2 लाख रुपये किलो बिक रहा चिप्स: जानिए क्या है इसकी खासियत, अलर्ट पर इंटरपोल

कछुआ तस्करों के पीछे लगी टीम के मुताबिक, इस मामले में इंटरपोल भी सक्रिय है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के इटावा और पश्चिम बंगाल के 24 परगना में यह खास चिप्स बनाए जाते हैं। ज्ञानपुरी-बंसरी एक स्थान का नाम है, इसी के नाम पर कछुओं की तीन खास प्रजाति को ज्ञानपुर-बंसरी कहते हैं।

Update: 2021-02-10 04:20 GMT
इंटरनेशनल मार्केट में ज्ञानपुरी-बंसरी के चिप्स की डिमांड बढ़ गई है। इस चिप्स की कीमत भारत के कुछ इलाकों में 5 हजार रुपये किलो तक है।

नई दिल्ली: इंटरनेशनल मार्केट में ज्ञानपुरी-बंसरी के चिप्स की डिमांड बढ़ गई है। इस चिप्स की कीमत भारत के कुछ इलाकों में 5 हजार रुपये किलो तक है। हालांकि इंटरनेशनल मार्केट में यह चिप्स 2 लाख रुपये किलो तक बिक रहा है। यूपी एसटीएफ चिप्स बनाने वालों की तलाश कर रही है।

कछुआ तस्करों के पीछे लगी टीम के मुताबिक, इस मामले में इंटरपोल भी सक्रिय है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के इटावा और पश्चिम बंगाल के 24 परगना में यह खास चिप्स बनाए जाते हैं। ज्ञानपुरी-बंसरी एक स्थान का नाम है, इसी के नाम पर कछुओं की तीन खास प्रजाति को ज्ञानपुर-बंसरी कहते हैं। इटावा में यह सबसे अधिक पाया जाता है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय चंबल सेंचूरी में है, लेकिन इसके बावजूद यहां से बड़ी संख्या में कछुओं की तस्करी की जा रही है।

प्लैस्ट्रान से तैयार होता चिप्स

पर्यावरणविद और गंगा अभियान से राजीव चौहान ने इस तस्करी का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि चंबल नदी से लगे आगरा के पिनहाट और इटावा के ज्ञानपुरी और बंसरी में निलसोनिया, गैंगटिस और चित्रा इंडिका तीन प्रजाति हैं। इनका इस्तेमाल चिप्स बनाने में होता है। कछुए के पेट की स्किन को प्लैस्ट्रान कहते हैं। इसी प्लैस्ट्रान से चिप्स तैयार किए जाते हैं।

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प्लैस्ट्रान को काटकर अलग कर दिया जाता है और फिर उसे उबालकर सुखाते हैं। इसके बाद इसे बंगाल के रास्ते विदेशों में भेजा जाता है। र्मी में प्लैस्ट्रान के चिप्स तैयार किए जाते हैं और सर्दियों में जिंदा कछुओं की तस्करी होती है। सर्दियों में तस्करी करना आसान होता है।

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इन देशों में 2 लाख रुपये किलो है चिप्स के दाम

इस चिप्स की थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर में तस्करी की जाती। इन तीन देशों में चिप्स 2 लाख रुपये किलो तक बिकता है। एक किलो वजन के कछुए में से 250 ग्राम तक चिप्स तैयार किया जाता है। भारत ने इस तस्करी सख्त कार्रवाई कर रहा है और इसकी तस्करी पर लगाम लगा रहा। इसीलिए इंटरनेशनल माकेर्ट में चिप्स के रेट 2 लाख से भी ज्य़ादा तक पहुंच गए हैं।

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