भारत का संविधान

देश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जो भी प्रदर्शन हुए हैं उनमें देश के संविधान का खूब हवाला दिया जाता रहा है। प्रदर्शनकारियों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ कर तर्क दिया कि संविधान के मूल सिद्धांतों को को कमजोर करने की कोशिशें की जा रही हैं।

Update:2020-01-20 19:37 IST

नीलमणि लाल

लखनऊ: देश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जो भी प्रदर्शन हुए हैं उनमें देश के संविधान का खूब हवाला दिया जाता रहा है। प्रदर्शनकारियों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ कर तर्क दिया कि संविधान के मूल सिद्धांतों को को कमजोर करने की कोशिशें की जा रही हैं। वैसे, ये पहली बार नहीं है कि भारत के संविधान को लेकर खतरे जताए जा रहे हैं लेकिन सच्चाई ये है कि 26 जनवरी 1950 को प्रभावी होने के 60 साल बाद आज भी संविधान मजबूती से कायम है।

यदि विश्व में राष्ट्रीय संविधानों से तुलना की जाए तो भारत के संविधान की दीर्घायु चमत्कारिक है। ‘एंड्यूरेंस ऑफ नेशनल कांस्टीट्यूशंस’ पुस्तक के अनुसार 1781 से संविधानों की औसत उम्र 17 वर्ष रही है। खासकर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आजादी पाए देशों में संविधानों की उम्र बहुत कम ही रही है। मिसाल के तौर पर पाकिस्तान में तीन अलग-अलग संविधान रहे हैं और लंबे दौर ऐसे रहे हैं जब संविधान विहीन शासन रहा।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आजाद हुए 12 एशियायी देशों में से सिर्फ तीन देशों के संविधान बचे हुए हैं। ये देश हैं- भारत, ताइवान और दक्षिण कोरिया।

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विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय संविधान की दीर्घायु की वजह इसकी संरचना और इसके निर्माण में बरती गई सावधानी है। संविधान निर्माण का काम आजादी से पहले 1946 में शुरू हुआ और करीब 300 सदस्यों की निर्वाचित संविधान सभा ने चार साल तक विचार विमर्श के बाद संविधान के प्रत्येक पहलू को पारिभाषित किया। इन लंबी बहसों और विमर्शों का प्रतिबिम्ब संविधान में नजर आता है जो 1,46,385 शब्दों का विशालकाय संग्रह है। ‘कंपरेटिव कंस्टीट्यूशन प्रोजेक्ट’ (सीसीपी) के अनुसार, ये दुनिया में किसी भी संविधान से बड़ा है।

व्यापकता की कमी

भले ही भारत का संविधान विश्व में सबसे लंबा है लेकिन ये सबसे व्यापक नहीं है यानी इसमें सभी पहलुओं का समावेश नहीं किया गया है। सभी संविधान गवर्नेंस के ढांचे और सिद्धांतों की स्थापना करते हैं लेकिन सभी संविधान लंबाई-चौड़ाई में अलग-अलग होते हैं। लगभग सभी संविधान सेना या सशस्त्र बलों का उल्लेख तो करते हैं लेकिन बहुत कम संविधान कला या कलाकारों का जिक्र करते हैं।

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सीसीपी के अनुसार, 70 मुख्य विषयों में से औसतन 58 फीसदी को विश्व के संविधान कवर करते हैं। इस मामले में केन्या और जिम्बाब्वे सबसे आगे हैं जिनके संविधान इन 70 विषयों में से 80 फीसदी से अधिक को कवर करते हैं। भारत का संविधान 60 फीसदी विषयों को करता है।

अधिकारों का बंटवारा

कंपरेटिव कंस्टीट्यूशन प्रोजेक्ट के अनुसार, भारत का संविधान संसद को बहुत अधिकार नहीं देता लेकिन अन्य घटकों की तुलना में न्यायपालिका को ज्यादा स्वतंत्रता देता है। कार्यपालिका अधिकारों की बात करें तो फ्रांस, ब्राजील और जर्मनी का संविधान उसे ज्यादा अधिकार देता है। भारत इस मामले में अमेरिका, यूके, जापान से आगे है। भारत का संविधान संसद को विधायिका के बहुत अधिकार नहीं देता। इस मामले में ब्राजील, अमेरिका, जापान, इंडोनेशिया, मेक्सिको, फिलिपींस, जर्मनी और फ्रांस के संविधान ने अपने देशों की ससंद को ज्यादा अधिकृत किया है।

जनता को अधिकार

किसी भी संविधान के मूल उद्देश्यों में से एक होता है अपने नागरिकों को अधिकार देना। इस मामले में भारतीय संविधान ने अमेरिकी और फ्रेंच संविधानों से प्रेरणा ली है। फिर भी जहां अमेरिकी संविधान अपने नागरिकों को 35 अधिकार देता है वहीं भारतीय संविधान 44 अधिकार देता है। इस मामले में वैश्विक औसत 50 अधिकार का है। संवैधानिक अधिकारों में शिक्षा का भी अधिकार है लेकिन वह संविधान संशोन के बाद ही अस्तित्व में आया। संविधान में संशोधन करने संबंधी लचीलापन ही इसकी दीर्घायु होने का एक बड़ा कारण है। भारतीय संविधान में अब तक 103 बार संशोधन हो चुके हैं। सबसे ताजा संशोधन अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन से संबंधित था।

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इसके विपरीत अमेरिकी संविधान में मात्र 27 बार संशोधन हुआ है और अंतिम बार ऐसा 1992 में हुआ था।

1945 से 1960 के बीच स्वतंत्रता पाए एशियायी देशों में संविधान की उम्र

-ताइवान: 1945 में आजाद हुए इस देश में 1947 में संविधान बना जो आज तक कायम है।

-दक्षिण कोरिया: 1945 में आजादी पाए और 1948 से संविधान चल रहा है।

-भारत: 1947 में आजादी मिली, 1950 से संविधान चल रहा है।

-जॉर्डन: 1946 में स्वतंत्रता मिली और 1946 व 1952 में संविधान बन चुके हैं।

-इंडोनेशिया: 1945 में आजाद हुह इस देश में 1949, 1955 और 1959 में संविधान निर्माण हुआ।

-उत्तरी कोरिया: 1945 में देश आजाद हुआ। 1972 में यहां संविधान लागू हुआ।

-पाकिस्तान: 1947 में देश बनने के बाद 1956, 1962 और 1973 में संविधान बने।

-श्रीलंका: 1948 में देश स्वतंत्र हुआ और 1972 व 1978 में संविधान बना।

-वियतनाम: 1945 में आजाद होने के बाद 1960, 1980 और 1992 में संविधान बनाया गया।

-म्यांमार : 1948 में देश के आजाद होने के बाद 1962, 1974 और 2008 में संविधान का निर्माण हुआ।

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