लोन पर बड़ा फैसला: नहीं लगेगा ब्‍याज पर ब्‍याज, SC ने कर दिया ऐलान

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई के दौरान कहा कि लोन मोरेटोरियम सुविधा का लाभ लेने वाले लोगों को 15 नवंबर 2020 तक ‘ब्याज पर ब्याज’ नहीं देना होगा।

Update: 2020-10-14 11:34 GMT
लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) मामले में आम आदमी को बड़ी राहत मिली है

नई दिल्ली: लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) मामले में आम आदमी को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई के दौरान कहा कि लोन मोरेटोरियम सुविधा का लाभ लेने वाले लोगों को 15 नवंबर 2020 तक ‘ब्याज पर ब्याज’ नहीं देना होगा। SC के इस फैसले से आम आदमी को काफी ज्यादा फायदा फायदा होने वाला है। वहीं इसके अलावा शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि बैंक द्वारा 15 नवंबर 2020 तक कर्जदारों को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) घोषित ना किया जाए, क्योंकि अभी हमने इस पर रोक लगा रखी है।

2 नवंबर तक टाली गई सुनवाई

बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) व बैंकों के वकील हरीश साल्‍वे ने द्वारा मामले की सुनवाई टालने के लिए आग्रह किया गया था। वहीं अब इस मामले की सुनवाई को दो नवंबर तक टाल दिया गया है। अब कोर्ट 2 नवंबर को इस मामले में दोबारा सुनवाई करेगा।

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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कही ये बात

मामले की सुनवाई करते हुए SC ने कहा कि केंद्र को ब्याज पर ब्याज (Interest on Interest) जल्द से जल्द लागू कर देना चाहिए, इसके लिए सरकार को एक महीने का समय क्यों चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार द्वारा इस पर फैसला लिया जाता है तो हम आदेश को तुरंत पारित कर देंगे। इस पर केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सभी लोन अलग-अलग तरीके से दिए गए हैं, इसलिए इनसे अलग-अलग तरीके से निपटना होगा।

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15 नवंबर 2020 तक ‘ब्याज पर ब्याज’ नहीं देना होगा (फोटो- सोशल मीडिया)

दो नवंबर तक जारी किया जाएगा सर्कुलर

इसके बाद अदालत ने सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि 2 नवंबर तक ब्याज पर ब्याज माफी स्‍कीम पर सर्कुलर लाया जाए। जिस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 2 नवंबर तक इसे लेकर सरकार द्वारा सर्कुलर जारी कर दिया जाएगा।

क्या है पूरा मामला?

कोरोना संक्रमण की वजह से मार्च के आखिरी से लेकर जुलाई तक पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया था। जिसके कारण काम-धंधे पूरी तरह से बंद थे। जिस वजह से बहुत से लोग ईएमआई (EMI) नहीं चुका पाने की स्थिति में आ गए। इसीलिए RBI की ओर से छह महीने तक EMI नहीं चुकाने का आदेश दिया गया। हालांकि सबसे बड़ी समस्या मोरेटोरियम के बदले लगने वाले अतिरिक्त चार्ज को लेकर थी। ये अतिरिक्त चार्ज लोन लेने वालों के लिए बड़ा बोझ बन रहा था। यहीं ब्याज पर ब्याज का मसला सुप्रीम कोर्ट में है।

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