कांपी आतंकी फौज: घाटी में खत्म हो रहा इनका खेल, लगातार फेल हो रहे प्लान
लगातार खूनी साजिश रचते हुए और घाटी के निर्दोष लोगों को अपना शिकार बनाने वाले आतंकियों की भर्ती साल 2020 में काफी हद तक नियंत्रण में थी। ऐसे में कश्मीर में आतंकवादियों की वर्तमान संख्या 217 है, जो बीते साल से बहुत कम रही है।
नई दिल्ली। घाटी में आतंक फैलाने की आतंकियों की सारी करतूते नाकामयाब हो गई। लगातार खूनी साजिश रचते हुए और घाटी के निर्दोष लोगों को अपना शिकार बनाने वाले आतंकियों की भर्ती साल 2020 में काफी हद तक नियंत्रण में थी। ऐसे में कश्मीर में आतंकवादियों की वर्तमान संख्या 217 है, जो बीते साल से बहुत कम रही है। ये जानकारी भारतीय सेना के शीर्ष कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने दी है। लाइन ऑफ कंट्रोल पर आतंकी लगातार घुसपैठ की फिराक में लगे रहते हैं, जिनका सेना ने मुहंतोड़ जवाब भी दिया।
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साजिश निश्चित रूप से एक चुनौती
भारतीय सेना के शीर्ष कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कहा कि ड्रोन और सुरंगों के माध्यम से हथियार और ड्रग्स भेजने की पाकिस्तान की साजिश निश्चित रूप से एक चुनौती है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हम सुरंगों का पता लगाने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।
घाटी में आतंकी मुठभेड़ों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक 20-25 विशिष्ट तलाशी अभियानों के दौरान आतंकवादियों के साथ संपर्क स्थापित होता है। तलाशी अभियान के दौरान हम यह सुनिश्चित करते हैं कि स्थानीय लोगों को न्यूनतम असुविधा हो। हमारे सैनिकों को स्थानीय संस्कृति और धार्मिक संवेदनशीलता का सम्मान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
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आतंकवादी भीड़-भाड़ वाले इलाकों में
आगे उन्होंने कहा कि जब हमें पता चलता कि आतंकवादी कहीं फंस गए हैं, तो हम उन्हें विशेष रूप से स्थानीय होने पर आत्मसमर्पण करने के लिए कहते हैं। अगर उनकी पहचान हो जाती है तो हम उनके परिवार के सदस्यों को बुलाते हैं। जब सभी प्रयास विफल हो जाते हैं तो हम उन्हें मारते हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि घाटी में, पाकिस्तानी आतंकवादी भीड़-भाड़ वाले इलाकों में सुरक्षाबलों और नागरिकों को निशाना बनाते हैं। इसके पीछे उनकी साजिश होती है कि हम भी जवाबी कार्रवाई करें और अधिक नागरिक हताहत हों ताकि आतंकी संगठन हमारी छवि को धूमिल कर सकें।
वहीं घाटी में आतंकी सगंठन गलत सूचना फैलाने और नई भर्तियों के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। इस पर उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस बार हम घुसपैठ को 70 फीसदी से कम करने में सक्षम रहे हैं। लाइन ऑफ कंट्रोल(LOC) पर हम पूर्ण नियंत्रण में रहते हैं और सभी आकस्मिकताओं के लिए तैयार रहते हैं।
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