जंगली हाथियों का कहर: ले ली एक और की जान, हाथी भगाओ दस्ता बना निशाना
झारखंड के सरायकेला-खरसावां ज़िला के इचागढ़ में वन विभाग के हाथी भगाओ दस्ता पर हाथियों के एक झुंड ने हमला कर दिया। हाथियों ने विभाग के दो लोगों पर हमला किया जिसमें एक कर्मी की मौके पर ही मौत हो गई
रांची: वन संपदा की दृष्टि से झारखंड धनी प्रदेश है। राज्य के कुल भागौलिक क्षेत्र के 29.61 प्रतिशत एरिया में जंगल विद्यमान है। हाल के वर्षों में इसमें मामूली तौर पर बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है। फॉरेस्ट एरिया में बढ़ोतरी होने से जंगली जानवरों की तादाद में भी इज़ाफ़ा हुआ है। यही वजह है कि, इंसान और जानवरों के बीच टकराव बढ़ा है। कई क्षेत्रों में जंगल सिकुड़ते भी जा रहे हैं और इंसानी दखलंदाज़ी बढ़ती जा रही है। लिहाज़ा, जानवर और इंसान आमने-सामने हो गए हैं। ताज़ा मामला सरायकेला-खरसावां ज़िला का है जहां हाथियों के झुंड ने एक व्यक्ति को कुचल कर मार दिया है।
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हाथी भगाओ दस्ता बना निशाना
झारखंड के सरायकेला-खरसावां ज़िला के इचागढ़ में वन विभाग के हाथी भगाओ दस्ता पर हाथियों के एक झुंड ने हमला कर दिया। हाथियों ने विभाग के दो लोगों पर हमला किया जिसमें एक कर्मी की मौके पर ही मौत हो गई और दूसरा ज़िंदगी और मौत से जूझ रहा है। वन क्षेत्र पदाधिकारी ने बताया कि, बालीडीह जंगल में 05 हाथियों के झुंड होने की खबर मिली थी। इसके बाद विभाग की ओऱ से हाथी भगाओ दस्ता को ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए लगाया गया था। देर रात में अचानक हाथियों ने दस्ता पर हमला कर दिया जिससे टीम लीडर और एक व्यक्ति घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल हरि चरण महतो ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। जबकि, दुर्गा चरण महतो को बेहतर इलाज के लिए जमशेदपुर स्थित टीएमएच में भर्ती कराया गया है।
हाथियों के हमले के पीछे महुआ कारण
वन क्षेत्र पदाधिकारी अशोक कुमार की मानें तो आम तौर पर हाथी शांत स्वभाव के होते हैं। हमले के पीछे कोई पुख्ता वजह ज़रूर होगी। अशोक कुमार की मानें तो शराब, महुआ या फिर जावा खा लेने की वजह से हाथी आक्रमक हो गए होंगे। दरअसल, झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ या फिर जावा से शराब बनाने की प्रथा है। इसे जमीन के अंदर छिपा कर रखा जाता है। हाथी जब भोजन की तलाश में गांवों में पहुंचते हैं तो वे महुआ या फिर जावा को भी खा लेते हैं जिससे उनका व्यवहार आक्रमक हो जाता है।
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इंसानी दख़लंदाज़ी बनी वजह
झारखंड के कई क्षेत्रों में जंगल सिकुड़ते भी जा रहे हैं। वन क्षेत्र कम होने से इंसानी आवाजाही बढ़ी है। इससे जानवर और इंसान के बीच की दूरी कम होती जा रही है। राजधानी रांची के ग्रामीण क्षेत्रों सिल्ली और बुंडू तक में कई बार हाथियों के झुंड को देखा गया है। जानकार बताते हैं एक तो दिन ब दिन जंगल कम होते जा रहे हैं दूसरा हाथियों को भोजन की किल्लत हो गई है। ऐसे में हाथी इंसानी आबादी की तरफ रुख़ कर रहे हैं। खासकर खेती के समय हाथियों का झुंड खेतों में आ जाता है और फसलों को नुकसान पहुंचाता है। कई दफा हाथियों के निशाने पर इंसान होते हैं।
रिपोर्ट- शाहनवाज़
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