10 साल में चौथी बार लगा जम्मू कश्मीर में राज्यपाल का शासन

Update:2018-06-20 12:43 IST

नई दिल्ली : मंगलवार 19 जून को बीजेपी के महबूबा मुफ्ती की सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा दिया गया । राज्य में पिछले 10 साल में यह चौथी बार राज्यपाल शासन लगा है। राज्य में पहली बार 1957 में विधानसभा के चुनाव हुए थे और अब तक कुल 8 बार राज्यपाल शासन लग चुका है।

अमेरिका, चीन व्यापार तनाव से दुनियाभर के share बाजारों में गिरावट

पीडीपी और बीजेपी के बीच सवा तीन साल पहले गठबंधन हुआ था। बीजेपी ने मंगलवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से गठबंधन तोड़कर महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। कांग्रेस और पीडीपी ने एकदूसरे के साथ गठबंधन की संभावना से इनकार किया है। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने भी किसी गठबंधन की संभावना से इनकार किया है।

नॉटिंघम वनडे : इंग्लैंड ने रचा इतिहास , खड़ा किया रनों का पहाड़

कब-कब लगा राज्यपाल शासन

पहला 26 मार्च, 1977 से 9 जुलाई 1977

दूसरा 6 मार्च 1986 से 7 नवंबर 1986

तीसरा 19 जनवरी 1990 से 9 अक्टूबर 1996

चौथा 18 अक्टूबर 2002 से 2 नवंबर 2002

पांचवां 11 जुलाई 2008 से 5 जनवरी 2009

छठा 8 जनवरी 2015 से 1 मार्च 2015

सातवां 7 जनवरी 2016 से 4 अप्रैल 2016

आठवां 20 जून 2018 से लागू

1957-1977:पहली बार 1957 में चुनाव। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) को 75 में 68 सीट मिली। बख्शी गुलाम मो. वजीर-ए-आजम बने। 62 में भी नेकां जीती। 1967-72 में कांग्रेस जीती। 1975 में इंदिरा का नेकां के शेख अब्दुल्ला से करार हुआ। कांग्रेस के मीर कासिम ने अब्दुल्ला के लिए कुर्सी छोड़ दी।

1977 में कांग्रेस ने समर्थन वापस लेकर अब्दुल्ला सरकार गिराई। पहली बार राज्यपाल शासन लगा। 1977 के चुनावों में नेकां जीती और शेख अब्दुल्ला दोबारा मुख्यमंत्री बनाए गए। 1982 में शेख अब्दुल्ला के निधन पर बेटे फारूक अब्दुल्ला सीएम बने। कांग्रेस की मदद से अब्दुल्ला के बहनोई गुलाम शाह ने सरकार गिरा दी।

शाह दो साल सीएम रहे। 6 मार्च, 1986 से 7 नवंबर, 1986 तक राष्ट्रपति शासन रहा।

1986 में हुए चुनावों में फिर नेकां जीती और फारूख सीएम बने। 1990 में जगमोहन को राज्यपाल बनाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया। 1996 तक राज्यपाल शासन रहा। 1996 के चुनाव में फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस को सफलता मिली। फारूख तीसरी बार सीएम बने।

शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी को y+ श्रेणी का सुरक्षा कवच

2002 चुनाव में कांग्रेस-पीडीपी की सरकार बनी। मुफ्ती सईद सीएम बने। 3 साल के बाद कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद सीएम बने। पीडीपी ने सरकार गिरा दी। 2008 में हुए चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। नेकां-कांग्रेस की सरकार बनी। उमर अब्दुल्ला सीएम बने।

2014 में चुनाव हुए। 2015 में भाजपा-पीडीपी में गठबंधन। पीडीपी के मुफ्ती सईद फिर सीएम बने। उनके निधन के बाद महबूबा राज्य की पहली महिला सीएम बनी।

बीजेपी ने गठबंधन तोड़ने की दो वजह बताईं है । राम माधव ने कहा, घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ, हिंसा बढ़ रही है। ऐसे माहौल में सरकार में रहना मुश्किल था। रमजान के दौरान केंद्र ने शांति के मकसद से सेना के ऑपरेशन रुकवाए लेकिन बदले में शांति नहीं मिली। जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच सरकार के भेदभाव के कारण भी हम गठबंधन में नहीं रह सकते थे।

रमजान के दौरान सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन रोक दें, इसे लेकर बीजेपी पीडीपी में मतभेद थे। महबूबा के दबाव में केंद्र ने सीजफायर तो किया लेकिन इस दौरान घाटी में 66 आतंकी हमले हुए, पिछले महीने से 48 ज्यादा।

ऑपरेशन ऑलआउट को लेकर भी बीजेपी पीडीपी में मतभेद था। पीडीपी चाहती थी कि केंद्र सरकार हुर्रियत समेत सभी अलगाववादियों से बातचीत करे लेकिन,बीजेपी इसके पक्ष में नहीं थी।

Similar News