इन देशों में दम तोड़ रहा कोरोना, लोगों के शरीर में है ऐसी मजबूती
कोरोना का कुछ यूं असर है कि कुछ देशों में लोगों को दूसरी बीमारियां हो रही हैं। इसके साथ ही अगर कोरोना हो रहा है तो उससे मरने वालों की तादाद ज्यादा हो रही है
नई दिल्ली: कोरोना का कुछ यूं असर है कि कुछ देशों में लोगों को दूसरी बीमारियां हो रही हैं। इसके साथ ही अगर कोरोना हो रहा है तो उससे मरने वालों की तादाद ज्यादा हो रही है। इसके उलट कुछ देशों में कोरोना के मरीज तो कम ही हैं, साथ ही इससे मरने वालों का औसत भी कम है। जिन देशों में ऐसा है, वहां से खास बातें सामने आ रही हैं। उन देशों में कोरोना का कमजोर पड़ने की बड़ी वजह आश्चर्य में डालने वाली है।
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विटामिन की कमी की भूमिका अहम
ऐसे देशों में लोगों ने अपने शरीर को जमकर विटामिन डी दिया। यही वजह रही कि वहां कोरोना का संक्रमण काफी कम हुआ। यह भी कह सकते हैं कि कोरोना इन देशों में कम नुकसान पहुंचा पाया। कोरोना के मामले बढ़ने वाले देशों में इसके उलट मामला पाया गया। वहां पर लोगों में विटामिन डी की कमी या कम उपलब्धता की वजह से कोरोना संक्रमण ज्यादा हो रहा है।
इन देशों का सुरक्षा कवच
जिन देशों में विटामिन डी सुरक्षा कवच बना उनमें डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड नाम शामिल हैं। विटामिन डी से संक्रमण कम होने और मौतों का औसत कम होने वाले इस रिसर्च से स्पष्ट हो रहा है कि हमें कोरोना से राहत मिल सकती है।
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वैज्ञानिकों का दावा
इस बात को यूरोपीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने अध्ययन में सही पाया है। यह रिपोर्ट भी आरयरिश मेडिकल जर्नल में छपी है। वैज्ञानिकों की इस टीम ने दावा किया है कि वे यूरोपीय देश कोरोना वायरस की ज्यादा चपेट में आए, जहां पर लोगों में विटामिन डी की कमी रहती है।
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यूरोपीय देश प्रभावित
ऐसे यूरोपीय देश, जहां के निवासियों में विटामिन डी की कमी पाई जाती है, उनमें इटली, फ्रांस, ब्रिटेन और स्पेन शामिल हैं। वहीं, भारतीय, चीनी और अमेरिकन में विटामिन डी की बहुत ज्यादा कमी पाई जाती है। यही वजह रही कि इन सभी देशों में अब तक लाखों लोग बीमार हुए और लगातार बीमार हो रहे हैं। साथ ही अब तक हजारों-लाखों लोग मारे जा चुके हैं।
भौगोलिक कारण भी अहम
एक बात और है कि विटामिन डी की कमी एशियाई और अश्वेत मूल के लोगों में पाई गई। वैज्ञानिकों की मानें तो आबादी के औसत विटामिन डी के स्तर और कोरोना वायरस मामलों की संख्या के बीच संबंध है। भौगोलिक स्थिति की वजह से फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन में सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें कम पहुंचती हैं, जो विटामिन डी का मुख्य स्रोत हैं। विटामिन डी को पूरा करने के लिए यहां के लोग दूध के उत्पादों पर डिपेंड हैं।
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तो क्या लॉकडाउन भी कारण रहा
वैज्ञानिकों की टीम ने यह पाया कि भारत, चीन समेत उत्तरी गोलार्द्ध के कई दूसरे देशों में साल के शुरुआती महीनों में ठंडक थी। हालांकि संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया। लोग इस दौरान घरों में ही रहे। इससे यह माना जा सकता है कि सूर्य की किरणों के शरीर पर न पड़ने की वजह से लोगों में विटामिन डी की कमी हो गई और कोरोना ने विकट रूप ले लिया।
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