सोनिया गांधी का मोदी सरकार पर निशाना, लगाए ये गंभीर आरोप
सोनिया गांधी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है और दबे-कुचले लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है, क्या यही नया राजधर्म है? सोनिया ने हाल ही में सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों को कृषि विरोधी काला कानून बताया।
नयी दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। सोनिया गांधी ने तीन कृषि कानूनों, कोविड-19 महामारी से निपटने, अर्थव्यवस्था की हालत और दलितों के खिलाफ कथित अत्याचार के मामलों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
सोनिया गांधी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है और दबे-कुचले लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है, क्या यही नया राजधर्म है? सोनिया ने हाल ही में सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों को कृषि विरोधी काला कानून बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि हरित क्रांति से अर्जित किये गये फायदों को समाप्त करने की साजिश रची गयी है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश की सरकार देश के नागरिकों के अधिकारों को मुट्ठीभर पूंजीपतियों के हाथें में सौंपना चाहती है।
संगठन में बदलाव के बाद पहली बार महासचिवों और राज्य प्रभारियों की बैठक
कांग्रेस में सांगठनिक स्तर पर बड़े फेरबदल के बाद सोनिया गांधी ने पहली बार महासचिवों और राज्य प्रभारियों की बैठक के साथ अध्यक्षता की। कांग्रेस अध्यक्ष ने हाल ही में पारित कृषि कानूनों को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि भाजपा नीत सरकार ने इन कानूनों से भारत की लचीली कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की बुनियाद पर ही हमला बोला है।
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हरित क्रांति से मिले फायदों को समाप्त करने की साजिश
सोनिया गांधी ने कहा कि हरित क्रांति से मिले फायदों को खत्म करने की साजिश रची गयी है। करोड़ों खेतिहर मजदूरों, बंटाईदारों, पट्टेदारों, छोटे और सीमांत किसानों, छोटे दुकानदारों की रोजी-रोटी पर हमला किया गया है। इस षड्यंत्र को मिलकर विफल करना हमारा कर्तव्य है।
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संविधान और लोकतंत्र पर हमला
सोनिया गांधी ने दावा किया कि संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं पर सोचा-समझा हमला हो रहा है। उन्होंने बैठक में कहा कि कोरोना वायरस महामारी में न सिर्फ मजदूरों को दर-बदर की ठोकरें खाने को मजबूर किया गया, बल्कि साथ-साथ पूरे देश को महामारी की आग में झोंक दिया गया। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हमने देखा कि योजना के अभाव में करोड़ों प्रवासी श्रमिकों का अब तक का सबसे बड़ा पलायन हुआ और सरकार उनकी दुर्दशा पर मूकदर्शक बनी रही।
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