मां को जिंदा कर देंगे भगवान, इस उम्मीद में 20 दिन तक शव के पास बैठे रहे बच्चे

20 दिन पहले ही इंदिरा ने दम तोड़ दिया था। इंदिरा के आसपास पूजा आदि की सामग्री पड़ी हुई थी। पुलिस ने जांच की तो पता चला इंदिरा ने 7 दिसंबर के दिन ही होश खो दिया था।

Update:2021-01-02 16:33 IST
हत्या करने वाले युवक की पहचान 32 वर्षीय जैसन नाइटेंगल के तौर पर हुई है। महिला को गोली मारने के बाद नाइटेंगल ने बंदूक के दम पर एक शख्स से उसकी कार छीन ली।

डिंडीगुल: तमिलनाडु के डिंडीगुल में एक दिल हैरान करने वाला वाकया सामने आया है। यहां एक महिला की मौत के बाद उसके दो बच्चे 20 दिन तक उसके शव के पास इसी उम्मीद में बैठे रहे कि भगवान उसकी आत्मा को वापस कर देंगे। उन्होंने

एक तांत्रिक के कहने पर ऐसा किया था। तांत्रिक कई दिनों तक उन्हें दिलासा देता रहा कि पूजा करने से भगवान उनकी मां को जिन्दा कर देगा।

लोगों को जब इस बात की भनक लगी तो उन्होंने पुलिस को इस बात की सूचना दी। जिसके बाद पुलिस ने पुजारी और मृतका की बहन को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया।’ पुलिस अब इस पूरे मामले की जांच कर रही है।

मां को जिंदा कर देंगे भगवान, इस उम्मीद में 20 दिन तक शव के पास बैठे रहे बच्चे(फोटो:सोशल मीडिया)

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क्या है ये पूरा मामला

मृतका का नाम इंदिरा है। वह डिंडीगुल के महिला पुलिस थाने में हेड कांस्टेबल के रूप में काम करती थी। महिला को गुर्दों से संबंधित तकलीफ रहती थी।

कुछ साल पहले ही इंदिरा अपने बच्चों को लेकर अलग हो गई थी। इंदिरा का 13 साल का लड़का और एक 9 साल बच्ची है।’ दोनों बच्चों को इंदिरा अकेले ही पाल रही थी।

बताया जा रहा है कि गुर्दे की तकलीफ के कारण इंदिरा ने कुछ समय पहले स्वैच्छिक रिटायरमेंट के लिए पुलिस विभाग में अनुरोध भी किया था।

कुछ दिनों से इंदिरा पुलिस स्टेशन नहीं आ रही थी। जिसके बाद एक महिला कांस्टेबल इंदिरा के घर जानकारी लेने के लिए पहुंची। घर के अंदर उसे दोनों बच्चे मिले। घर के अंदर से तीव्र बदबू आ रही थी।

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पूजा (फोटो:सोशल मीडिया)

पुजारी और एक महिला हिरासत में

महिला कांस्टेबल ने बच्चों से इंदिरा के बारे में पूछा तो बच्चों ने बताया कि मां सो रही है और उसे उठाना नहीं है, नहीं तो भगवान उसे नुकसान पहुंचा देंगे।

जब महिला कांस्टेबल को कुछ शक हुआ तो उसने अधिकारियों को इस मामले में सूचित किया। जब पुलिस आई तो उसे जांच में पता चला कि इंदिरा की मौत हो चुकी है।

पिछले 20 दिन पहले ही इंदिरा ने दम तोड़ दिया था। इंदिरा के आसपास पूजा आदि की सामग्री पड़ी हुई थी। पुलिस ने जांच की तो पता चला इंदिरा ने 7 दिसंबर के दिन ही होश खो दिया था।

लेकिन पुजारी सुदर्शन की सलाह पर उसे अस्पताल नहीं ले जाया गया। पुजारी ने बच्चों और इंदिरा की बहन से कहा कि वे इंदिरा को अस्पताल न ले जाएं अन्यथा भगवान इंदिरा की रक्षा नहीं करेंगे।

सुदर्शन भी तब से लेकर अब तक परिवार के साथ ही घर में रुका रहा।’ घर को बाहर से बंद करने के बाद 20 दिनों तक इंदिरा की आत्मा वापस लाने के लिए पूजा की जाती रही।

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