डोनाल्ड ट्रंप के शक की पुष्टि की नोबेल पुरस्कार विजेता जापानी वैज्ञानिक ने

जापान के मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. तास्कू होन्जो ने एक सनसनी खेज खुलासा किया है। उन्होंने मीडिया को स्पष्ट रूप से बताया कि कोरोना वायरस कोई स्वाभाविक रूप से फैला हुआ वायरस नहीं है।

Update:2020-06-07 20:27 IST

 

आर के सिन्हा

टोक्यो: जापान के मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. तास्कू होन्जो ने एक सनसनी खेज खुलासा किया है। उन्होंने मीडिया को स्पष्ट रूप से बताया कि कोरोना वायरस कोई स्वाभाविक रूप से फैला हुआ वायरस नहीं है। यह शुद्ध रूप से एक मानव निर्मित है, जो चीन के वुहान की प्रयोगशाला में बनाया गया है। डॉ. तास्कू होन्जो जो जापान के की टो विश्वविद्यालय में इम्युनिलॉजी एवं जीनोमिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर हैं और जिन्हें 2018 में इम्युनिलॉजी के लिए ही नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

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वैज्ञानिक ने किया ये दावा

प्रोफेसर (डॉ.) होन्जो ने कहा “मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि यह वायरस पूर्णतः मानव निर्मित है और इसका चमगादड़ से कुछ भी लेना देना है ही नहीं! यह झूठ फैलाया जा रहा है कि यह वायरस चमगादड़ों के माध्यम से आया। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। डॉ. तास्कू होन्जो ने बताया कि मैं स्वयं चीन के वुहान में स्थित वायरोलॉजी की प्रयोगशाला में चार वर्षों तक काम कर रहा था और वहां के एक-एक वैज्ञानिक और टेक्नीशियन अच्छी तरह मेरे परिचित हैं। जब यह वायरस फैला तब मैंने वुहान प्रयोगशालाओं में कार्यरत अपने सभी वैज्ञानिक मित्रों में से एक-एक को फोन किया। लेकिन, किसी का फोन भी चालू हालत में नहीं मिला। सबके सब फोन या तो बंद थे या पूरी तरह डेड थे।

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40 साल से कर रहे हैं रिसर्च

मेरे तीन महीने के प्रयास के बाद अब यह पता चल रहा है कि वुहान के ये सारे वैज्ञानिक और टेक्नीशियन अब न तो उस प्रयोगशाला में हैं और न ही इस दुनिया में। यह एक बहुत ही गंभीर बात है। डॉ. तास्कू होन्जो ने कहा कि मैं तो पिछले 40 वर्षों से सिर्फ वायरस और इम्युनोलाजी पर ही शोध कार्य कर रहा हूं। लेकिन, इस 40 वर्षों के रिसर्च के दौरान मैंने ऐसा कोई वायरस देखा ही नहीं जो हर प्रकार के वातावरण और हर प्रकार के तापमान में जीवित रह जाता है। यह एक पहला ऐसा वायरस है जो चीन के तापमान में भी काम कर रहा है और स्विटजरलैंड के बर्फीले इलाकों में भी और मध्य एशिया के रेगिस्तानों में भी। ऐसा संभव हो ही नहीं सकता । क्योंकि, स्वाभाविक वायरस को जीवित रहने के लिए जो कुछ खास शर्तें होती हैं, उनमें तापमान एक बहुत बड़ा नियम होता है।

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नहीं तो, मेरा नोबेल वापस ले सरकार

वायरस के जीवित रहने के लिए न्यूनतम और अधिकतम तापमान लगभग ज्ञात और निश्चित होता है। लेकिन कोविड-19 नाम के इस वायरस में जो चीन के वुहान प्रयोगशाला से फैला। यह तो हर प्रकार के तापमान में जीवित रह रहा है। यह चीन में भी फैला, स्विटजरलैंड में भी, इटली, फ्रांस, जर्मनी, जापान, अफीका, रूस, अमेरिका में भी और भारत में भी। यह कतई संभव ही नहीं है। यह तो तभी संभव हो सकता है कि जब प्रयोगशाला में बनाया गया कृत्रिम वायरस हो, जो कि सुनियोजित ढंग से समाज के विनाश के लिए निर्मित किया गया हो। डॉ. तास्कू होन्जो ने तो यहां तक कहा कि यदि मैं गलत सिद्ध हो जाऊं, चाहे अपने जीवन काल में या मरने के बाद भी, तो मेरा यह अनुरोध होगा कि सरकार मेरा नोबेल पुरस्कार वापस ले लें। मेरा नाम नोवेल पुरस्कार विजेताओं की सूची से काट दें।

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ट्रंप का कहना सही

इतना सख्त बयान और इतनी दृढ़ता से दिया गया बयान किसी नोबेल पुरुस्कार विजेता वैज्ञानिक का, ऐसा स्वाभाविक ही नहीं है और वह जब तब इस पर पूरी तरह हर प्रकार से समझकर निश्चिंत नहीं हो गये होंगे, तब तक तो ऐसा बयान नहीं दिया होगा। इसी तरह फ़्रांस के नोवेल पुरस्कार वैज्ञानिक का भी बयान कुछ दिन पहले ही आ चुका है। तब राष्ट्रपति ट्रम्प का यह कहना कि वुहान प्रयोगशाला में क्या हो रहा था, इसकी जांच कराना चाहते हैं, इसमें गलत क्या है?

