CWC की बैठक से और बढ़ी कलह, सोनिया के लिए आसान नहीं चुनौतियों से निपटना

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सोमवार को हुई बहुप्रतीक्षित बैठक में पार्टी की आंतरिक कलह घटने की जगह और बढ़ गई।

Update:2020-08-24 20:36 IST
सोनिया के लिए आसान नहीं चुनौतियों से निपटना

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सोमवार को हुई बहुप्रतीक्षित बैठक में पार्टी की आंतरिक कलह घटने की जगह और बढ़ गई। जो बैठक पार्टी में पैदा हो रहे मतभेदों को खत्म करने और कलह को शांत करने के लिए बुलाई गई थी, वह बैठक ही कलह का कारण बन गई। बैठक में आरोपों के सियासी तीर चलने के साथ ही खेमेबाजी एक बार फिर तेज होती दिखी।

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सोनिया गांधी ही बनी रहेंगी अंतरिम अध्यक्ष

हालांकि पार्टी में मतभेदों की खबर वायरल होने के बाद डैमेज कंट्रोल करके तूफान को शांत करने की कोशिश की गई मगर कुल मिलाकर एक बात साफ हो गई कि पार्टी में सबकुछ दुरुस्त नहीं चल रहा है। करीब 7 घंटे चली बैठक के बाद तय किया गया कि अभी सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी और 6 महीने के भीतर नए अध्यक्ष का चुनाव कर लिया जाएगा। इस दौरान पार्टी के समक्ष पैदा हुई चुनौतियों से निपटना सोनिया के लिए आसान नहीं होगा।

चिट्ठी लिखने वालों के प्रति दुर्भावना नहीं

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी ने इस्तीफे की पेशकश करने के बाद पार्टी से नया अध्यक्ष चुनने के लिए कहा। उनका कहना था कि मैंने अंतरिम तौर पर अध्यक्ष पद संभाला था और अब पार्टी को पूर्णकालिक अध्यक्ष चुनना चाहिए जो पार्टी को सही दिशा में आगे ले जा सके।

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सोनिया ने पार्टी में बदलाव की मांग को लेकर चिट्ठी लिखने वालों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमें आगे बढ़ने की जरूरत है और जिन्होंने चिट्ठी लिखी है उनके प्रति भी मेरे मन में किसी प्रकार की कोई दुर्भावना नहीं है। सभी लोग कांग्रेस परिवार का हिस्सा है और सभी को मिलकर पार्टी को मजबूत बनाना चाहिए।

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राहुल के बयान पर बिगड़ी बात

सोनिया के बाद बोलने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोनिया से पार्टी की कमान आगे भी संभाले रहने का आग्रह किया और उनके बाद भी कई और नेताओं ने सोनिया से यही आग्रह किया। पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप तब तेज हुआ जब राहुल गांधी ने कुछ नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी की टाइमिंग पर सवाल उठाया।

उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब पार्टी मध्यप्रदेश और राजस्थान में संकट से जूझ रही थी तब कुछ नेताओं ने पार्टी का संकट बढ़ाने वाली चिट्ठी लिखी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राहुल ने यहां तक कहा कि पार्टी नेताओं ने यह सबकुछ भाजपा की मिलीभगत से किया। बाद में राहुल के इस बयान पर बवाल हो गया और पार्टी के वरिष्ठ नेता ही उनके बयान का विरोध करने मैदान में उतर आए।

विरोध पर उतर आए बड़े नेता

विरोध करने वालों में सबसे आगे थे गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल। आजाद ने कहा कि अगर भाजपा से मिलीभगत की बात सच साबित हो जाए तो वे सारे पदों से इस्तीफा दे देंगे। सिब्बल ने भी जिंदगी भर कांग्रेस का झंडा लेकर चलने की दुहाई दी और कहा कि उन्होंने कभी भाजपा से मिलकर कोई काम नहीं किया।

