पुडुचेरी में कांग्रेस का पतन: तमिलनाडु के लिए है बड़ा संदेश, क्या बदल जाएंगे समीकरण

पुडुचेरी में द्रमुक कांग्रेस गठबंधन की असफलता तमिलनाडु के लोगों में इस गठबंधन को लेकर अविश्वास पैदा कर सकती है। इस घटनाक्रम से विभिन्न मोर्चों पर विरोध झेल रही अन्नाद्रमुक को राहत मिलेगी, क्योंकि भाजपा उसके साथ गठबंधन में शामिल है।

Update:2021-02-24 11:41 IST
पुडुचेरी में कांग्रेस का पतन: तमिलनाडु के लिए है बड़ा संदेश, क्या बदल जाएंगे समीकरण

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली: पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार का पतन देखने में एक छोटी सी घटना हो सकती है लेकिन इसके प्रभाव दूरगामी होने का अंदेशा जताया जा रहा है। माना ये जा रहा है कि पुडुचेरी का घटनाक्रम तमिलनाडु में समीकरण साधने के लिए एक प्रयोग है और इससे द्रमुक कांग्रेस गठबंधन को झटका लगना भी तय माना जा रहा है।

तमिलनाडु में चूंकि भाजपा मजबूत स्थिति में नहीं है इसलिए सरकार तो नहीं गिरा पाएगी लेकिन विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार के गिरने का भाजपा को तमिलनाडु में लाभ उठा सकती है। विश्लेषकों का मानना है कि पुडुचेरी की राजनीति काफी हद तक तमिलनाडु से प्रभावित होती है और जहां पर द्रमुक और अन्नाद्रमुक का खासा प्रभाव है। पुडुचेरी का घटनाक्रम द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन में तनाव ला सकता है।

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भाजपा के लिए मददगार साबित हो सकती है ये बात

पुडुचेरी की उप राज्यपाल का भी दायित्व संभाल रही तेलंगाना की राज्यपाल तमिलसाई सुन्दरराजन मूल रूप से तमिलनाडु की हैं और ये बात भाजपा की मददगार हो सकती है। वह तमिलनाडु के लिए भी एक संदेश दे सकती हैं।

गठबंधन को लेकर अविश्वास

एक और बात पुडुचेरी में द्रमुक कांग्रेस गठबंधन की असफलता तमिलनाडु के लोगों में इस गठबंधन को लेकर अविश्वास पैदा कर सकती है। इस घटनाक्रम से विभिन्न मोर्चों पर विरोध झेल रही अन्नाद्रमुक को राहत मिलेगी, क्योंकि भाजपा उसके साथ गठबंधन में शामिल है। भाजपा ने पूरी ताकत तमिलनाडु में झोंक रखी है। दोनों दल विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद कर सकते हैं।

(फोटो- सोशल मीडिया)

क्यों खास है PM मोदी का पुडुचेरी दौरा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुडुचेरी का दौरा इस लिहाज से महत्वपूर्ण है। संभावना यही जतायी जा रही है कि वह तमिलनाडु के लोगों के लिए यहां से एक संदेश दे सकते हैं। एक मार्च को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का पुडुचेरी का दौरा भी इस लिहाज से महत्वपूर्ण है।

पुडुचेरी में कांग्रेस के पांच विधायकों और डीएमके के एक विधायक के इस्तीफा देने के बाद नारायणसामी सरकार अल्पमत में आ गई थी। जबकि दोनो दलों का गठबंधन था। कांग्रेस जब 2016 में विधानसभा चुनाव जीत कर सत्ता में आई थी तो उसके पास कुल 15 विधायक थे साथ ही सहयोगी डीएमके के 4 और एक निर्दलीय उम्मीदवार का साथ था।

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तमिलनाडु में पहली बार एम. करुणानिधि व जयललिताकी अनुपस्थिति में द्रमुक और अन्नाद्रमुक के नए नेतृत्व के बीच चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में वहां की जनता नये नेताओं पर कितना यकीन कर रही है फिलहाल इसका आकलन मुश्किल है।

भाजपा को इस बात का भुगतना पड़ सकता है खामियाजा

भाजपा का पूरा गणित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे, केंद्र की योजनाओं और अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन में बने समीकरणों पर टिका है। हालांकि भाजपा लगातार यह कह रही है कि वह तमिलनाडु में अद्रमुक को बड़ा भाई मान रही है। लेकिन जनता इसे कितना स्वीकारती है यह नतीजे बताएंगे। क्योंकि सरकार विरोधी माहौल होने पर अन्नाद्रमुक के साथ रहने का खमियाजा भाजपा को भी भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में पुडुचेरी का घटनाक्रम असर डालकर समीकरण पलट सकता है।

कांग्रेस के लिए बढ़ सकती हैं मुश्किलें

पुडुचेरी में सरकार का पतन कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा सकता है। वह दबाव में आ सकती है। पार्टी का अंदरूनी असंतोष के एकबार फिर से मुखर हो सकता है। असंतुष्ट खेमा एक बार फिर सक्रिय हो गया है। जिससे चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की परेशानी बढ़ सकती है।

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