Yasin Malik: टेरर फंड मामले में यासीन मलिक दोषी करार, दिल्ली HC ने जारी किया नोटिस, NIA ने फांसी की सजा की थी मांग
Yasin Malik: दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और यशवंत सिंह की बेंच ने अलगाववादी नेता के खिलाफ लगाए गए आरोपों और एनआईए कोर्ट के आदेश की कॉपी मंगाई है।
Yasin Malik: जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान की शह पर देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले अलगाववादी नेता यासीन मलिक फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उसे फांसी देने की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर रखी है, जिसपर आज सुनवाई चल रही है। टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराए गए कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के लिए मौत की सजा की मांग वाली एनआईए की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
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दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और यशवंत सिंह की बेंच ने अलगाववादी नेता के खिलाफ लगाए गए आरोपों और एनआईए कोर्ट के आदेश की कॉपी मंगाई है। कोर्ट ने कहा कि इस परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए कि इस अपील में एकमात्र प्रतिवादी यासीन मलिक ने धारा 121 आईपीसी के तहत एक आरोप के लिए दोषी ठहराया है, जो वैकल्पिक मौत की सजा का प्रावधान करता है, हम उसे जेल अधीक्षक के माध्यम से आवेदन और अपील दोनों में नोटिस जारी करते हैं। बता दें कि बीते साल यानी 2022 में एनआईए कोर्ट ने यूएपीए और देश के विरूद्ध जंग छेड़ने के केस में यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सुनवाई के दौरान मलिक अपने गुनाह कबूल कर लिए थे।
एनआईए कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में दी गई चुनौती
यासीन मलिक की अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने फांसी की सजा की मांग की थी। लेकिन एनआईए की अदालत ने इसे खारिज कर दिया था। ऐसे में जांच एजेंसी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जहां दोषी करार करते हुए नोटिस जारी किया गया। दिल्ली उच्च न्यायालय में एनआईए की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर हर अपराधी अपना दोष स्वीकार कर लेगा तो फिर उन्हें केवल आजीवन कारावास की सजा मिलेगा, मृत्युदंड नहीं। एनआईए ने कोर्ट में यासीन मलिक के मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस कहकर फांसी की सजा देने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस मानने से इनकार कर दिया था।
यासीन को 9 मामलों में मिली है सजा
कट्टरपंथी इस्लामिक और अलगाववादी नेता यासीन मलिक को एनआईए की अदालत ने बीते साल टेरर फंडिंग के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। मलिक को अब तक 9 मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है, जिसमें उम्रकैद से लेकर 10-10 साल तक की सजा मिली है। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।
घाटी में आतंक फैलाने के आरोपी यासीन मलिक पर तीन बड़े आरोप हैं। पहला मामला 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में वायुसेना के जवानों पर हमला करने का है। जिसमें चार जवान शहीद हुए थे। स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना भी उनमें से एक थे। दूसरा मामला कश्मीर घाटी में रह रहे अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों पर हमला कर उनकी हत्या करना और उन्हें अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर करना है। यासीन मलिक पर तीसरा सबसे बड़ा आरोप पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती की बहन रुबिया सईद का अपहरण करना है।
बता दें कि यासीन मलिक कश्मीर घाटी में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) नाम एक संगठन के जरिए अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम दिया करता था। उसकी विवाह पाकिस्तान में हुआ था। पाक आर्मी और आईएसआई के साथ उसके गहरे संबंध बताए जाते हैं।