टीवी सीरियल से संसद तक पहुंचे रामायण और महाभारत के ये आर्टिस्ट

ऐसा नहीं है कि लाकडाउन के कारण ही इन सीरियलों की लोकप्रियता बढी हो, यह सीरियल इसके पहले जब अस्सी और नब्बे के दशक में प्रसारित हुए थें तब भी इसी तरह सडकों में ‘लाकडाउन’ हुआ करता था। इन दोनो टीवी धारावाहिकों की लोकप्रियता का चरम इतना हो गया कि इसके कलाकार लोकसभा और राज्यसभा तक पहुंच गए।

Update:2020-04-04 15:18 IST

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: इन दिनों दूरदर्शन पर सुप्रसिद्व निर्मात निर्देशकों रामानन्द सागर के ‘रामायण’ और बीआर चोपड़ा के ‘महाभारत’ सीरियल का प्रसारण लोकप्रियता के चरम पर है। ऐसा नहीं है कि लाकडाउन के कारण ही इन सीरियलों की लोकप्रियता बढी हो, यह सीरियल इसके पहले जब अस्सी और नब्बे के दशक में प्रसारित हुए थें तब भी इसी तरह सडकों में ‘लाकडाउन’ हुआ करता था। इन दोनो टीवी धारावाहिकों की लोकप्रियता का चरम इतना हो गया कि इसके कलाकार लोकसभा और राज्यसभा तक पहुंच गए।

आईए आज हम आपको बतातें हैं कि ऐसे ही इन टीवी सीरियलों के कलाकारों के बारे में-

सीता (दीपिका चिखालिया)

अस्सी के दशक में कुछ बी ग्रेड की फिल्मों के काम करने वाली दीपिका चिखालिया ने कैरियर संवरते न देख टीवी की दुनिया में कदम रखा तो उन्हे रामानन्द सागर जैसा निर्माता निर्देशक मिल गया जो टीवी सीरियल विक्रम बेताल बना रहे थें। सागर प्रोडक्शन ने दीपिका के भोले भाले और राजसी चेहरा देखकर उन्हे इस सीरियल के कई भागों में रानी की भूमिका दी जिसे उन्होंने सफलता पूर्वक निभाया।

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इसके बाद जब रामानन्द सागर ने धारावाहिक रामायण का निर्माण किया तो सीता की भूमिका दी जिसे दीपिका ने बखूबी निभाया। इसके बाद वह देश भर में बेहद लोकप्रिय हो गयी। इस दौरान देश में अयोध्या आंदोलन जब चरम पर था तो 1991 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उनकी लोकप्रियता का लाभ उठाते हुए दीपिका को बडोदरा से टिकट दिया। जिस पर जनता ने उन्हे अपना सांसद बनाकर लोकसभा भेजा।

हनुमान (दारा सिंह)

कुश्ती से फिल्मों में आने वाले दारा सिंह ने पहले तो नायक के रूप में फिर चरित्र भूमिका निभाने के बाद कई धार्मिक फिल्मों मंे उन्होंने भगवान शंकर का रोल निभाया। दारा सिंह ने कई फिल्मों में अभिनय के अतिरिक्त निर्देशन व लेखन भी किया। इसके बाद उन्होंने जब टीवी की दुनिया मेें कदम रखा तो रामायण के निर्माता निर्देशक रामानन्द सागर ने हनुमान की भूमिका दी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।

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इस भूमिका के कारण वह घर-घर पूजे जाने लगे। उनकी इस लोकप्रियता और भाजपा के प्रति बढते लगाव को देखते हुए अटल सरकार के दौरान उन्हें राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया। वे अगस्त 2003 से अगस्त 2009 तक पूरे छह वर्ष राज्य सभा के सांसद रहे।

रावण (अरविन्द त्रिवेदी)

मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में जन्मे अरविन्द त्रिवेदी गुजराती रंगमंच के मंझे हुए कलाकार रहे हैं। अपने भाई उपेन्द्र त्रिवेदी के साथ उन्होंने गुजराती फिल्मों में खूब काम किया। लेकिन उन्हे अंतर्राष्ट्रीय पहचान तब मिली जब रामायण टीवी सीरियल में ‘रावण’ की भूमिका निभाई। उन्होंने विक्रम और बेताल जैसे सीरियल में भी काम किया। वहीं गुजराती और हिंदी की करीब 250 फिल्मों में काम किया। अरविंद ने रामायण के बाद विश्वामित्र नाम का धाराहवाहिक में भी काम किया। अरविंद त्रिवेदी साल 1991 में गुजरात के साबरगाठा जिले से सांसद चुने गए थे। इन दिनों वह वृद्वावस्था में अपने घर पर ही रहते हैं।

श्रीकृष्ण (नीतिश भारद्वाज)

रामायण के बाद बीआर चोपड़ा प्रोडक्शन के बैनर तले जब टीवी सीरियल महाभारत का प्रसारण शुरू हुआ तो इसके प्रमुख पात्र भगवान श्रीकृष्ण हर किसी के ह्रदय में बस गए। भगवान श्रीकृष्ण की तरह मोहक मुस्कान वाले मराठी रंगमंच के कलाकार और पेशे से डाक्टर नीतिश भारद्वाज को लोग भगवान कृष्ण की तरह पूजने लगे तो भाजपा ने एक बार फिर इस लोकप्रियता को भुनाने में कोई कसर नहीं छोडी और उन्हे 1998 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की तरफ से जमशेदपुर लोकसभा सीट से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया।

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नीतिश की लोकप्रियता का आलम यह रहा कि उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी इंदर सिंह नामधारी को लम्बे अंतर से चुनाव हरा दिया। नीतिश ने टीवी धारावहिक ‘विष्णु पुराण’ और ‘गीता रहस्य’ में भी काम किया।

द्रौपदी (रूपा गांगुली)

बंगाली फिल्मों में काम कर चुकी रूपा गांगुली ने हिन्दी फिल्म साहेब में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया था। इसके बाद उन्होंने बंगाली टेलीविजन के कई सीरियलों में काम किया। इसी बीच उन्होंने हिन्दी टीवी सीरियल गणदेवता में काम किया जिसपर बीआर चोपड़ा की निगाह पड़ी तो उन्होंने उन्हे अपने टीवी सीरियल महाभारत में द्रोपदी का महत्वपूर्ण रोल दिया। इस रोल को निभाते ही उनकी पहचान घर घर पहुंच गयी। द्रौपदी के रोल में रूपा गांगुली ने संवाद अदायगी और एक्टिंग का जीवंत नमूना पेश किया।

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महाभारत में चीरहरण के दृश्य के दौरान सिर झुकाये द्रौपदी जब राजसभा को अपने रूंधे हुए गले से डायलाग बोलती हैं तो उनकी यह अभिनय कला एक इतिहास बन गयी। इसके बाद 2015 में वह राजनीति में आ गयी और 2016 में उन्होंने पश्चिम बंगाल की हावड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन तृणमुल कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मीरतन शुक्ला से वह हार गयी। बाद में उन्हे नवजोत सिंह सिद्वू की रिक्त राज्यसभा सीट से राज्यसभा भेजा गया। इस समय वह राज्य सभा से सांसद हैं।

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