मोदी की सुनामी में उत्तराखंड में कई मिथक बह गए
सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशी रिकार्ड मतों के अंतर से जीते। पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने नैनीताल सीट पर दिग्गज कांग्रेस नेता हरीश रावत को 3.40 लाख मतों के अंतर से पटखनी दी जबकि अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे तीरथ सिंह रावत ने पौड़ी गढ़वाल सीट पर बतौर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव लड़ने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता भुवन चंद्र खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूरी को तीन लाख से ज्यादा मतों से हराया।
देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के रथ पर सवार होकर लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में पांचों सीटों को शानदार प्रदर्शन के साथ अपने कब्जे में बरकरार रख सत्ताधारी भाजपा के इतिहास रचने के साथ ही प्रदेश में कई मिथक इस बार ध्वस्त हो गये।
पहली बार, प्रदेश में सत्ता संभाल रही पार्टी भाजपा ने वर्ष 2014 के अपने प्रदर्शन को दोहराते हुए क्लीन स्वीप किया और प्रदेश में पड़े कुल मतों में से 61 फीसदी से ज्यादा वोट उसके पक्ष में गये।
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सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशी रिकार्ड मतों के अंतर से जीते। पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने नैनीताल सीट पर दिग्गज कांग्रेस नेता हरीश रावत को 3.40 लाख मतों के अंतर से पटखनी दी जबकि अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे तीरथ सिंह रावत ने पौड़ी गढ़वाल सीट पर बतौर कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव लड़ने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता भुवन चंद्र खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूरी को तीन लाख से ज्यादा मतों से हराया।
टिहरी से मालाराज्य लक्ष्मी शाह ने तीन लाख से ज्यादा मतों से, हरिद्वार में रमेश पोखरियाल निशंक ने 2.58 लाख और अल्मोड़ा से अजय टम्टा ने 2.32 लाख मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंदियों को मात दी।
इससे पहले कभी प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी। वर्ष 2014 में जब भाजपा ने पांचों सीटें जीती थीं तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। वर्ष 2009 के आम चुनावों में राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को विजय हाथ लगी थी और उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। वर्ष 2004 के आम चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकाल के समय भाजपा के हाथ तीन सीटें लगी थीं जबकि एक सीट कांग्रेस और एक समाजवादी पार्टी ने जीती थी।
टिहरी सीट पर तत्कालीन टिहरी रियासत की महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह की यह लगातार तीसरी जीत है। यहां कहा जाता है कि भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद रहने के दौरान मतदान होने पर टिहरी राजपरिवार के सदस्य को चुनावों में हार का सामना करना पड़ता है। इस बार उत्तराखंड में 11 अप्रैल को मतदान हुआ था जबकि बदरीनाथ के कपाट 10 मई को श्रद्धालुओं के लिये खुले थे।
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प्रदेश बनने के बाद हरिद्वार सीट से किसी भी सांसद के लगातार दो बार नहीं जीत पाने का मिथक भी टूट गया। 2014 में यहां से सांसद चुने गये पूर्व मुख्यमंत्री रमेंश पोखरियाल निशंक ने शानदार तरीके से इस बार दोबारा विजय प्राप्त की।
इस संबंध में एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा, 'इस बार देश में मोदी की सुनामी ऐसी आयी जिसमें सभी मिथक बह गये।'
(भाषा)