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उन्होंने कहा कि पिछले 30 साल के दौरान मैंने कभी भी किसी भी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में बयान नहीं दिया है। फिर भी हम पर भाजपा के साथ मिलीभगत के आरोप लगाए गए। कुछ देर बाद उन्होंने ट्विटर पर अपना परिचय बदल दिया और कांग्रेस शब्द को भी हटा दिया। दोनों नेताओं के ट्वीट करने के बाद कांग्रेस का संकट और गहरा गया और डैमेज कंट्रोल की कोशिशों की जाने लगीं।

पार्टी ने किसी तरह किया डैमेज कंट्रोल

बाद में पार्टी की ओर से स्पष्ट किया गया कि राहुल ने भाजपा के साथ मिलीभगत जैसी कोई बात ही नहीं कही है। पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल ने भाजपा के साथ मिलीभगत जैसी बात का कोई जिक्र ही नहीं किया। पार्टी के सभी नेताओं को मिलकर भाजपा की चुनौतियों का सामना करना चाहिए।

इसके बाद गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल के तेवर कुछ ठंडे पड़े। कपिल सिब्बल ने अपना ट्वीट डिलीट करने के साथ ही कहा कि राहुल गांधी ने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर बताया है कि उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं कही।

छह महीने में चुना जाएगा नया अध्यक्ष

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक करीब 7 घंटे चली और आखिरकार कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर यही फैसला लिया गया कि सोनिया गांधी ही अभी अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर पार्टी का नेतृत्व करती रहेंगी। हालांकि अभी फैसला किया गया कि 6 महीने के भीतर नया अध्यक्ष चुन लिया जाएगा।

दो धड़ों में बंटी दिख रही पार्टी

दरअसल कांग्रेस का संकट इसलिए बढ़ता जा रहा है क्योंकि नेतृत्व को लेकर पार्टी दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है। निश्चित रूप से पार्टी का बड़ा धड़ा गांधी परिवार के साथ ही खड़ा है मगर एक दूसरा धड़ा भी है जो पार्टी में पूरी तरह बदलाव लाने की मांग कर रहा है। पार्टी के 23 बड़े नेताओं की ओर से हाल ही में सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव करने की मांग की गई थी। चिट्ठी में यह भी कहा गया था कि पिछले चुनावों से साफ है कि युवाओं ने नरेंद्र मोदी को जमकर वोटिंग की। इन नेताओं ने कांग्रेस में फुलटाइम लीडरशिप की मांग करने के साथ ही यह भी कहा कि नेतृत्व की सक्रियता मैदान में दिखनी भी चाहिए।

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आसान नहीं है चुनौतियों से निपटना

पार्टी में बढ़ती आंतरिक कलह को शांत करने के लिए बुलाई गई बैठक से कलह और बढ़ती नजर आ रही है। हालांकि दोपहर में म्यान से निकली तलवारें शाम होते होते एक बार फिर म्यान में चली गई हैं मगर इतना साफ है कि पार्टी में खेमेबाजी काफी तेज हो गई है। पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव तक अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पार्टी में बढ़ती कलह और खेमेबाजी से जूझना होगा। खराब स्वास्थ्य के कारण सोनिया गांधी वैसे भी सक्रिय नहीं हैं और इन चुनौतियों से निपटना उनके लिए आसान काम नहीं होगा।

कांग्रेस की उठापटक पर भाजपा का तंज

कांग्रेस में दिनभर चली उठापटक पर भाजपा ने भी तंज कसा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस में सही बात करने वालों को गद्दार समझा जाता है। इस पार्टी में तलवे चाटने वाले लोग ही वफादार समझे जाते हैं। जिस पार्टी की ऐसी स्थिति हो गई हो, उसे कोई नहीं बचा सकता।

मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि गांधी- नेहरू परिवार का राजनीतिक वर्चस्व खत्म हो चुका है। अब इस परिवार का अस्तित्व ही संकट में है। मध्य प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को यह सच्चाई समझनी चाहिए कि कांग्रेस उस स्कूल की तरह है जहां सिर्फ हेडमास्टर के बच्चे ही क्लास में टॉप करते हैं।

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