए जाने के बाद बाबा रामदेव की ओर से दो बार माफीनाम पेश किया। कोर्ट ने दोनों ही माफीनाम को खारिज करते हुए इसको सिर्फ खानापूर्ति करार दिया। 10 अप्रैल की सुनवाई से ठीक एक दिन पहले 9 अप्रैल को बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने कोर्ट में नया एफिडेविट फाइल किया। इसमें पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि इस गलती पर उन्हें खेद है और ऐसा दोबारा नहीं होगा। इससे पहले 2 अप्रैल को कंपनी ने जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच में माफीनामा दिया गया था। बेंच ने पतंजलि को फटकार लगाते हुए कहा था कि ये माफीनामा सिर्फ खानापूर्ति के लिए है। आपके अंदर माफी का भाव नहीं दिख रहा। आपने कोर्ट के आदेश के बाद भी उसका पालन नहीं किया है, इससे कोर्ट की अवमानना हुई है। कार्रवाई के लिए तैयार रहे हैं।