इंदिरा गांधी का हिंदुत्व: हर दौरे पर जाती थीं धार्मिक स्थानों पर, ऐसी थी आस्था

इंदिरा गांधी के बारे में एक बात और कही जाती है कि इंदिरा जब किसी विदेश दौरे पर जाती थीं तो वो उस देश या शहर के धार्मिक स्थानों पर अवश्य जाती थीं।

Update:2020-08-05 13:38 IST

आज का दिन पूरे भारत के इतिहास का एक ऐतिहासिक और खास दिन बनने जा रहा है। आज प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन करेंगे। और इतिहास में प्रधानमंत्री मोदी को इस कार्य के लिए सदैव याद भी किया जाएगा। एक ओर जहां प्रधानमंत्री मोदी भूमि पूजन के लिए अयोध्या पहुंच चुके हैं वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी के ऐसा करते ही देश के अन्य प्रधानमंत्रियों की धार्मिकता की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खासतौर पर याद आती हैं, जो देश में अगर कहीं की यात्रा पर जाती थीं तो उसमें एक मंदिर दर्शन भी आमतौर पर यात्रा कार्यक्रम में शामिल रहता था।

इंदिरा के निवास पर एक पूजा कमरा

अब अगर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन और परिवार पर दृष्टि डालें तो इंदिरा प्रियदर्शिनी जिस घर में पैदा हुईं, वो हिंदुओं का घर था। हालांकि उनके पिता और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू नास्तिक थे। धर्म की बजाए वो वैज्ञानिक दृष्टि पर जोर देते थे। उनकी मां कमला कश्मीरी पंडितों के कौल परिवार से थीं। मां पूरी तरह हिंदू रीतिरिवाजों का पालन करने वाली महिला थीं। जबकि इंदिरा ने खुद एक पारसी फिरोज गांधी से शादी की। लेकिन हमेशा मन और कर्म से हिंदू रीतिरिवाजों का पालन करती रहीं। हालांकि एक प्रधानमंत्री के तौर पर वह हमेशा सेकूलर भारत की पक्षधर रहीं।

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लेकिन इंदिरा के बारे में 20 सालों तक इंदिरा गांधी के डॉक्टर रहे केपी माथुर ने अपनी किताब "द अनसीन इंदिरा गांधी " में लिखा, उन्होंने अपने आधिकारिक प्रधानमंत्री निवास में एक छोटा सा कमरा पूजा के लिए बना रखा था। इस पूजा कक्ष में सभी धर्मों के देवताओं की तस्वीरें थीं। इसमें राम, कृष्ण, क्राइस्ट, बुद्ध, रामकृष्ण परमहंस, अरविंद आश्रम की मां की तस्वीरें शामिल थीं। इंदिरा अपने इस पूजा कक्ष में नियमित तौर पर मैट्स पर बैठकर पूजा अर्चना करती थीं। उनके पूजा कक्ष में आरती के लिए पीतल की थाली थी। जिससे वो आरती करती थीं। इंदिरा अक्सर हवन कराती थीं। किताब में माथुर ने लिखा है, बसंत पंचमी के दिन प्रधानमंत्री आवास के माली को केवल पीले फूल लाने के निर्देश थे।

अपने हर दौरे पर धार्मिक स्थानों पर थीं जाती

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वहीं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बारे में एक बात और कही जाती है कि इंदिरा जब किसी विदेश दौरे पर जाती थीं तो वो उस देश या शहर के धार्मिक स्थानों पर अवश्य जाती थीं। फिर वो चाहे कोई अन्य देश के धार्मिक स्थान हों या फिर भारत के। अपनी इस आदत के चलते इंदिरा देश के लगभग सभी धार्मिक स्थानों और प्रसिद्ध मंदिरों में गईं। इंदिरा की हमेशा ये कोशिश रहती थी कि यदि वो किसी जगह दौरे पर हैं, जहां प्रसिद्ध मंदिर या धार्मिक स्थल हैं, वो वहां जाने का पूरा प्रयास अवश्य करती थीं।

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हालांकि वो कई ऐसे मंदिरों में जरूर नहीं जा पाईं, जहां गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित था। ये शायद अधिक लोगों को न पता हो कि हत्या से ठीक पहले भी इंदिरा गांधी भुवनेश्वर के जगन्नाथ मंदिर गईं थीं। लेकिन पुजारियों ने उन्हें मंदिर में अंदर नहीं आने दिया, क्योंकि उनके अनुसार वो गैर हिंदू थीं।

हमेशा पहनती थीं रूद्राक्ष का माला

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इंदिरा के बारे में ऐसा माना जाता है कि वो आनंदमयी मां को मानती थीं। उन्होंने हरिद्वार में आनंदमयी माता के साथ काफी वक्त बिताया. इंदिरा के बारे में ये भी कहा जाता है कि वो आनंदमयी माता का दिया रूद्राक्ष का माला हमेशा पहने रहती थीं। माना जाता है कि जब वो मथुरा में देवरहा बाबा के दर्शन के लिए गईं तो हाथ उठाकर उन्हें आशीर्वाद दिया।

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जब वो कांची कामकोटी के स्वामी चंद्रशेखर सरस्वती के पास गईं थीं तो उन्होंने दाहिना हाथ उठाया था। इन दोनों संतों से मिलकर उन्होंने ये संदेश ग्रहण किया कि कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ को बनाना चाहिए। इंदिरा जी देश के सभी प्रसिद्ध संतों के पास भी जाकर उनसे आशीर्वाद लेना नहीं भूलती थीं। भाग्य पर उनका अगाध विश्वास था। वो आध्यात्म पर भी भरोसा करती थीं।

राजनीति में धार्मिक कार्ड खेलने की थीं विरोधी

इंदिरा बेशक हिंदू धर्म स्थलों पर नियमित तौर पर जाती थीं। धार्मिक नेताओं और संतों से भी नियमित तौर पर मुलाकात करती थीं। लेकिन इंदिरा की एक सबसे बड़ी खासियत जो उन्हें और नेताओं से अलग करती है वो ये कि इंदिरा सियासत में धार्मिक कार्ड खेलने की घोर विरोध थीं। उनका कहना था, धर्म का हमारे समाज और संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग जरूर है और अहम रोल भी निभाता आया है।

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किन राजनीति में इसकी कोई जगह नहीं है। सभी धर्म बराबर हैं। ऐसा नहीं है कि इंदिरा की आस्था के केंद्र में केवल हिंदू धर्म और इसके धार्मिक स्थान थे बल्कि वो दूसरे धर्मों के पवित्र स्थानों की भी यात्रा करती थीं। हज यात्रियों के लिए सब्सिडी की व्यवस्था उन्हीं के प्रधानमंत्री रहते हुई थी।

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