क्या जानवरों के जरिये भारत में चीन कराना चाहता है जासूसी, यहां से पकड़े गये याक

भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है। काला टॉप और हेल्मेट टॉप पर भारत के कब्जे के बाद से चीन एक दम से बौखला उठा है। वह किसी भी तरह से इसे भारत से छिनना चाहता है।

Update: 2020-09-09 08:05 GMT
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है। काला टॉप और हेल्मेट टॉप पर भारत के कब्जे के बाद से चीन एक दम से बौखला उठा है। वह किसी भी तरह से इसे भारत से छिनना चाहता है।

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है। काला टॉप और हेल्मेट टॉप पर भारत के कब्जे के बाद से चीन एक दम से बौखला उठा है। वह किसी भी तरह से इसे भारत से छिनना चाहता है। ये दोनों स्थान ऐसे हैं जो सैन्य और रणनीतिक स्तर दोनों ही मायनों में बेहद ही अहम हैं।

इस बीच अरुणाचल से एक ऐसी खबर आई है। जो भारत की नींद उड़ा सकती है। दरअसल इस वक्त भारत और चीन के बीच सीमा पर युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं।

न तो भारत की तरफ से कोई आदमी सीमा पार कर चीन की तरफ जा सकता है और न ही चीन की तरफ से सीमा पार कर भारत आ सकता है। सीमा पर भारी फ़ोर्स तैनात हैं और सख्त पहरा है।

एलएसी पर पहरा देते भारतीय सैनिक की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

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अरुणाचल प्रदेश में पकड़े गये याक

इस बीच खबर आ रही है कि लद्दाख से करीब 1500 किलोमीटर दूर अरुणाचल प्रदेश में चीन की तरफ से याक सीमा को पार कर भारतीय क्षेत्र में आ गया जिसे जवानों ने पकड़ लिया।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जानवरों के जरिए भी दुश्मन की जासूसी करवाई जाती है और क्या चीन की तरफ से जानबूझकर याक को भारतीय सीमा में भेजा गया है।

अगर हम अलग-अलग देशों में दुश्मन के खिलाफ जासूसी के इतिहास को देखें तो कई ऐसे प्रमाण मिलते हैं जिससे पता चलता है कि जानवरों और पक्षियों का जासूसी में इस्तेमाल किया गया और फिर उनसे मिले इनपुट को दुश्मन देश के खिलाफ बदले की कार्रवाई में इस्तेमाल किया गया।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फोटो(साभार-सोशल मीडिया)

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अमेरिका

पहला केस अमेरिका से जुड़ा हुआ है।जहां पर अमेरिकी नौसेना ने दशकों से पानी के नीचे की खानों और यहां तक कि पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए सेंसर के साथ प्रशिक्षित डॉल्फिन का इस्तेमाल किया। शीत युद्ध के समय में यह बातें सामने आई थी कि इन अत्यधिक बुद्धिमान प्राणियों को प्रशिक्षित किया गया था और उन्हें जासूसी के लिए उपयोग में लाया गया था।

नार्वे

दूसरा मामला नॉर्वे का है। यहां पिछले साल अप्रैल में नॉर्वे के तट से एक बेलुगा व्हेल पकड़ी गई थी। जो कि अत्यधिक बुद्धिमान और मैत्रीपूर्ण प्रजाति की व्हेल मानी जाती है। जब व्हेल की जांच की गई तो पता चला कि उसके सिर के चारों ओर एक हार्नेस था जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ सिग्नल और खुफिया जानकारी लेने के लिए इस्तेमाल किया गया था। अब तक यह एक रहस्य बना हुआ है कि यदि कोई विशेष बेलुगा व्हेल होता तो मिशन किस तरह का होता।

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सोवियत संघ

तीसरा मामला सोवियत संघ से जुड़ा हुआ है। दरअसल सीआईए द्वारा सोवियत प्रतिष्ठानों से ऑडियो रिकॉर्डिंग लेने के लिए भी घरेलू बिल्लियों का इस्तेमाल किया गया था। यह कितना सफल रहा यह एक रहस्य बना हुआ है लेकिन यह इस बात का सबूत था कि सभी प्रकार के जानवरों के माध्यम से गुप्त ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए इन्हें उपयोग में लाया गया था।

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