हाथरस पीड़िता का सरकारी मुआवजा कम तो पुजारी की मौत पर चुप क्यों हैं राहुल?

लाशों की राजनीति करने वाली पार्टियां एक महीने से भी कम वक्त में देश की जनता के सामने बेनकाब होती दिखाई दे रही हैं। हाथरस में पीड़िता की मौत और सरकारी सहायता पर जिस कांग्रेस पार्टी ने देशव्यापी हंगामा किया।

Update: 2020-10-10 07:26 GMT
राजस्थान में पुजारी की हत्या पर क्यों चुप है राहुल गांधी (social media)

लखनऊ: राजस्थान में मंदिर के पुजारी की पेट्रोल डालकर की गई हत्या के मामले में कांग्रेस पीड़ित को मुआवजा देने के उसी जाल में फंसती नजर आ रही है जो उसने हाथरस में फैलाया था। हाथरस रेप पीड़िता के मामले में सरकारी मुआवजा कम बताने वाली कांग्रेस ने योगी सरकार की ओर से दिए गए मुआवजे को कम बताया और अपनी ओर से लाखों रुपये की मदद की है। अब राजस्थान में मंदिर के पुजारी को जिंदा जला देने का मामला सामने आया तो गहलोत सरकार ने सहायता से हाथ पीछे खींच लिया है। परिवार के सदस्य पुनर्वास की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार और कांग्रेस दोनों ही इससे बेखबर हैं।

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देश की जनता के सामने बेनकाब होती दिखाई दे रही हैं

लाशों की राजनीति करने वाली पार्टियां एक महीने से भी कम वक्त में देश की जनता के सामने बेनकाब होती दिखाई दे रही हैं। हाथरस में पीड़िता की मौत और सरकारी सहायता पर जिस कांग्रेस पार्टी ने देशव्यापी हंगामा किया। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तक सड़क पर उतर आए उसी कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में अनुसूचित जाति के दबंग ने मंदिर के पुजारी को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया।

fire (social media)

राजस्थान सरकार इस नृशंस हत्याकांड में अपनी नाकामी पूरी तरह स्वीकार करने को भी तैयार नहीं दिख रही है जबकि चंद रोज पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाजपा को पीड़ित परिवार की सहायता करने की नसीहत दे रहे थे। अब करौली में जब मंदिर पुजारी परिवार दबंगों के डर से अपने पुनर्वास की मांग कर रहा है तो कांग्रेस सरकार को सांप सूंघ गया है। हाथरस के पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे राहुल और प्रियंका ने उत्तर प्रदेश में सरकार न होने का हवाला देते हुए पार्टी फंड से लाखों रुपये की मदद दी लेकिन आज वही राहुल गांधी पिछले चार दिन के दौरान पीड़ित परिवार के समर्थन में सहानुभूति का एक बयान भी जारी नहीं कर सके हैं।

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दलित उत्पीड़न मामलों में हंगामा करने वालों की इंसानियत भी नींद में

देश के किसी भी कोने में दलित उत्पीड़न का मामला सामने आने पर हंगामा करने वाले संगठन और राजनीतिक दल भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। मानवता की दुहाई देने वाले भी घर से बाहर निकलने के तैयार नहीं हैं। इससे पहले किसी भी मामले में सामाजिक व्यवस्था को लानत भेजने वालों को नहीं दिख रहा है कि किस तरह अनुसूचित जाति के दबंगों ने गांववालों की पंचायत की भी नहीं सुनी और पुजारी को जिंदा जला देने का दुस्साहस किया है।

अखिलेश तिवारी

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