...तो इसलिए 5 को होगा राम मंदिर का भूमिपूजन, इस विद्वान ने बताई सही वजह

कई लोगों का दावा है कि 27, 29, 30 जुलाई या 3 अगस्त को शिलान्यास का मुहूर्त निकाला जा सकता था, ये 5 अगस्त से ज्यादा बेहतर मुहूर्त थे।

Update:2020-07-28 23:46 IST

अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राममंदिर के भूमि पूजन का मुहूर्त 5 अगस्त को निकाला गया है । ये मुहूर्त काशी के प्रख्यात विद्वान आचार्य गणेश्वर शास्त्री ने निकाला है। हालाँकि मुहूर्त को लेकर काफी विवाद हो रहा है और कई संत इसे चुनौती दे रहे हैं। इसी कड़ी में अब मुहूर्त निकालने वाले विद्वान आचार्य गणेश्वर शास्त्री ने बताया है कि भूमि पूजन के लिए 5 अगस्त शुभ क्यों हैं।

5 अगस्त राममंदिर के भूमि पूजन के लिए सबसे शुभ मुहुर्त

दरअसल, कई लोगों का दावा है कि 27, 29, 30 जुलाई या 3 अगस्त को शिलान्यास का मुहूर्त निकाला जा सकता था, ये 5 अगस्त से ज्यादा बेहतर मुहूर्त थे। ऐसे में इन चारों तारीखों और 5 अगस्त के बीच गणेश आपाजी पंचांग के जरिये विश्लेषण कर बताया गया कि सबसे शुभ मुहूर्त 5 अगस्त ही है।

27 जुलाई: कन्यालग्न आने से पहले आ रही भद्रा

27 जुलाई को श्रावणशुक्ल सप्तमी तिथि सोमवार को 9 घटी 1 पल है। चित्रा नक्षत्र 20 घटी 46 पल है। बाद में स्वाती है। सूर्योदय से 9 घटी 1 पल तक मुद्गर योग है।

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इससे सूर्योदय से 5 घटी छोड़नी होगी। उसके बाद 4 घटी शेष रहेगी। क्योंकि 9 घटी 1 पल के बाद भद्रा है। भद्रा में मुहूर्त नहीं मिलता। 5 घटी के बाद 9 घटी तक की जो 4 घटी है, उसमें सिंहलग्न मिलेगा।

सिंहलग्न में लग्नेश सूर्य लग्न से द्वादश में और चतुर्थेश एवं नवमेश मंगल अष्टम में रहेगा। इसलिए यह मुहूर्त नहीं हो सकता। कन्यालग्न आने से पहले भद्रा आती है, जो 35 घटी 57 पल तक है।

भद्रा समाप्त होने पर रात्रि में स्थिरलग्न कुंभ मिलेगा। कुंभलग्न लेने पर लग्नेश शनि द्वादश में रहेगा।

मुहूर्तपारिजात में लिखा है- 'लग्न - 2,3,5,6,9,12 राशि एवं शुभग्रह दृष्ट - युतलग्न।' इसमें 11 संख्या नहीं है। अतः कुंभलग्न परिगणित नहीं है।

इसके बाद रात्रि में कुंभलग्न में मुहूर्त नहीं मिलेगा। रात्रि में 9-21 के बाद मीनलग्न आएगा। उसमें लग्न में पापग्रह मंगल बैठा है और लग्न से अष्टम में चन्द्र रहेगा। इसलिए मीनलग्न नहीं लिया जा सकता। उस दिन सुबह चित्रा नक्षत्र में वृषवास्तुचक्रानुसार नक्षत्रशुद्धि नहीं मिलती।

अतः 27 जुलाई 2020 को मन्दिर निर्माण के लिए मुहूर्त नहीं है।

29 जुलाई: सारसंग्रह अनुसार राजभय

29 जुलाई को श्रावणशुक्ल 10 बुधवार धातृयोग है। इस दिन विशाखा 12 घटी 58 पल है। बाद में अनुराधा है।

विशाखा विहित नक्षत्र न होने से उसमें निर्माणारम्भ नहीं हो सकता। सिंहलग्न में विशाखा रहेगी।

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कन्यालग्न में अनुराधा रहेगी। उस समय अग्निबाण रहेगा।

बाद में तुलालग्न चर होगा। 1-34 के बाद वृश्चिकलग्न में अष्टम में राहु के होने से अष्टमशुद्धि नहीं रहेगी।

लग्नस्थ चन्द्र का दोष रहेगा। 3-51 के बाद धनुर्लग्न आएगा जो पापाक्रान्त है। उसमें अष्टमशुद्धि नहीं मिलेगी। अष्टम में सूर्य, बुध रहेंगे।

द्वादश भाव में चन्द्र जायेगा। अतः धनुर्लग्न को नहीं लिया जा सकता। रात्रि में कुंभलग्न में लग्नेश शनि द्वादश में होगा। अतः उसे नहीं ले सकते।

रात्रि में 9-13 के बाद मीनलग्न आएगा। वह पापाक्रान्त है। अतः उसे नहीं लिया जायेगा।

सम्पूर्ण दिन में दशमी होने से उसमें मन्दिर प्रारम्भ करने पर मुहूर्तपारिजातोद्धृत “दशम्यां तु नृपाद् भयम्” इस ज्योतिः सारसंग्रहवचनानुसार राजभय होगा।

