Hakki Pikki Tribe Culture: भारत में एक खास तरह का गाँव जहाँ गूगल, कॉफ़ी, हाईकोर्ट जैसे नामों के बच्चे रहते है

Hakki Pikki Tribe Culture: भारत के दक्षिण में एक ऐसा गांव है, जहां लोग अपने बच्चों के नाम किसी मशहूर हस्‍ती, मिठाई, चीज के नाम पर शौकिया तौर पर रखते हैं। यहां पर अनिल कपूर भी है, तो गूगल और कॉफी भी।

Update: 2023-05-14 15:39 GMT
हक्की- पिक्की कल्चर (फ़ोटो: सोशल मीडिया)

Hakki Pikki Tribe Culture: क्या आप जानते है कि सोनिया गाँधी अक्सर शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन के साथ खेलती हैं और इतना ही नहीं कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी वास्तव में अच्छे दोस्त हैं। दक्षिण भारत में एक ऐसा गांव है, जहां लोग अपने बच्चों के नाम किसी मशहूर हस्‍ती, मिठाई, चीज के नाम पर शौकिया तौर पर रखते हैं। तो आइए जानते हैं भारत के इस अनोखे गांव और उनकी अनोखी परंपरा के बारे में।

एक दशक पहले शुरू हुई थी नामकरण प्रतिष्ठा

एक दशक पहले हक्‍की पिक्‍की समुदाय द्वारा एक खास नामकरण अनुष्‍ठान शुरू किया गया। ये उनके कई अजीबोगरीब रिवाजों में से एक है, जो गांव में आने वाले किसी भी बाहरी व्‍यक्ति को अचंभे में डाल सकती हैं। माना जाता है कि लगभग चार दशक पहले यह जनजाति जंगलों में रहती थी। लेकिन 1970 के दौरान वन विभाग द्वारा लागू किए गए कड़े कानून के बाद सरकार ने उन्हें बैंगलुरू के पास भाद्रपुर जैसे शहरी क्षेत्र में भेज दिया।

बेंगलुरु के निकट भाद्रपुर गॉव

दक्षिण भारत में स्थित बेंगुलरू के निकट भाद्रपुर गांव अंग्रेजी, कॉफी, बस, अनिल कपूर, हाई कोर्ट, एलिजाबेथ जैसे कई लोगों का घर है। यहां तक कि एक गूगल भी है। जापान का एक भतीजा है जिसका नाम हाई कोर्ट है और मैसूर पाक की एक भाभी है जिसका नाम बैंगलोर पाक है।सुप्रीम कोर्ट, वन बाय टू और अमेरिका सबसे अच्छे दोस्त हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इनमें कांग्रेस और जनता भी है। इनके नामों को देखकर वास्‍तव में लगता है कि इन्होंने शेक्‍सपीयर की किताब 'नामों में क्‍या रखा है' को कुछ ज्यादा ही सीरियस ले लिया है।

पसंद के अनुसार रखते है नाम

भाद्रपुर गांव के निवासियों से पूछा गया तो उन्होंने कहा की उन्हें बॉलीवुड की कुछ मशहूर हस्तियां बहुत पसंद है इसलिए वह उनके नाम के अनुसार अपने बच्चों का नाम रखते हैं। इसी तरह अगर कोई मिठाई पनीर है तो मिठाई के नाम पर अपने बच्चे का नाम रख लेते हैं। यहाँ हर नाम के साथ एक इतिहास जुड़ा हुआ है। हम्‍पी यूनिवर्सिटी के आदिवासी अध्‍ययन विभाग के अनुसार, ये जनजाति राजपूत राजा राणा प्रताप से जुड़ी है। पहले ये लोग अपने बच्चों का नाम नदी या पहाड के नाम पर रखते थे, लेकिन राजनीतिक उथल पुथल और शासन में बदलाव के बाद ये लोग दक्षिण भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में फैल गए।

यहाँ के लोग कुल 14 बोलियाँ बोल सकते हैं

इस समुदाय के लोग कम से कम 14 बोलियाँ बोल सकते हैं। यहाँ की रीती रिवाज एकदम अलग और अजीबोगरीब हैं। यहाँ दहेज लड़की नहीं बल्कि लड़के के परिवार से आता हैं। यहाँ तलाक के समय महिला को पुरुष द्वारा शादी के समय दिया हुआ आधा दहेज वापस करना पड़ता है।

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