अब कोरोना से लड़ेगी सेना, शिकस्त देने को बना ली है ये रणनीति
कोरोना को हराने के लिए जनता ने जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लागू करने का फैसला किया है वहीं कोरोनावायरसकेखिलाफसेना भी इस जंग में हमारे साथ है। सेना की तीनों विंग थल, वायुसेना और नौसेना की एकीकृत कमान ने मुकाबले के लिए कमर कस ली है।
नई दिल्लीः कोरोनावायरसकेखिलाफसेना ने भी इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए मोर्चा खोल दिया है। इसके खिलाफ 22 मार्च को पूरा देश एकजुट हो कर जनता कर्फ्यू लागू करने जा रहा है। हम आपको बताने जा रहे हैं सेना की क्या है तैयारी। अब कोरोना से कैसे मोर्चा लेगी सेना, शिकस्त देने को बनायी है क्या रणनीति।
कोरोना को हराने के लिए जनता ने जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लागू करने का फैसला किया है वहीं कोरोनावायरसकेखिलाफसेना भी इस जंग में हमारे साथ है। सेना की तीनों विंग थल, वायुसेना और नौसेना की एकीकृत कमान ने मुकाबले के लिए कमर कस ली है।
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कोरोना के वायरस की तेजी से फैलने की गति को रोकने के लिए यद्यपि सरकार और जनता पूरी शिद्दत से प्रयास कर रही है। फिर भी कोरोनावायरस की गति को देखते हुए यह लग रहा है कि आने वाले दिनों में कोरोना के रोगियों की संख्या में इजाफा होगा। उस समय की स्थिति का मुकाबला करने के लिए कोरोनावायरसकेखिलाफसेना ने अपने अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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कोरोनावायरसकेखिलाफसेना ने देश के विभिन्न हिस्सों में चार हजार से अधिक बेड का इंतजाम कर दिया है। थल सेना से मिली जानकारी के अनुसार जोधपुर, जैसलमेर तथा झांसी में एक-एक हजार लोगों को क्वारंटाइन (पृथक स्थान) पर रखने की व्यवस्था की गई है। जबकि मानेसर, गया तथा बिनागुड़ी में तीन-तीन सौ लोगों को रखने के इंतजाम किए गए हैं। उधमपुर में एक हजार लोगों को क्वारंटाइन करने की तैयारी है।
तीन से दस लाख प्रतिदिन खर्च कर रही सेना
इसके अलावा सेना, नौसेना तथा वायुसेना के सभी अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाने, रोगियों की पहचान के लिए अलग से ओपीडी शुरू करने तथा नमूने एकत्र करने की व्यवस्था भी की जा रही है। सेना ने जहां-जहां भी क्वारंटाइन सुविधाएं विकसित की हैं, वहां सेना के चिकित्सा स्टाफ एवं अन्य कर्मी तैनात किए गए हैं।
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एक केंद्र पर 60 से लेकर 100 सैन्यकर्मियों और चिकित्सा स्टाफ को तैनात किया गया है तथा तीन से दस लाख रुपए प्रतिदिन का खर्च सेना इस सुविधा पर कर रही है।
सेना के मानेसर और जैसलमेर केंद्रों पर विदेश से लाए गए लोगों को रखा जा रहा है। इन केंद्रों पर संदिग्ध रोगियों को 14 दिन चिकित्सा निगरानी में रखा जाता है और अंत में दो बार जांच की जाती है और टेस्ट नेगेटिव आने के बाद मरीजों को घर जाने की अनुमति दे दी जाती है। इसके बाद इन रोगियों को कुछ दिन अपने स्वास्थ्य पर स्वयं निगरानी रखनी होती है।