राज्यपाल को भेजे प्रस्तावों में फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं, गहलोत को था इस बात का डर

राजस्थान में पिछले कई दिनों से चल रही सियासी खींचतान के बीच आखिरकार राज्यपाल कलराज मिश्र ने 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुलाने की अनुमति दे दी है।

Update:2020-07-30 09:49 IST

अंशुमान तिवारी

जयपुर: राजस्थान में पिछले कई दिनों से चल रही सियासी खींचतान के बीच आखिरकार राज्यपाल कलराज मिश्र ने 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुलाने की अनुमति दे दी है। गहलोत कैबिनेट की ओर से भेजे गए चौथे संशोधित प्रस्ताव को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। गहलोत कैबिनेट की ओर से राज्यपाल को भेजे गए प्रस्ताव में फ्लोर टेस्ट का उल्लेख करने से हर बार परहेज किया गया जबकि विधानसभा सत्र बुलाने के पीछे सीएम अशोक गहलोत का मुख्य मकसद विश्वासमत हासिल करना ही है। ऐसे में यह जानना जरूरी है गहलोत सरकार की ओर से राज्यपाल को भेजे गए प्रस्तावों में फ्लोर टेस्ट के उल्लेख से क्यों बचा गया।

ये भी पढ़ें: आधी रात धरने पर बैठे BJP विधायक, पुलिस के खिलाफ हल्लाबोल, ये है वजह

संशोधित चौथे प्रस्ताव को राज्यपाल की मंजूरी

गहलोत कैबिनेट की ओर से विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से बुलाने के संबंध में पहले ही तीन प्रस्ताव राज्यपाल को भेजे जा चुके थे। राज्यपाल ने इन प्रस्तावों को लेकर तमाम सवाल खड़े करते हुए मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। आखिरकार बुधवार को गहलोत सरकार की ओर से संशोधित चौथा प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा गया। इस प्रस्ताव के बाद राज्यपाल ने 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुलाने की अनुमति दे दी है।

इस कारण विश्वासमत का उल्लेख नहीं

सियासी जानकारों का कहना है कि विधानसभा सत्र बुलाने के पीछे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मुख्य मकसद विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर अपनी ताकत दिखाना है मगर सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्तावों में इसका उल्लेख करने से बार-बार बचा गया। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने बहुत सोच समझकर यह कदम उठाया है। दरअसल कांग्रेस को इस बात का डर सता रहा था कि इसका इस्तेमाल गहलोत सरकार को गिराने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए किया जा सकता है। इसी कारण प्रस्ताव में विश्वासमत का उल्लेख करने से बचा गया।

ये भी पढ़ें: कोरोना पर भारत के लिए अच्छी खबर: 10 लाख संक्रमित मरीज हो गए ठीक

सीएम ने बार-बार किया यह दावा

मजे की बात तो यह है कि मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार-बार अपनी सरकार के पास बहुमत होने और उसे साबित करने की बात करते रहे, लेकिन प्रस्ताव में उसका उल्लेख करने से लगातार बचते भी रहे।

कांग्रेस के एक पदाधिकारी का कहना है कि पार्टी को आशंका थी कि फ्लोर टेस्ट की बात कहने पर राज्यपाल कहेंगे कि सरकार अपने बहुमत को लेकर आश्वस्त नहीं है और इसलिए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की जा सकती है। इसी कारण सरकार के प्रस्तावों में फ्लोर टेस्ट का कोई उल्लेख ही नहीं किया गया।

उल्लेखनीय है कि पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के बाद भाजपा गहलोत सरकार के अल्पमत में होने के दावे के साथ ही फ्लोर टेस्ट की मांग करती रही है।

स्पीकर फिर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के बीच विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी एक बार फिर कांग्रेस के बागी विधायकों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। उन्होंने शीर्ष अदालत में नई याचिका दाखिल करके 24 जुलाई के राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। राजस्थान हाईकोर्ट ने 24 जुलाई को सचिन पायलट समेत 19 बागी कांग्रेसी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

ये भी पढ़ें: बाहुबली के डायरेक्‍टर राजामौली मिले कोरोना संक्रमित, परिवार पर आई ये बड़ी खबर

स्पीकर ने दी यह दलील

याचिका में दलील दी गई है हाईकोर्ट का आदेश शीर्ष अदालत के पूर्व के आदेश का उल्लंघन है। याचिका में हाईकोर्ट के आदेश को 1992 में खिटो होलोहन मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के विपरीत बताया गया है। जोशी ने पहले भी हाईकोर्ट के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी मगर बाद में उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली थी।

बसपा ने दायर की हाईकोर्ट में याचिका

उधर बसपा ने अपने छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है। पार्टी की ओर से बुधवार को इस बाबत हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने बताया कि हाईकोर्ट के साथ ही स्पीकर के कार्यालय में भी याचिका दायर की गई है और बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने को चुनौती दी गई है। याचिका में विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने को नियम विरुद्ध बताते हुए उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है।

बागी विधायक भी पहुंचे हाईकोर्ट

कांग्रेस के बागी विधायक भंवरलाल शर्मा ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। राज्य में विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर कथित ऑडियो टेप के मामले में शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। शर्मा का कहना है कि एसओजी ने उन्हें झूठे मामले में फंसाया है और इस एफआईआर को रद्द किया जाना चाहिए।

ये भी पढ़ें: Rafael In India: CM त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जताई ख़ुशी, कही ये बात

Tags:    

Similar News