Politics: ओमप्रकाश राजभर का नया सियासी दांव, शिवपाल यादव से की गुप्त मुलाकात
वाराणसी: सर्किट हाउस में शिवपाल यादव और ओमप्रकाश राजभर की गुप्त मुलाकात के बाद सियासी गलियारे में हलचल तेज हो गई है। लोकसभा चुनाव के पहले ने इस सियासी मुलाकात के मायने निके जा रहे हैं। सवाल ये है कि क्या ओमप्रकाश राजभर बीजेपी का साथ छोड़, गठबंधन की नाव पर सवाल होंगे। या फिर बीजेपी पर दबाव की रणनीति के तहत ओमप्रकाश ने ये दांव चला है। खैर जो भी हो लेकिन दोनों नेता इस मुलाकात को सिर्फ शिष्ट्राचार भेंट बता रहे हैं।
‘शिवपाल-ओमप्रकाश जिंदाबाद’ के लगे नारे
दरअसल गुरुवार से ही सपा के आला नेताओं का जमावड़ा बनारस में लगा हुआ था। सबसे पहले प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पहुंचे इसके बाद शाम को वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव भी पहुंच गए। बनारस पहुंचते ही सबसे पहले वो मछोदरी स्थित एक बाबा के आश्रम गए। इसके बाद सर्किट हाउस में स्थानीय नेताओं के साथ मीटिंग की। सूत्रों के मुताबिक शिवपाल यादव रात में ही लखनऊ के लिए रवाना होने वाले थे, लेकिन अचानक उनका कार्यक्रम बदल गया और उन्होंने बनारस में ही रुकने का फैसला किया। इसके बाद सुबह उनकी मुलाकात सुभासपा सुप्रीमो ओमप्रकाश राजभर। बताया जा रहा है कि सर्किट हाउस में दोनों ही पार्टियों के समर्थकों ने शिवपाल-ओमप्रकाश जिंदाबाद के नारे भी लगाए।
बीस मिनट तक चली गुप्त मुलाकात
बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं ने सर्किट हाउस में बीस मिनट तक बंद कमरे में बातचीत की। इस दौरान मीडिया से बातचीत में शिवपाल यादव ने इस मुलाकात को महज औपचारिकता बताया। शिवपाल के मुताबिक ओमप्रकाश राजभर भी सर्किट हाउस में रुके थे, लिहाजा मुलाकात होना स्वभाविक है। वहीं ओमप्रकाश राजभर ने भी इस मुलाकात को शिष्ट्राचार भेंट बताया। उन्होंने शिवपाल यादव की तारीफ करते हुए कहा कि जब वो सत्ता में नहीं थे तो शिवपाल यादव ने उनकी काफी मदद की थी। जहां तक गठबंधन में शामिल होने का सवाल है तो इसका कोई प्रश्न नहीं उठता है। बीजेपी के साथ उनका गठबंधन 2024 तक चलेगा।
मुलाकात के बाद अटकलों का बाजार गर्म
सर्किट हाउस में हुई इस सियासी मुलाकात के बाद पूर्वांचल में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। ओमप्रकाश राजभर पहले से ही बीजेपी को आंखें दिखा रहे हैं। कभी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तो कभी शराबबंदी को लेकर ओमप्रकाश राजभर का बागी तेवर जारी है। दोनों ही पार्टियों के बीच रिश्ता बेहद नाजुक मोड़ पर पहुंच चुका है। ऐसे में इस बात की सम्भावना जताई जा रही है कि अगर ओमप्रकाश राजभर गठबंधनका हिस्सा बनते हैं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।
सूत्रों के ओमप्रकाश राजभर फिलहाल सियासी नफे-नुकसान को समझ रहे हैं। अगर गठबंधन ने उन्हें तीन या चार सीट का ऑफर दिया तो ये तय है ओमप्रकाश राजभर का मन बदल भी सकता है। दरअसल शिवपाल और ओमप्रकाश राजभर के बीच रिश्ते बेहतर हैं। गर्दिश के दिनों में शिवपाल यादव ने ओमप्रकाश राजभर की काफी मदद की। ऐसे में अगर शिवपाल यादव, ओमप्रकाश राजभर को गठबंधन में शामिल होने का ऑफर देते हैं तो तस्वीर बदल सकती है।