Chambal Story: संपूर्ण चंबल की वादियों में मौजूद है अकूत हथियारों का खजाना, हथियारों की संस्कृति बन रही कई बेकसूरों की मौत का सबब

Chambal Story: चंबल का नाम आते ही जहन में बस एक ही तस्वीर सामने आती है। बरसों से यहां के किस्से बच्चे बच्चे की जुबान पर सुनने को मिल जाएंगे। चंबल नाम लेते ही डाकुओं का आतंक याद आ जाता है।

Report :  Jyotsna Singh
Update:2023-03-04 22:51 IST

संपूर्ण चंबल में मौजूद है अकूत हथियारों का खजाना: Photo- Social Media

Chambal Story: चंबल का नाम आते ही जहन में बस एक ही तस्वीर सामने आती है। बरसों से यहां के किस्से बच्चे बच्चे की जुबान पर सुनने को मिल जाएंगे। चंबल नाम लेते ही डाकुओं का आतंक याद आ जाता है। 20 साल से शांत चंबल की जो वादियां कभी गोलियों की आवाज से थर्राती थीं, वहां की घाटी आज भी हथियारों के जखीरों से लेस हैं। ग्वालियर चंबल क्षेत्र वह इलाका है, जहां सदियों से यहां पर रहने वाले लोगों को हथियारों से प्रेम रहा है। इस इलाके के लोग हथियार को अपनी प्रतिष्ठा, अपने स्वाभिमान के रूप में मानते हैं। यही कारण है कि चंबल के बीहड़ जंगलों से लेकर राजा रजवाणो के महलों में, गांवों के गली गलियारों में लोगों के कंधों पर लाइसेंसी हथियार हमेशा लटका रहता है। संपूर्ण चंबल की वादियों में बिखरी यह हथियारों की संस्कृति कई बेकसूरों की मौत का सबब भी बन रही है। अपनी प्रतिष्ठा का सूचक मानी जाने वाली यह संस्कृति जानलेवा साबित हो रही है।

आइए जानते हैं इसके पीछे छिपा हुआ फैक्ट,,

रोटी कपड़ा और मकान के बदले लोग बनवाते हैं हथियारों का लाइसेंस-

एक ऐसे इलाके की बात यहां की जा रही है जिसका जिक्र कई बरसों से कथा, कहानियों और फिल्मों किया जाता रहा है। पान सिंह तोमर, फूलन देवी, मान सिंह, निर्भय सिंह गुज्जर जैसे कई कुख्यात डकैतों का गढ़ पूरे मध्यप्रदेश में ग्वालियर चंबल अंचल ऐसा इलाका है, जहां पर सबसे अधिक लाइसेंसी हथियार मौजूद है। स्थानीय सरकार द्वारा तमाम सख्त कानून लागू किए जाने के बाद भी लोगों का प्रेम बंदूक और राइफलों के प्रति कम नहीं हो रहा है। कमाल की बात ये है की इस इलाके में हथियारों के प्रति मोह धरने में महिलाएं भी किसी भी मामले में पीछे नहीं हैं। यही कारण है कि ग्वालियर चंबल अंचल में जितने लाइसेंसी हथियार हैं। उससे चार गुना संख्या में नए लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन अपनी बारी की प्रतीक्षा तक रहें हैं। यहां पर हथियार रखने का शौक के चलते लोग रोटी कपड़ा और मकान के बदले लोग हथियारों का लाइसेंस बनवाने के लिए रसूखदार लोगों से सिफारिश लगा रहे हैं। इस क्षेत्र में सबसे अधिक लाइसेंसी हथियार होने का रिकॉर्ड प्राप्त है। यही वजह है कि नवजवानों से लेकर बुजुर्गों के हाथों में सजे इस खतरनाक हथियार का अब जमकर गलत तरीके से प्रयोग हो रहा है। हालात यह हो गए हैं कि हर साल यहां में होने पारिवारिक उत्सवों में शराब के नशे में चूर होकर खास तौर से शादियों में सबसे अधिक लाइसेंसी हथियारों का प्रदर्शन किया जाता हैं, जिसकी वजह से कई दुर्घटनाएं सामने आ रहीं हैं।

