दिल्ली चुनाव: तो अब स्थानीय मुद्दों पर ही दांव लगायेगी भाजपा

निर्वाचन आयोग द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही अब सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुट गए है। दिल्ली में मुुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच माना जा रहा है।

Update: 2020-01-20 15:50 GMT

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: निर्वाचन आयोग द्वारा दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही अब सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुट गए है। दिल्ली में मुुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच माना जा रहा है।

इधर, कई राज्यों में सत्ता गंवाने के बाद भाजपा अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। भाजपा इस बार न केवल स्थानीय चेहरे बल्कि स्थानीय मुद्दों पर ही चुनाव लड़ने की तैयारी में है।

दरअसल, भाजपा रणनीतिकार 2017 के निकाय चुनाव में 272 सीटों में से 181 सीटों की मिली बंपर जीत और उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सात सीटे जीतने के बाद आश्वस्त है कि विधानसभा चुनाव में भी दिल्ली की जनता उसके साथ रहेगी। फिर भी अन्य राज्यों के चुनाव में हुई चूक को वह दिल्ली में दोहराना नहीं चाहती है।

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पिछले चुनाव में 'आप' के साथ खड़ी थी जनता

यहां पर बीते दो लोकसभा चुनाव में तो भाजपा को जनता ने पूरी तरह से समर्थन दिया लेकिन विधानसभा में दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी के साथ खड़ी दिखाई दी।

इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के कुछ समय पहले और बाद में हुए राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली हार से पार्टी रणनीतिकारों ने यह तय किया कि इस विधानसभा चुनाव में पार्टी की दिल्ली इकाई पूरी तरह से स्थानीय मुद्दों पर ही चुनाव का माहौल बनायेगी और केजरीवाल सरकार की कमियों को उजागर करने के साथ ही उनके लोकलुभावनें वादों से ज्यादा का वादा करेगी।

इसके साथ ही भाजपा मुख्यमंत्री के तौर पर भी ऐसे ही नेता को आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है जो स्थानीय हो और अरविंद केजरीवाल का सामना कर सकें। भाजपा फिलहाल दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का तोड़ ढूंढने में लगी हुई है।

बीजेपी की तरफ से दिल्ली सीएम के लिए कई चेहरे

इसके लिए भी पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री के तौर पर विजय गोयल, हर्षवर्द्धन, हरदीप सिंह पुरी, प्रवेश वर्मा जैसे कई नाम चल रहे है। कुछ समय पहले तक प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का नाम भी इस चर्चा में शामिल था लेकिन स्थानीय न होने के कारण अब उन्हे इस रेस से बाहर माना जा रहा है।

दिसंबर, 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहली ही बार में दिल्ली की 70 में 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि भाजपा को 32 सीटें हासिल हुई थी और कांग्रेस को आठ सीटे ही मिली थी।

इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई थी लेकिन महज 49 दिन बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था।

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नरेंद्र मोदी के खिलाफ केजरीवाल ने यहां से लड़ा था चुनाव

दिल्ली में मिली सफलता के जोश से लबरेज केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव 2014 में 400 संसदीय क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशी उतार दिए और स्वयं दिल्ली छोड़ नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोकने वाराणसी चले गए। इस चुनाव में केजरीवाल स्वयं तो चुनाव हारे ही दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया।

इसके बाद वर्ष 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने स्थिति का आकलन करते हुए स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा जबकि भाजपा राष्ट्रीय मुद्दों और प्रधानमंत्री बन चुके नरेंद्र मोदी के सहारे चुनाव जीतने की रणनीति अपनायी।

स्थानीय मुद्दों के कारण केजरीवाल दिल्ली का दिल जीत गये और उनकी आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटों पर जीत मिल गई। जबकि केवल तीन सीटों के साथ भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट पर सफलता नहीं मिली थी।

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