क्या झूठा था विधायक खरीद-फरोख्त का दावा, आखिर SOG ने क्यों बंद कर दिया केस?
यह मामला राजद्रोह की धाराओं के अंतर्गत दर्ज किया गया था। लेकिन अब उसी एसओजी ने 28 दिन तक इस मामले में जांच करने के बाद तीनों एफआईआर यह कहकर बंद कर दी है कि इसमें कोई मामला नहीं बन रहा है।
जयपुर: राजस्थान में विधायक खरीद-फरोख्त का मामला महज आरोप-प्रत्यारोप के बीच उलझकर रह गया है। इसके साथ ही एसओजी के उस दावे पर भी सवाल खड़े हो गये हैं, जिसमें कहा गया था कि ब्यावर में रहने वाले भरत मालानी और उदयपुर के रहने वाले अशोक सिंह कई लोगों के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश कर रहे थे। इस मामले में एसओजी के इंस्पेक्टर के दर्ज कराए गए बयान के आधार पर एसओजी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को नोटिस जारी कर दिया था।
यह मामला राजद्रोह की धाराओं के अंतर्गत दर्ज किया गया था। लेकिन अब उसी एसओजी ने 28 दिन तक इस मामले में जांच करने के बाद तीनों एफआईआर यह कहकर बंद कर दी है कि इसमें कोई मामला नहीं बन रहा है।
स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के वकील संत कुमार ने कोर्ट से कहा है कि इस मामले में हम कोई कार्यवाही नहीं चाहते हैं। कोर्ट ने इसकी इजाजत देते हुए गिरफ्तार आरोपी संजय जैन, भरत मालानी और अशोक सिंह को छोड़ने का आदेश दिया है, हालांकि संजय जैन अभी एंटी करप्शन ब्यूरो में 5 दिन की रिमांड पर हैं, इस वजह से वो अभी रिहा नहीं पाएंगे।
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आखिर क्या है ये पूरा मामला
यहां बता दे कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने राजस्थान हाईकोर्ट से कहा है कि विधायक खरीद –फरोख्त मामले में राजद्रोह का केस नहीं बनता है इसलिए हम राजद्रोह की धाराओं को वापस लेना चाहते हैं।
इससे पहले राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने 10 जुलाई को केस दर्ज किया था कि एक तस्कर का मोबाइल सर्विलांस पर लेने के दौरान उसे राज्य सरकार गिराने की साजिशों के बारे में जानकारी मिली है।
उस वक्त एसओजी ने दावा किया था कि ब्यावर में रहने वाले भरत मालानी और उदयपुर के रहने वाले अशोक सिंह कई लोगों के साथ मिलकर सरकार गिराने की प्लानिंग कर रहे थे।
विधायक खरीद-फरोख्त का ऑडियो जारी होने के बाद सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी की शिकायत पर दो मामले और दर्ज कर लिए गए।
एसओजी ने कई जगह छापेमारी की और संजय जैन को गिरफ्तार कर लिया। इतना ही नहीं इस मामले में एसओजी के इंस्पेक्टर के दर्ज कराए गए बयान के आधार पर एसओजी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को नोटिस जारी कर दिया। यह मामला राजद्रोह की धाराओं के तहत दर्ज किया गया था।
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बीजेपी ने उठाए सवाल
जैसे ही इस मामले की जानकारी बीजेपी को हुई, उसने मुकदमा वापस लेने पर कांग्रेस और एसओजी दोनों पर हमला बोल दिया। बीजेपी का कहना है कि एसओजी ने 24 जगहों पर छापेमारी की और मानेसर और दिल्ली की होटलों में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को भेजकर राजस्थान पुलिस से नौटंकी करवाई।
राजस्थान एसओजी ने हरियाणा पुलिस के डीजीपी तक को जांच में सहयोग के लिए लिखा और अब कह रही है कि मामला ही नहीं बनता है। बीजेपी ने कहा कि निर्दोष लोगों को 1 महीने तक जेल में रखने की सजा किस को मिलनी चाहिए।
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