हाइवे टोल प्लाजा स्थित करोड़ों की बिल्डिंग पर मंडराया ध्वस्तीकरण का खतरा, एनजीटी ने शुरू की सुनवाई, पक्षों से मांगा जवाब
Sonbhadra News: याचिकाकर्ता की तरफ से उठाई गई मांग को दृष्टिगत रखते हुए पक्षों से जवाब मांगा गया है। इस मसले पर दो माह के भीतर जबाब/प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
Sonbhadra News: वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग पर जिले के लोढ़ी स्थित टोल प्लाजा और उससे जुड़े प्रशासनिक एवं आवासीय भवन पर ध्वस्तीकरण का खतरा मंडराने लगा है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की तरफ से गठित संयुक्त समिति की तरफ से इको सेंसिटिव जोन में निर्माण तथा ले आउट के विपरीत किए गए निर्माण की रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद, अब इसके ध्वस्तीकरण को लेकर सुनवाई शुरू हो गई है। याचिकाकर्ता की तरफ से उठाई गई मांग को दृष्टिगत रखते हुए पक्षों से जवाब मांगा गया है। इस मसले पर दो माह के भीतर जबाब/प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। मामले में आगामी 22 अगस्त को सुनवाई की जाएगी। उस दौरान जहां डीएफओ सोनभद्र और डीएम सोनभद्र को उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। वहीं उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग के प्राधिकरण के सीईओ की तरफ से अधिकृत होने वाले अफसर को, सुनवाई के समय वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए, ट्रिब्यूनल का सहयोग करने के लिए कहा गया है।
याचिका में भवन निर्माण को दी गई है चुनौती:
सोनभद्र निवासी अधिवक्ता आशीष चैबे की तरफ से पिछले वर्ष एसीपी टोलवेज की तरफ से लोढ़ी में वाराणसी-शक्तिनगर राजमार्ग से गुजरने वाले वाहनों से टोल टैक्स वसूली और निर्माण को चुनौती देते हुए एनजीटी में याचिका दाखिल की गई थी। दावा किया गया था कि निर्धारित की गई शर्तों का उल्लंघन कर लोढ़ी टोल प्लाजा में करोड़ों की बिल्डिंग खड़ी कर ली गई है। इसका संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने सोनभद्र प्रशासन, वन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त टीम गठित करते हुए मौके का निरीक्षण करने और तथ्यपरक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे।
संयुक्त समिति की जांच में चैंकाने वाले तथ्य आए सामने
टीम की जांच के दौरान जहां स्वीकृत ले आउट/मानचित्र से इतर निर्माण का मामला सामने आया। वहीं डीएफओ कैमूर वाइल्ड लाइफ की तरफ से पूरा निर्माण इको सेंसिटिव जोन में होने की रिपोर्ट दी गई। दोनों तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए पिछले दिनों संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी।
एसीपी टोलवेज ने निर्माण सही होने का किया दावाः
रिपोर्ट और याचिका के प्रतिउत्तर में एसीपी टोलवेज लिमिटेड की तरफ से दाखिल किए गए जवाब में, अब तक उनके निर्माण पर कुछ भी गलत नहीं पाए जाने, पूर्व में इसी तरह के मसले को लेकर दाखिल याचिका में उनके पक्ष में निर्णय आने का हवाला देते हुए, याचिककर्ता की मंशा पर सवाल उठाए गए थे। वहीं याचिककर्ता की तरफ से एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच से संयुक्त समिति की तरफ से दाखिल रिपोर्ट को हवाला देते हुए, टोला प्लाजा को दूसरी जगह शिफ्ट कराने, गलत निर्माण को ध्वस्त करने और संबंधित स्थल पर हो रहे टोल शुल्क पर रोक लगाने की मांग की गई।
एनजीटी ने माना मसला गंभीर, पक्षों से तलब किया जवाब
पिछले सप्ताह एनजीटी में इसकी सुनवाई हुई और समिति की तरफ से आई रिपोर्ट को गंभीर मसला मानते हुए, ध्वस्तीकरण के मसले पर सुनवाई के लिए पक्षों से जवाब तलब कर लिया। साथ ही, डीएफओ और डीम को सुनवाई के समय व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने और उपसा के सीईओ को अधिकृत व्यक्ति के जरिए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई में सहयोग करने के लिए निर्देशित किया गया।