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सनसनी खेज तथ्य अभी गुप्त

डॉ. तास्कू होन्जो का प्रोफाइल यदि आप विकिपीडिया में देखें तो ये सैंकड़ों प्रकार के अनुसंधानों से जुड़े रहे हैं और दर्जनों अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं । वैसे भी जापान के लोगों के चरित्र में जरूरत से ज्यादा बात करना होता भी नहीं है। अतः यदि डॉ. तास्कू होन्जो ने ऐसा बयान दिया है तो वे निश्चित रूप से इस कृत्रिम वायरस के इजाद से अत्यंत ही विचलित दिख रहे हैं। उनका यह बयान इस बात को मजबूती प्रदान करता है कि अमेरिका, इंगलैंड, फ़्रांस, जर्मनी, जापान, आदि देशों की खुफिया एजेंसियां जो इस वायरस के कृत्रिम होने के दावे की पुष्टि के लिए अपने अपने स्तर से लगी है, वह सही है। उसमें बहुत सनसनी खेज तथ्य छुपा हुआ है।

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ये है चीन की चाल

आखिर चीन ने ऐसा किया क्यों। कुछ लोग कहते हैं कि चीन खुद अपनी आबादी को कम करना चाहता था। लेकिन, ज्यादातर लोगों का यह कहना है कि चीन को यह बर्दाश्त नहीं था कि अमेरिका विश्व की नम्बर एक की आर्थिक ताकत बनी रहे। चीन चाहता था कि वह किसी न किसी प्रकार से विश्व की पहली ताकत बन जाये इसके लिए चीन ने वर्षों से अनेकों प्रकार के प्रयास भी किये। उदाहरण के तौर पर चीन की सैकड़ों कम्पनियों ने न्यूयार्क के स्टॉक एक्सचेंज में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया और फिर चीन की सरकार ने सुनियोजित ढंग से उन कम्पनियों के शेयर को ऊंचा उठाया और इस जाल में अमेरिका और यूरोप के लाखों निवेशकों को फंसाया। जब चीनी कम्पनियों के शेयरों के भाव ऊंचे हो गये तब अमेरिका और यूरोप के निवेशकों ने उनमें भारी पैसे लगाने शुरू कर दिये, जिससे चीन की कम्पंनियों के माध्यम से चीन में पैसा जाये और चीन समृद्ध हो।

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इसकी जांच कोई बाहरी नहीं किया जा सकता

इससे चीन ने अच्छी खासी आर्थिक प्रगति की भी। लेकिन, अब अमेरिका ने ऐसी कई कम्पनियों का फर्जीवाड़ा पकड़ा और उन कंपनियों के काम को जांचने के लिए अपने विशेषज्ञों को चीन भेजना चाहा। लेकिन, चीन इसके लिए राजी नहीं है। वह कहता है कि हमारे देश की कंपनियों को कोई विदेशी जांच कर ही नहीं सकता। यह तो अजीब बात हुई। क्या आप विदेशों के स्टॉक एक्सचेंज में अपनी कंपनियों का शेयर उल्टे-सीधे भाव पर बेच सकते हैं। पैसा इकट्ठा कर सकते हैं। लेकिन, किसी प्रकार की जांच नहीं करने दे सकते हैं। यह चीन की एक बड़ी चाल है।

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चीन बहुत सारे ऐसे उटपटांग काम करता रहा है और जब आर्थिक जगत में उसकी चोरी पकडी जाती है तो ध्यान बांटने के लिए फिर कुछ न कुछ उल्टा-सीधा काम करता है। जैसे अभी वह नेपाल को भड़का कर काली नदी के उदगम स्थान को ही बदलने के चक्कर में है। आप किसी नदी के उदगम स्थान को कैसे बदल सकते हैं। काली नदी, जो एक प्राचीन काली मंदिर के नीचे की सुरंगनुमा झरने से निकली हई नदी है। सभी जानते हैं अभी भी जहां काली मंदिर विद्यमान है। यदि आप उस मंदिर के जमीन के नीचे झांक कर देख सकते हैं कि नदी की धारा बह रही है और वही धारा बाद में विकसित हो करके पूरे विशाल काली नदी में परिवर्तित होकर भारत और नेपाल को विभाजित करती हुई नीचे की ओर आती है। लेकिन, अब तो नेपाल के नक्शे में वहां के हुक्मरान चीन के इशारे पर यह दिखाना चाहते हैं कि काली नदी का उदगम वहां से नहीं हुआ है।

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वह तो कुमायूं के किसी दूसरे स्थान से हुआ है। जबकि बात यह है कि वहां से एक छोटी नदी निकलती जरूर है, जो नीचे काली नदी में आकर मिल जाती है। लेकिन, चीन अभी तो लद्दाख की सीमा पर भी कुछ तनाव करने के फिराक में है। यही काम उसने वियतनाम के साथ शुरू किया है। यही काम ताइवान के साथ भी चालू है। मतलब यह है कि चीन किसी न किसी तरीके से और किसी न किसी बहाने से अपने को विश्व का नंबर एक देश बनाने के चक्कर में प्रयासरत है। वह संभव हो पायेगा कि नहीं, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा । लेकिन एक बात जरूर है कि डॉ. होन्जो के इस बयान ने पूरे विश्व में खलबली मचा दी है और कोरोना वायरस मानव निर्मित कृत्रिम वायरस है इस पर जांच हो, इसकी मांग अब और ज्यादा पुख्ता होकर उभर गयी है।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं।)

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