इस दिन कमलनाथ का फ्लोर टेस्ट, MP की सत्ता में रहने के लिए देंगे अग्निपरीक्षा

मध्य प्रदेश में सियासती ड्रामा जारी है और इन सब के बीच MP के राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ को विधानसभा पटल पर बहुमत साबित करने के निर्देश दिए गए हैं।

Update: 2020-03-15 03:45 GMT

भोपाल: मध्य प्रदेश में सियासती ड्रामा जारी है और इन सब के बीच MP के राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा मुख्यमंत्री कमलनाथ को विधानसभा पटल पर बहुमत साबित करने के निर्देश दिए गए हैं। जिसके बाद एक बार फिर से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। करीब आधी रात को इसके संबंध में राजभवन से कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री कमनाथ को एक पत्र जारी किया गया है।

राज्यपाल ने अपने पत्र में कहा है कि...

राजभवन से मुख्यमंत्री कमनाथ को जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि उनकी सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है और अब ये सरकार अल्पमत में है। स्थिति काफी गंभीर है और मुख्यमंत्री कमलनाथ को सोमवार 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करें। सदन में ये फ्लोर टेस्ट राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद करवाया जाएगा। वहीं खबर ये भी है कि कांग्रेस राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।

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16 मार्च को शुरू हो रहा विधानसभा सत्र

राज्यपाल ने अपने इस पत्र में ये भी लिखा है कि मुझे खबर मिली है कि 22 विधायकों ने विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा दिया है। उन सभी ने मीडिया को भी इसकी जानकारी दी है। मैंने इस संबंध में मीडिया कवरेज को भी देखा है। राज्यपाल ने कहा है कि 16 मार्च को उनके अभिभाषण के साथ मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है।

16 मार्च को ही पूरा की जाएगी उपरोक्त कार्यवाही

राज्यपाल ने कहा कि उनके अभिभाषण के तुरंत बाद ही सदन में विश्वास मत पर मतदान होगा। राज्यपाल ने ये भी स्पष्ट किया है कि 16 मार्च 2020 को ही उपरोक्त कार्यवाही पूरी की जाएगी। इस दौरान न स्थगन होगा, न देरी की जाएगी और न ही ये प्रक्रिया निलंबित की जाएगी। उन्होंने पत्र में कहा है कि सीएम ने भी अपने 13 तारीख के पत्र में फ्लोर टेस्ट के लिए सहमति जताई थी।

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6 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे हुए स्वीकार

वहीं मध्यप्रदेश में सियासी संकट के बीच बागी हुए 22 कांग्रेसी विधायकों में छह के इस्तीफे शनिवार को स्वीकार कर लिए गए हैं। हालांकि सभी 22 विधायकों ने अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति को भेजे थे।

इन विधायकों के इस्तीफे किए गए स्वीकार

मगर उन्होंने यह तर्क देते हुए इन इस्तीफों को अस्वीकार कर दिया कि उन्हें खुद अध्यक्ष के सामने हाजिर होकर अपना पक्ष रखना होगा। मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायक गोविन्द राजपूत, इमरती देवी, तुलसी सिलावट, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रभुराम चौधरी और प्रद्यम्न सिंह तोमर के इस्तीफे स्वीकार किए हैं।

इससे पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले ये विधायक अपने त्यागपत्र की पुष्टि के लिए शनिवार को भी विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश नहीं हुए। जबकि अध्यक्ष ने इन्हें खुद हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किए थे।

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विधानसभा अध्यक्ष प्रजापति ने कहा, ‘रंग पंचमी होने के बावजूद भी मैंने उनके लिए समय निर्धारित किया। शुक्रवार के सात और शनिवार के छह विधायकों समेत कुल 13 विधायकों को आना था। मगर वे नहीं आए।’ उन्होंने आगे कहा कि विधायकों के कुछ मुद्दे जरूर हैं। जो कागज मुझे मिले हैं, उन्हें लेकर मैं विधायकों को रखने या हटाने पर विचार कर रहा हूं।

विधायकों ने सुरक्षा की मांग की

कांग्रेस के बागी विधायकों ने शनिवार को राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र भेजकर सुरक्षा की भी मांग की है। कांग्रेस के 22 बागी विधायकों में से 19 विधायक बंगलूरू में हैं और सुरक्षा कारणों से वे वापस नहीं आ रहे हैं।

शुक्रवार को बंगलूरू से कांग्रेस के इन विधायकों को भोपाल आना था। विधायक बेंगलुरु हवाई अड्डे पर पहुंच भी गए थे, लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते आखिरी क्षणों में उनका भोपाल आने का कार्यक्रम रद्द हो गया।

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