यहां की शादियां बनी मौत का सबब

अनेकों बार ऐसा होता देखा गया है कि अनजाने में किसी व्यक्ति को गोली लगने से खुशियों का माहौल मातम में बदल गया है। हम सब अक्सर देखते हैं कि ग्वालियर चंबल क्षेत्र की शादियों में जमकर फायरिंग के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं। हालात यह हो चुके हैं कि अंचल में होने वाली शादियों में हर साल बाहर से आने वाले मेहमान अब यहां की शादियों में आने से डरते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अभी हाल में ही ऐसी कई शादियों में हर्ष फायरिंग की घटनाएं सामने आई, जिसमें सबसे ज्यादा ऐसे लोग हर्ष फायरिंग का शिकार हुए हैं, जो बाहर से शादियों में शामिल होने के लिए आए थे।

ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया

चंबल क्षेत्र के ऐसी जगह है जहां पर सबसे ज्यादा हर्ष फायरिंग की घटनाएं सामने आती हैं। इन्हीं चार जिलों में सबसे अधिक लाइसेंस हथियार मौजूद हैं। इन इलाकों में आए दिन इस हर्ष फायरिंग से कोई घायल हो जाता है तो किसी की मौत हो जाती है। लिहाजा शादी मातम में बदल जाती है। अभी हाल में यहां घटी एक घटना में एक शादी में हर्ष फायरिंग हुई, इसमें दिल्ली से मेहमान बनके आए एक व्यक्ति की गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई थी। इसके साथ ही ग्वालियर में भी अभी हाल में ही हर्ष फायरिंग के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई और 2 लोग घायल हो गए थे।

यहां आज भी है हथियारों का खजाना

20 साल से शांत चंबल की जो वादियां कभी गोलियों की आवाज से थर्राती थीं, वहां की घाटी आज भी हथियारों के जखीरों से लेस हैं। बाह, पिनाहट क्षेत्र में 5838 लाइसेंसी हथियार हैं। जिनमें 1525 राइफल, 830 पिस्टल और रिवाल्वर के अलावा 3483 बंदूकें हैं। साफ है कि दस्युओं का आतंक खत्म होने के बाद भी यहां लोगों में असलाहों का शौक कायम है। बाह तहसील क्षेत्र में नौ थाने हैं। जिनमें 5838 लाइसेंसी शस्त्र हैं। सबसे ज्यादा हथियार बाह, जैतपुर और पिनाहट में हैं।

जिले में शहर से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में हथियार हैं। जहां शहर में 15367 हथियार हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में हथियारों का जखीरा 25 हजार से अधिक है। यह स्थिति तब है जब नौ साल से नए हथियार लाइसेंस जारी नहीं हो रहे। यहां अधिकांश शस्त्र 25 से 50 साल पुराने हैं। इन हथियारों का हर पांच साल बाद नवीनीकरण कराना पड़ता है।

यहां सबसे ज्यादा गांव में हैं असलहे

चंबल जिले में शहर से ज्यादा गांव में असलहे हैं। कुल 42 पुलिस थानों में असलाहों का रिकार्ड हैं। जिनमें 25 थाने ग्रामीण क्षेत्र में आते हैं, जबकि 17 थाने शहरी क्षेत्र में। जहां 25 ग्रामीण थाना क्षेत्रों में 25,574 हथियार हैं, वहीं शहरी क्षेत्र में 15,367 लोगों पर असलाह हैं। इसमें भी जगनेर थाने में सबसे कम 89 शस्त्र लाइसेंस धारक हैं जबकि फतेहाबाद में 2200 लोगों के पास असलाह हैं। मलपुरा और शमसाबाद क्षेत्र में भी 2000-2000 हजार से अधिक लाइसेंसी शस्त्र हैं।

विपक्षी सरकार ने जताया प्रतिरोध

जवाबी करवाई सी ताड़ ताड़ ताड़ की आवाज करती बंदूकों की आवाजे सुनकर लगता है जैसे देश की सीमा पर दुश्मनों ने हमला बोल दिया हो। यहां शादी में शामिल होना किसी खतरे से खाली नहीं है। वहीं ग्वालियर चंबल अंचल में लगातार हो रही हर्ष फायरिंग को लेकर विपक्ष लगातार सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार बता रही है। एक पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि अंचल में हो रही ताबड़तोड़ हर्ष फायरिंग के कारण अंचल की छवि खराब होती जा रही है। यही कारण है कि लोग यहां की शादियों में शामिल होने के लिए कतरा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पूरे मध्यप्रदेश में यहां पर सरकार और प्रशासन ने रेवड़ियों की तरह शस्त्र लाइसेंस बांट दिए है।

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