इससे 29 जुलाई को मन्दिर निर्माण मुहूर्त नहीं है।

30 जुलाई: एकादशी होने से विघटन और अशुभ की आशंका

30 जुलाई को श्रावणशुक्ल 11 गुरुवार है। 9 घटी 42 अनुराधा है। उसके बाद ज्येष्ठा है। 9-42 बजे तक अनुराधा है।

9 बजे तक सिंहलग्न रहेगा। उसे लेने पर लग्नेश सूर्य द्वादश में और अष्टम में मंगल जाएंगे।

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अतः सिंहलग्न नहीं लिया जायेगा। कन्यालग्न में प्रथम नवांश मकर का होगा। उसे लेने पर चरांश लेने का दोष होगा।

कुंभनवांश पापनवांश होने से अग्राह्य है। कुंभनवांश प्रारंभ होने पर ज्येष्ठा नक्षत्र आएगा जो अग्राह्य है।

साथ ही एकादशी तिथि होने से मुहूर्तपारिजातोद्धृत “एकादश्यां विघट्टनम्” इस ज्योतिःसारसंग्रहवचन के अनुसार विघटन होगा जो अशुभ है।

इस प्रकार 30 जुलाई को मंदिर निर्माण मुहूर्त नहीं है।

3 अगस्त: अष्टम शुद्धि नहीं, लग्नेश सूर्य द्वादश में

3 अगस्त को श्रावणशुक्ल पूर्णिमा सोमवार है। इस दिन 7 घटी 37 पल भद्रा है। उत्तराषाढा 5 घटी 20 पल है।

बाद में श्रवण है। भद्रा के पश्चात् सिंहलग्न के छोर में मीननवांश को लेने पर सिंहलग्न से षष्ठ में चन्द्र आएगा।

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मुहूर्तपारिजात में कहा है - 'तथा चन्द्रमा 1, 6, 8, 12वें भाव में न हो।' इसके अनुसार सिंहलग्न नहीं ले सकते।

सिंहलग्न में लग्न से अष्टम में मंगल है। अतः अष्टमशुद्धि नहीं है। साथ ही लग्नेश सूर्य द्वादश में जायेगा जो अशुभ है।

कन्यालग्न में और वृश्चिकलग्न, धनुर्लग्न एवं कुंभलग्न में पौर्णमासी तिथि का दोष है। रात्रि में 8-53 बजे के बाद मीनलग्न में लग्न पापाक्रान्त है। उस समय भाद्रपदकृष्ण प्रतिपदा है।

इस प्रकार 3 अगस्त को भी मंदिर निर्माण मुहूर्त नहीं मिल रहा है।

5 अगस्त को ही शिलान्यास उपयुक्त

आचार्य द्वविड़ ने स्पष्ट किया कि 5 अगस्त को कन्यालग्न की जगह तुलालग्न में शिलान्यास होना चाहिए।

उस दिन पूर्णिमान्त भाद्रपदकृष्ण और अमान्त श्रावणकृष्ण द्वितीया बुधवार है। सुबह धनिष्ठा नक्षत्र है। अनन्तर शततारका नक्षत्र है।

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कन्यालग्न में लग्न से षष्ठ स्थान में (कुम्भ में) चन्द्र है और केन्द्र में पापग्रह (मंगल, राहु, शनि, केतु) हैं।

मुहूर्त पारिजात में कहा है 'लग्न – 2, 3, 5, 6, 9, 12 राशि और शुभग्रह दृष्ट – युत लग्न। जब 3, 6, 11वें भाव में पापग्रह हों, शुभग्रह 8, 12वें भाव के सिवा अन्यत्र हों, दशम भाव में सबल सौम्य ग्रह हों और चन्द्रमा 1, 6, 8, 12वें भाव में न हो।'

इसके साथ ही ज्योतिर्विदाभरण में कहा है कि यदि गृहारम्भ के समय सप्तम भाव दुष्ट ग्रह से युक्त हो तो अहंकार के अभ्युदय से गृहकलह होता है।

कन्यालग्न में लग्न से सप्तम में मंगल के होने से ज्योतिर्विदाभरणानुसार कलहकारक होने से 5 अगस्त को कन्यालग्न का मुहूर्त नहीं दिया गया है। उस दिन मन्दिरनिर्माण के मुहूर्त के लिए तुलालग्न दिया गया है। आचार्य ने 5 अगस्त को भूशयन, चन्द्र का पाताल निवास, षोडशवर्ग आदि पर भी स्थिति स्पष्ट की।

पूरा भादो मास पवित्र

इसके पहले श्री राम जन्मभूमि के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने मुहुर्त पर उठे विवादों का जवाब देते हुए कहा था कि सनातन धर्म में मुख्य रूप से दो अवतार माने गए हैं। भगवान राम का अवतार चैत्र माह में होने के कारण यह पुराना माह शुभ माना जाता है।

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वही भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद में हुआ था और इसी कारण संपूर्ण भादो मास पवित्र माना जाता है। इस माह के दौरान किए गए किसी भी कार्य को हानिकारक नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि भूमि पूजन के बाद बिना किसी बाधा के भव्य राम मंदिर जल्दी ही तैयार होगा।

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