नई दिल्ली: सीबीआई की रार बुधवार को अपने चरम पर पहुंच गई जब पीएमओ को सीधे हस्तक्षेप करते हुए सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजना पड़ा और छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले के खिलाफ आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।
जहां उनकी याचिका सुनवाई के लिए शुक्रवार को लगी है। सरकार ने एम नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया है। राव ने अपना कार्यभार सम्हाल लिया है। सीबीआई प्रवक्ता ने कहा है कि मुख्यालय का कोई कमरा सील नहीं किया गया है।
आज सुबह से अबतक आलोक वर्मा की पूरी टीम सहित 13 सीबीआई अधिकारी इधर से उधर किये जा चुके हैं। इकोनामिक अफेंस-1 यूनिट के हेड के रुप में अनीश प्रसाद की जगह डीआईजी केआर चौरसिया को लाया गया है। डीआईजी स्पेशल यूनिट अनीश प्रसाद जिन्होंने अपने अपने अधिकारियों की जांच शुरू की थी उन्हें सीबीआई की प्रशासनिक शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया है।
राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच कर रहे डीआईजी मनोज सिन्हा का तबादला नागपुर किया गया है।अस्थाना के खिलाफ जांच करने वाले सीबीआई की एसी-3 यूनिट के एसपी एसएस गुर्म का तत्काल प्रभाव से जबलपुर तबादला कर दिया गया है।
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सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण फैसले के खिलाफ जायेंगे कोर्ट
आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजने के फैसले पर सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने जिस तरह से आलोक वर्मा को हटाया है। वह ठीक नहीं है। ये एक तरह से गैर क़ानूनी है। वह इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
एजेंसी ने कहा कि धन शोधन और भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों का सामना कर रहे मांस कारोबारी मोइन कुरैशी ने अपने खिलाफ एक मामले को सलटाने के लिए कथित तौर पर रिश्वत दी थी।
सीबीआई के अनुसार, कुमार ने कुरैशी मामले के गवाह सतीश सना के बयान से छेड़छाड़ कर यह दिखाया है कि उसने यह बयान दिल्ली में 26 सितंबर को दर्ज कराया था। हालांकि जांच में खुलासा हुआ है कि सना उस दिन दिल्ली में नहीं हैदराबाद में था और वह जांच में एक अक्टूबर को शामिल हुआ था।
अस्थाना, कुमार और दो अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज होने के अगले दिन कुमार को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और इस साल अक्टूबर में कम से कम पांच बार रिश्वत ली गई है।
गुजरात काडर के भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के अधिकारी अस्थाना पर कुरैशी मामले में जांच का सामना कर रहे एक व्यापारी से जांच में राहत देने के लिए दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप है। इस मामले की जांच अस्थाना के नेतृत्व में गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा था।
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FIR निरस्त करने के लिए अस्थाना ने किया हाईकोर्ट का रुख
केंद्रीय जांच ब्यूरो के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने मंगलवार को खुद पर लगे रिश्वत के आरोप मामले में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत और एफआईआर को निरस्त करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय की शरण ली। इससे पहले सुबह, सीबीआई के गिरफ्तार उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) देवेंद्र कुमार ने खुद की गिरफ्तारी को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
एफआईआर निरस्त करने को लेकर अदालत की ओर से निर्देश देने की मांग करने वाली अस्थाना और कुमार की याचिकाओं पर उच्च न्यायालय मंगलवार को ही सुनवाई करेगा।कुमार ने अपनी याचिका में अदालत से मामले के संबंध में दस्तावेज मंगवाने का आग्रह किया है।
उन्होंने उच्च न्यायालय से कहा कि मामले की जांच में उनका जबरदस्त रिकार्ड होने के बावजूद उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें फर्जी, तुच्छ और बाद में सोच समझकर मामले में फंसाया गया है।
उन्होंने खुद के विरुद्ध एफआईआर को मामले में अचंभित करने वाली स्थिति बताया और खुद के विरुद्ध शिकायत को अवैध और दुर्भावनापूर्ण बताया।
सीबीआई ने सोमवार को कुमार को अस्थाना के विरुद्ध घूस मामले में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए गिरफ्तार किया था। सीबीआई के अनुसार, धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहे मांस व्यापारी मोइन कुरैशी ने खुद पर चल रहे मामले को निपटाने के लिए उन्हें घूस दी थी।
सीबीआई के अनुसार, कुमार ने कुरैशी मामले में एक गवाह सतीश साना के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया था, जिसमें यह दिखाया गया था कि उसने बयान दिल्ली में 26 सितंबर 2018 को दर्ज कराया था। हालांकि जांच से यह खुलासा हुआ कि साना दिल्ली में उस दिन था ही नहीं। उस दिन वह हैदराबाद में था और 1 अक्टृूबर 2018 को वह जांच में शामिल हुआ था।
एजेंसी ने अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में रविवार को एफआईआर दर्ज की थी। इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया था।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई।
गुजरात कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के अधिकारी अस्थाना पर एक व्यापारी से दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप है, जो कुरैशी मामले में जांच को 'नुकसान' पहुंचाने के तहत जांच के घेरे में है। इस मामले की जांच अस्थाना की अगुवाई में गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) कर रही थी।
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