महाराष्ट्र की उद्धव सरकार में फूट! शिवसेना का कांग्रेस पर तंज, बताया- पुरानी खटिया

महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है। अब बीच सत्ताधारी शिवसेना ने गठबंधन में शामिल सरकार पर हमला बोला है। शिवसेना ने कांग्रेस की तुलना पुरानी खटिया से की है।

Update: 2020-06-16 06:42 GMT

नई दिल्ली: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है। अब बीच सत्ताधारी शिवसेना ने गठबंधन में शामिल सरकार पर हमला बोला है। शिवसेना ने कांग्रेस की तुलना पुरानी खटिया से की है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि खटिया क्यों चरमरा रही है?

सामना में प्रकाशित संपादकीय में कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण और बाला साहेब थोरात पर हमला बोला गया है। संपादकीय में कहा गया है कि कांग्रेस अच्छा काम कर रही है, लेकिन समय-समय पर पुरानी खटिया रह-रह कर कुरकुर की आवाज करती है। संपादकीय में आगे लिखा गया है कि खटिया (कांग्रेस की) पुरानी है, हालांकि इसकी ऐतिहासिक विरासत है। इस पुरानी खटिया पर करवट बदलने वाले लोग भी बहुत हैं। इसलिए यह कुरकुर की आवाज करती है।

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''घर में भाई-भाई में लड़ाई होती है''

सामना में सरकार को नसीहत दी गई है कि मुख्यमंत्री ठाकरे को आघाड़ी सरकार को ऐसी कुरकुराहट को सहन करने के लिए तैयार रहना चाहिए। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात का कुरकुराना संयमित रहते हैं। घर में भाई-भाई में लड़ाई होती है, यहां तो तीन पार्टियों की सरकार है। थोड़ी बहुत तो कुरकुर होगी ही। थोरात ने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलकर बात करेंगे।

संपादकीय में आगे कहा गया है कि उसी खटिया पर बैठे अशोक चव्हाण ने भी एक साक्षात्कार दिया और उसी संयम से कुरकुराए। कहा कि सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन सरकार में हमारी बात को सुना जाए। प्रशासन के अधिकारी नौकरशाही विवाद पैदा करने में लगे हैं। हम मुख्यमंत्री से ही बात करेंगे।

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सामना में आगे कहा गया है कि अब ऐसा तय हुआ कि कुरकुर की आवाज वाली खाट के दोनों मंत्री महोदय मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहने वाले हैं। मुख्यमंत्री उनकी बात को सुनेंगे और फैसला लेंगे, लेकिन कांग्रेस कहना क्या चाहती है? राजनीति की यह पुरानी खटिया क्यों कुरकुरा रही है? हमारी बात सुनो का मतलब क्या है? यह भी सामने आ गया है।

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शरद पवार के पास भी अनुभव

सामना में निशाना साधते हुए कहा गया है कि थोरात और चव्वाण बड़े नेता हैं, इनको सरकार चलाने का बहुत बड़ा अनुभव है, लेकिन उनको यह भी ध्यान होना चाहिए कि इस तरह का दीर्घ अनुभव शरद पवार और उनकी पार्टी के लोगों को भी है। हालांकि कुरकुर या कोई आहट नहीं दिख रही।

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