बाप रे बाप, तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद के पास है इतने करोड़ की सम्पत्ति
मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मुहम्मद साद कंधलावी है। वह भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन तबलीगी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कंधलावी के पड़पोते हैं।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस से पूरा देश जहां एक तरफ एकजुट होकर जंग लड़ रहा है। वहीं देश में बैठे कुछ लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं और लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं है।
जिस तरह से कोरोना वायरस फ़ैलाने में दिल्ली के तबलीगी जमात का नाम सामने आया है। वो एक चिंता की बात है लेकिन उससे भी ज्यादा हैरान कर देने वाली बात उसके मुखिया मौलाना साद का वायरल हो रहा एक आडियो क्लिप हैं, जिसमें वे लोगों से कहते सुनाई देते हैं कि ये ख्याल बेकार है कि मस्जिद में जमा होने से बीमारी पैदा होगी, मैं कहता हूं कि अगर तुम्हें यह दिखे भी कि मस्जिद में आने से आदमी मर जाएगा तो इससे बेहतर मरने की जगह कोई और नहीं हो सकती। आइये आपको बताते हैं आखिर कौन हैं मौलाना साद और आखिर में वे अचानक से चर्चा में क्यों बने हुए है।
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कौन हैं मौलाना साद
मौलाना साद का पूरा नाम मौलाना मुहम्मद साद कंधलावी है। वह भारतीय उपमहाद्वीप में सुन्नी मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन तबलीगी जमात के संस्थापक मुहम्मद इलियास कंधलावी के पड़पोते हैं।
विवादों से पुराना नाता
मौलाना साद का जन्म 10 मई 1965 को दिल्ली में हुआ। साद ने हजरत निजामुद्दीन मरकज के मदरसा काशिफुल उलूम से 1987 में आलिम की डिग्री ली। मौलाना साद का विवादों से पुराना नाता है। जब उन्होंने खुद को तबलीगी जमात का एकछत्र अमीर घोषित कर दिया तो जमात के वरिष्ठ धर्म गुरुओं ने उनका जबर्दस्त विरोध किया।
हालांकि, मौलाना पर इसका कोई असर नहीं पड़ा और सारे बुजुर्ग धर्म गुरुओं ने अपना रास्ता अलग कर लिया। बाद में साद का एक ऑडियो क्लिप भी शामिल हुआ जिसमें वह कहते सुने गए, 'मैं ही अमीर हूं... सबका अमीर... अगर आप नहीं मानते तो भांड़ में जाइए।'
मौलाना साद पहले भी विवादों में फंस चुके हैं
तब्लीगी जमात प्रमुख मौलाना साद लॉकडाउन के उल्लंघन के कारण विवादों में फंस गये हैं। ये पहली बार नहीं है जब मौलाना साद विवादों में आए हैं। इससे पहले भी उनके खिलाफ दारुल उलूम देवबंद से फतवा जारी हो चुका है।
1965 में दिल्ली में जन्मे मौलाना की पहचान मुस्लिम धर्मगुरु के तौर पर होती है। उनका पारिवारिक संबंध तब्लीगी जमात के संस्थापक मौलान इलियास कांधलवी से जुड़ता है।
साद ने अपनी पढ़ाई 1987 में मदरसा कशफुल उलूम, हजरत निजामुद्दीन और सहारनपुर से पूरी की। 1990 में उनकी शादी सहारनपुर के मजाहिर उलूम के प्रिसिंपल की बेटी से हुई।
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चौथे अमीर हैं साद
तब्लीगी जमात के पहले अमीर (अध्यक्ष) मौलाना इलियास थे। उनके निधन के बाद उनके बेटे मौलाना यूसुफ को इसका अमीर बनाया गया है। मौलाना यूसुफ के अचानक निधन के बाद मौलाना इनामुल हसन को इसका अमीर बनाया गया।
मौलाना इमानुल हसन 1965 से 1995 तक इसके अमीर रहे। उनके तीस साल के कार्यकाल में जमात का फैलाव दुनियाभर में हुआ। 1995 में उनके निधन के बाद जमात में विवाद छिड़ गया और किसी को भी अमीर नहीं बनाया गया।
बल्कि चंद लोगों की कमेटी बना दी गई। बीते 25 साल में उस कमेटी के ज्यादातर सदस्य की मौत हो गई और उसमें मौलाना साद अकेले जिंदा हैं। ऐसे में मौलाना साद ने खुद को जमात का अमीर घोषित कर रखा है, हालांकि, इसे लेकर काफी विवाद भी हुआ. दो साल पहले निजामुद्दीन में झगड़े भी हुए।
मुस्लिम समाज में उपदेशक के तौर पर पहचान
इन सब विवाद के बीच मुस्लिम समाज में मौलाना साद के उपदेश काफी धार्मिक महत्व के होते हैं जिनको बड़ी संख्या में लोग सुनते हैं। मौलाना साद की देखरेख में तब्लीगी जमात के कई आलीमी जलसे का आयोजन हुआ।
25 फरवरी 2018 को 'डॉन' ने तब्लीगी जमात के दो गुटों में मतभेद पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें मौलाना साद पर विद्वानों को अपमानित करने का आरोप लगाया गया।
साथ ही ये भी बताया कि इस्लाम धर्म की गलत व्याख्या के चलते दारुल उलूम देवबंद मौलाना के खिलाफ फतवा जारी कर चुका है। हालांकि उनके समर्थकों का दावा है कि मौलाना साद कुरान और हदीस के हवाले से ही कोई बात कहते हैं।
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