मतुआ समुदाय को रिझाने में जुटी भाजपा, आखिर क्या है शाह के इस एलान का मकसद

शाह ने अपनी इस यात्रा के दौरान परिवर्तन रथयात्रा की शुरुआत करने के साथ ही उत्तर 24 परगना के ठाकुरनगर में एक जनसभा को भी संबोधित किया। इस सभा में मतुआ समुदाय के लोग काफी संख्या में मौजूद थे।

Update: 2021-02-13 05:06 GMT
पीएम नरेंद्र मोदी ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को लेकर ट्वीट करते हुए कहा था, ''विश्वभारती सीखने का एक बेशकीमती केंद्र है।

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को शिकस्त देने के लिए भाजपा मतुआ समुदाय पर डोरे डालने में जुटी हुई है। पार्टी को इस बार के चुनाव में ममता बनर्जी के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़नी है और इस कारण पार्टी मतुआ समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटी हुई है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी गुरुवार को अपने एक दिवसीय बंगाल दौरे के दौरान मतुआ समुदाय को भाजपा के पक्ष में करने का प्रयास किया। शाह ने अपनी इस यात्रा के दौरान परिवर्तन रथयात्रा की शुरुआत करने के साथ ही उत्तर 24 परगना के ठाकुरनगर में एक जनसभा को भी संबोधित किया। इस सभा में मतुआ समुदाय के लोग काफी संख्या में मौजूद थे।

शाह ने किया बड़ा एलान

मतुआ समुदाय के लोगों को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के लागू होने का इंतजार है और इस समुदाय को खुश करने के लिए ही शाह ने एलान किया की कोरोना का कहर थमने और वैक्सीनेशन का काम पूरा होते ही सीएए को लागू किया जाएगा और मतुआ समुदाय से जुड़े लोगों को नागरिकता दी जाएगी।

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मतुआ समुदाय को इसलिए महत्व

पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में मतुआ समुदाय का काफी असर माना जाता है और यही कारण है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा इस समुदाय को काफी महत्व दे रही है। मतुआ समुदाय के बारे में जानकारों का कहना है कि पूर्वी पाकिस्तान से संबंध रखने वाले इस समुदाय के लोग बांग्लादेश के गठन के बाद पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में आ गए थे। इनमें से तमाम लोगों ने भारत की नागरिकता हासिल कर ली है जबकि इस समुदाय के काफी संख्या में लोग अभी भी ऐसे हैं जिनके पास नागरिकता नहीं है।

ममता के घेरने पर शाह का जवाब

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हमलावर ममता सरकार ने इन लोगों की नागरिकता का सवाल उठाते हुए भाजपा सरकार को घेरा था। इस कारण पहले ही माना जा रहा था कि इस यात्रा के दौरान शाह इस बारे में कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। शाह ने ठाकुरनगर की धरती को पवित्र बताते हुए कहा कि मेरा पिछला दौरा रद्द हो गया तो ममता दीदी बहुत खुश हो गईं। मैं ममता दीदी को बता देना चाहता हूं कि अभी अप्रैल तक बहुत समय है और मैं बार-बार पश्चिम बंगाल के दौरे पर आऊंगा। उन्होंने कहा कि मुझे मतुआ समुदाय के लोगों का पूरा ख्याल है और वैक्सीनेशन का काम पूरा होते ही सीएए को लागू किया जाएगा और आप सभी को नागरिकता देने का काम भाजपा सरकार करेगी।

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लोकसभा चुनाव में दिया था भाजपा को समर्थन

पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय को सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यहां लगभग 70 लाख मतुआ समुदाय के लोग रहते हैं। ये लोग सरकार से नागरिकता देने की मांग कर रहे हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान मतुआ समेत अन्य शरणार्थियों ने भाजपा को समर्थन दिया था। ऐसे में राज्य में जल्द ही होने वाले विधानसभा चुनाव में मतुआ समुदाय के समर्थन को काफी महत्व दिया जा रहा है। बीजेपी और टीएमसी दोनों इस समुदाय का समर्थन पाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

50 से अधिक सीटों पर वोट निर्णायक

पश्चिम बंगाल में उत्तर व दक्षिण 24 परगना और नदिया जिले की 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर मतुआ समुदाय की जबर्दस्त पकड़ मानी जाती है। बांग्लादेश से पलायन करके आने वाला यह समुदाय वर्षों से यहां शरणार्थी के रूप में रह रहा है। इस समुदाय का वोट पाने के लिए भाजपा और तृणमूल दोनों दलों में होड़ मची हुई है। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि कौन इनका समर्थन पाने में कामयाब होता है।

पिछले दौरे में शाह ने किया था यह काम

पश्चिम बंगाल में अपने पिछले दौरे के दौरान भी शाह कोलकाता के न्यू टाउन से सटे गौरांगनगर में मतुआ समुदाय के मंदिर पहुंचे थे। यहां पर समुदाय से जुड़े लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया था और मतुआ समुदाय की महिलाओं की ओर से उन पर फूलों की बारिश की गई थी। शाह ने मतुआ समुदाय से जुड़े भाजपा कार्यकर्ता नवीन विश्वास के घर दोपहर का भोजन भी किया था। इससे साफ है कि भाजपा की ओर से मतुआ समुदाय को इस बार के चुनाव में काफी महत्व दिया जा रहा है।

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शाह की घोषणा बड़ी सियासी चाल

प्रदेश भाजपा के कई नेताओं का कहना है कि राज्य में सीएए लागू करने में हो रही देरी से भाजपा को विधानसभा चुनाव के दौरान नुकसान उठाना पड़ सकता है। शरणार्थी वोटर और विशेषता रूप से मतुआ वोट भाजपा के खिलाफ जाने की आशंका भी बनी हुई है। इसी कारण भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी घोषणा की थी कि कोरोना के कारण सीएए को लागू करने में देरी हो रही है।

उनका कहना था कि इसकी प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इसे लागू किया जाएगा। अब गृह मंत्री अमित शाह ने भी हिम्मत वह समुदाय को रिझाने के लिए बड़ी सियासी चाल चली है। अब देखने वाली बात यह होगी कि विधानसभा चुनाव में शाह के इस एलान का असर होता है या नहीं।

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