क्या है ‘मल्टीपल स्केलेरोसिस’, देर से आती है ‘नींद’ तो पढ़ें ये ‘रिपोर्ट’

Update:2018-07-18 11:24 IST

नई दिल्ली : दुनिया भर में लगभग 23 लाख लोग मल्टीपल स्केलेरोसिस (multiple sclerosis) से प्रभावित हैं। एमएसएसआई (मल्टीपल स्केलेरोसिस से पीड़ित लोगों के लिए काम करनेवाली एक संस्था) के अनुसार, भारत में लगभग 2 लाख लोग मल्टीपल स्केलेरोसिस से पीड़ित हैं। हालांकि भारत में माइग्रेन (migraine), मिर्गी और ब्रेन स्ट्रोक की तरह मल्टीपल स्केलेरोसिस उतना आम नहीं है।

ये है मल्टीपल स्क्लेरोसिस-

‘मल्टीपल स्क्लेरोसिस’ सेंट्रल नर्व्स सिस्टा की बीमारी है जो दिमाग और रीढ़ को प्रभावित करती है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम के कमजोर होने और ‘माइलिन’ कोशिकाओं का बनना बंद होने के कारण होती है। आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों से भी यह बीमारी हो सकती है।

इसमें शरीर के विभिन्न अंग प्रभावित होते हैं। करीब 20 से 50 साल की उम्र के बीच के लोगों को अपना शिकार बनाने वाली इस बीमारी की चपेट में लंबे समय तक रहने से मरीज को विकलांगता का शिकार होना पड़ता है। हालांकि, यह ‘लकवा’ से अलग तरह की बीमारी है।

अमेरिका के लोक स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 30 लाख लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। साल 2015 में इस बीमारी से करीब 20,000 लोगों की मौत हुई थी।

क्यों होती है ये बीमारी-

हमारी आंत के अच्छे बैक्टीरिया हमारी प्रतिरक्षा कोशिकाओं के विकास में मदद करते हैं। ‘मल्टीपल स्क्लेरोसिस’ के मरीजों की आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की कमी हो जाती है, जिसकी वजह से कुछ लोगों में यह बीमारी होती है।

एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) की पहचान करीब पांच साल पहले की जा सकती है क्योंकि इसके मरीजों में तंत्रिका तंत्र विकार जैसे दर्द या नींद की समस्या के इलाज से गुजरने की संभावना ज्यादा होती है। शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र में माइलिन पर हमला होने से एमएस की दिक्कते पैदा होती है।

माइलिन, वसीय पदार्थ है जो इलेक्ट्रिकल संकेतों के तेज संचरण को सक्षम बनाता है। माइलिन पर हमले से दिमाग व शरीर के दूसरे हिस्सों में संचार में बाधा पहुंचती है। इससे दृष्टि संबंधी समस्याएं, मांसपेशियों में कमजोरी, संतुलन व समन्वय में परेशानी होती है।

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