Lok Sabha Election 2024: 'कर्नाटक जीतने से क्या होगा'? KCR का बयान राजनीतिक कड़वाहट या विपक्षी एकता में दरार

Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस कर्नाटक जीत से खुश है। वह विपक्षी एकता के लिए सभी कोशिशें कर रही है। इस बीच, 2024 के 'रण' से पहले तेलंगाना सीएम चंद्रशेखर राव के बयान से विपक्षी एकता की दीवार में दरार नजर आ रही है।

Update:2023-05-20 00:26 IST
तेलंगाना सीएम चंद्रशेखर राव (Social Media)

Lok Sabha Election 2024: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत से कांग्रेस बेहद उत्साहित है। कई राज्यों में हुए चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कर्नाटक की जीत ने कांग्रेस को मानो 'संजीवनी' दी है। कांग्रेस अब राज्य में शपथ ग्रहण की तैयारियों में जुटी है। इसी बहाने विपक्षी एकता प्रदर्शित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। कई राज्यों के क्षेत्रीय क्षत्रप सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में आमंत्रित हैं, जबकि कुछ चेहरे हैं जिन्हें निमंत्रण नहीं गया है। इनमें ओडिशा सीएम नवीन पटनायक, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना सीएम के. चंद्रशेखर राव का भी नाम है।

केसीआर को निमंत्रण न भेजे जाने को लेकर 'राजनीतिक कड़वाहट' सामने आने लगी हैं। साथ ही, विपक्षी एकता वाली दीवार दरकने तक की अटकलें लगाई जाने लगी है। इसके पीछे की वजह कर्नाटक में कांग्रेस की जीत पर तेलंगाना सीएम केसीआर (Telangana CM KCR) का तंज बताया जा रहा है।

KCR का कांग्रेस पर तंज

दरअसल, बीजेपी जिस विजय रथ पर सवार थी उसके सामने विपक्ष की दीवार खड़ी करने की योजना थी। केसीआर का तंज उस दीवार में दरार साबित हो रहा है। तेलंगाना मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने कहा कि, 'हाल ही में आपने (कांग्रेस) कर्नाटक चुनाव देखा है। बीजेपी सरकार हार गई और कांग्रेस सरकार जीत गई। कोई जीत गया, तो कोई हार गया। लेकिन क्या बदलेगा? क्या कोई बदलाव होगा? नहीं, कुछ बदलने वाला नहीं है। पिछले 75 सालों से कहानी दोहराती रहती है, लेकिन उनमें कोई बदलाव नहीं है।' भारत राष्ट्र समिति (BSR) के प्रमुख केसीआर ने कांग्रेस पर ये तंज कसते हुए इशारे में कहा कि कर्नाटक में कुछ भी बदलने वाला नहीं।

'तंज' की टाइमिंग पर सवाल

केसीआर के तंज भरे बयान की टाइमिंग काफी कुछ बयां कर रही है। ये कथन ऐसे समय सामने आया है, जब लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में एक साल से भी कम समय बचा है। और हाल के दिनों में विपक्षी एकजुटता की हर संभव कोशिश हो रही है। विपक्षी पार्टियां बीजेपी के खिलाफ एक साथ चुनावी 'रण' में उतरने की तैयारी में हैं। इन सभी दलों का एक ही लक्ष्य है कि किसी तरह बीजेपी को शिकस्त देना है। केसीआर बिहार सहित अन्य राज्यों में अपने राजनीतिक दौरे में भी ये बातें कह चुके हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने भी बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होने की बात कही थी, वहीं राहुल गांधी की सांसदी जाने के बाद कांग्रेस विपक्षी एकता से जुड़े इस अभियान में और तेजी से जुट गई है।

बार-बार क्यों दरक रही विपक्षी एकजुटता?

वहीं, ये भी बड़ी बात है कि विपक्षी एकजुटता और तीसरा मोर्चा बनाने को लेकर अब तक कई दावे किए गए, लेकिन उनका नेतृत्व कौन करेगा, इस सवाल पर कोई सटीक जवाब सामने नहीं आता है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) चीफ शरद पवार ने भी हाल में लिए कई फैसलों में विपक्ष से अलग राय रखकर सभी को चौंका दिया था।

KCR की चुनौती से कांग्रेस को होगा नुकसान !

जानकार मानते हैं इसकी एक वजह नहीं है। ये पहली बार नहीं है जब केसीआर कांग्रेस के सामने खड़े हुए हैं। केसीआर, कांग्रेस को टक्कर देने वालों के तौर पर उभरे हैं। आपको बता दें, दक्षिणी राज्य तेलंगाना में इसी साल विधानसभा चुनाव (Telangana Election 2023) होने हैं। यहां कांग्रेस से केसीआर की पार्टी सीधा टक्कर लेगी। 5 साल पहले यानी 2018 चुनाव में भी कांग्रेस राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी रही थी। तब के चंद्रशेखर राव को 47.4 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ 88 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस 28.7 फीसद वोट के साथ 19 सीटें जितने में सफल रही थी। ऐसे में कांग्रेस, केसीआर को मुख्य विपक्षी के तौर पर ही देखती है। अगर, KCR इसी तरह कांग्रेस के सामने चुनौती पेश करती रही तो कर्नाटक जीत से उत्साहित पार्टी को भविष्य में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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