बड़ा हादसा: अभी-अभी यहां हुई सेना के दो जवानों की मौत, कई घायल
पुणे के मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज में हादसा हो गया। बताया जा रहा है कि हादसा उस वक्त हुआ जब मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज में अभ्यास चल रहा था। तभी ब्रिज का एक हिस्सा गिरने से दो जवानों की मौत हो गई।
पुणे: पुणे के मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज में हादसा हो गया। बताया जा रहा है कि हादसा उस वक्त हुआ जब मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेज में अभ्यास चल रहा था।
तभी ब्रिज का एक हिस्सा गिरने से दो जवानों की मौत हो गई। वहीं पांच अन्य जवान घायल हो गए हैं, जिसमें एक जूनियर कमीशंड अफसर भी शामिल है। हालांकि सेना की ओर से अभी घटना की पुष्टि नहीं की गई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को जवान बैली सस्पेंशन ब्रिज को लॉन्च करने का अभ्यास रहे थे। इसी दौरान ब्रिज का टावर अचानक गिर गया, इस हादसे में अब तक कुल पांच जवान घायल बताए जा रहे हैं।
बता दें कि पुणे मिलिटरी इंजिनियरिंग कॉलेज भारतीय सेना के इंजिनियर्स प्रमुख तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान है, जिसमें कॉम्बैट इंजिनियर, मिलिट्री इंजिनियरिंग सर्विस, बॉर्डर रोड्स इंजिनियरिंग सर्विसेज और सेना के सर्वे का प्रशिक्षण दिया जाता है।
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पहले भी हादसे में सेना ने खोए जवान
छुट्टी पूरी होने के बाद वापस ड्यूटी जॉइन करने जा रहे सेना के जवान की 27 नवम्बर 2019 को रास्ते में सड़क हादसे में मौत हो गई। मृत जवान का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया, जहां पूरे सम्मान के साथ सैनिक को अंतिम विदाई दी गई।
मथुरा के थाना बरसाना क्षेत्र के हाथिया गांव निवासी शिव कुमार सेना में नायब सूबेदार के पद पर तैनात थे। शिव कुमार का परिवार मथुरा के थाना हाई-वे क्षेत्र के नैशनल हाई-वे 2 स्थित शिवजी का नगला में रह रहा था।
शिव कुमार की वर्तमान में राजस्थान के जैसलमेर में तैनाती थी और कुछ दिन पहले ही वह छुट्टी पर अपने घर आए थे। छुट्टी खत्म होने के बाद वह वापस लौट रहे थे कि रास्ते में एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई। मृत जवान का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया, जहां सैनिक के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
राजकीय सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई। मृत शिवकुमार के पिता ने बताया कि 13 साल पहले उनका बेटा सेना में भर्ती हुआ था। अपने पीछे वह दो बेटे कार्तिक और ऋषभ को छोड़ गया है।
सैनिक के पिता ने शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी और कुंवर नरेंद्र सिंह भी सैनिक को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंचे थे।
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