सबसे बढ़िया बनने की तमन्ना ने ज़ूम को पहुंचा दिया हर आफिस में
आज विश्व में ज़ूम के दफ्तर अमेरिका, आस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंग्डम, फ्रांस, जापान, नीदरलैंड, में फैल चुके हैं। इन सबके पीछे एक चीनी इंजीनियर का विज़न
लखनऊ: लॉकडाउन में दोस्तों, परिवारवालों से ग्रुप वीडियो कॉल करनी हो तो ज़ूम, वर्क फ्राम होम के दौरान आफिस मीटिंग लेनी हो तो ज़ूम, यानी वीडियो कॉल का पर्याय बन गया है ज़ूम। इस ऐप के बारे में कुछ महीने पहले सिर्फ आईटी इंडस्ट्री से जुड़े लोग ही जानते थे। लेकिन कोरोना वायरस फैलने के साथ जैसे लोग घर से काम करने को मजबूर हुये तो दुनिया भर में ज़ूम घर घर में जाना पहचाना नाम हो गया।
ज़ूम का सफर
ज़ूम की जरूरत इतनी बढ़ गई है कि 2 मार्च 2020 से ज़ूम के मोबाइल ऐप इंस्टाल करने वालों की संख्या 728 फीसदी बढ़ी है। पिछले साल की तुलना में अब तक इस एप का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों की संख्या 82 हजार से ज्यादा हो गई है। ज़ूम के शेयर की कीमत कोरोना काल में 100 फीसदी बढ़ चुकी है। आज विश्व में ज़ूम के दफ्तर अमेरिका, आस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंग्डम, फ्रांस, जापान, नीदरलैंड, में फैल चुके हैं। इन सबके पीछे एक चीनी इंजीनियर का विज़न, गर्ल फ्रेंड से दूरी और सबसे बढ़िया प्रोडक्ट बनाने की तमन्ना का हाथ है।
चीन से अमेरिका आए इंजीनियर जिसे ठीक से इंग्लिश बोलना नहीं आता था, उसने कड़ी मेहनत और ग्राहक की सुविधा पर फोकस करके मात्र 49 साल की उम्र में अरबपति बनने का माइलस्टोन हासिल कर लिया। ज़ूम के संस्थापक और सीईओ एरिक युआन ने काफी लंबा सफर तय किया है। एरिक 1997 में बीजिंग से अमेरिका आए और वेबेक्स नाम की एक कंपनी की स्थापना की जो वेब और वीडियो कान्फ्रेंसिंग एप्लिकेशन बनाती थी। जल्द ही ये कंपनी 10 कर्मचारियों से बढ़ कर 800 कर्मचारियों वाली हो गई और दुनिया भर में इसके दफ्तर हो गए।
आईटी की दिग्गज कंपनी सिस्को ने 2007 में 3.2 बिलियन डालर में वेबेक्स को खरीद लिया। एरिक नए मैनेजमेंट में भी वैसे प्रेसिडेंट इंजीनियरिंग बने रहे। वेबेक्स जब तक स्वतंत्र थी तब तक उसमें काम करने की आज़ादी थी, खूब इनोवेशन होते थे। लेकिन सिस्को के अंतर्गत ये आज़ादी छिन गई। इनोवेशन ठप हो गया। घिसे पिटे प्रोडक्टस ही ग्राहकों को बेचे जाते थे। असंतुष्ट एरिक ने 2011 में कंपनी छोड़ दी। उनके साथ 40 अन्य इंजीनियर भी अलग हो गए। और सबने मिल कर ज़ूम की स्थापना कर डाली।
लोगों ने उठाये थे सवाल
जब एरिक ने सिस्को और वेबेक्स को छोड़ कर एक विडियो कान्फ्रेंसिंग सोल्यूशन का काम शुरू करने की ठानी तो सब हैरान रह गए। ये तो सीधे सीधे सिस्को जैसे पहाड़ से टकराने जैसा था। लोग यही कहते थे, तुम पागल हो गए हो क्या? विरोध में तर्क सॉलिड थे – सिस्को के अलावा इस क्षेत्र में माइक्रोसॉफ्ट, अडोबे, सिट्रिक्स और पोलीकॉम जैसी स्थापित कंपनियों के अलावा हाइफाइव, जॉइन मी, ब्लूजीन्स, और विडियो जैसे न्यूकमर भी थे। कंपटीशन तगड़ा था। ऐसे में एरिक ने तय किया कि मार्केट का बेस्ट प्रॉडक्ट दे कर वो आगे निकलेंगे।
एरिक ने अपने दोस्तों से मदद मांगी। निवेशकों ने भी एरिक पर भरोसा किया और इनमें वेबेक्स के पूर्व सीईओ सुब्रा अइय्यर भी शामिल थे। सुब्रा ने एरिक को 30 लाख डालर दिये। एरिक ने अपनी टीम के साथ काम करके एक ऐसा वीडियो कान्फ्रेंसिंग सोल्यूशन निकाला जो भीड़ में सबसे अलग था। ये बहुत कम डेटा पर काम करता था, किसी भी ब्राउज़र पर आराम से चलता था। एक क्लिक में ढेरों लोग आपस में वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर सकते थे। और इसकी कीमत बाकियों की तुलना में बहुत कम थी।
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ये सब हिट फार्मूले साबित हुये। कंपटीशन में आगे निकलने के लिए एरिक की रणनीति बेस्ट प्रोडक्ट के अलावा ऐसा प्रोडक्ट देना था जो ग्राहक को पूरी तरह संतुष्ट करे। ज़ूम की सफलता के बारे में देखा जाए तो इस कंपनी में ग्राहकों का फीडबैक बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके साथ ज़ूम अपने नेट प्रमोटर स्कोर को नियमित रूप से मॉनिटर करती है। इस स्कोर से पता चलता है कि कंपनी किस मुकाम पर है।
फ्री 40 मिनट
ज़ूम की वीडियो कान्फ्रेंसिंग 40 मिनट के इस्तेमाल के लिए एकदम मुफ्त है। 40 मिनट ही क्यों? ज़ूम ने रिसर्च में पाया कि विडियो कान्फ्रेंसिंग के लिए आदर्श अवधि 45 मिनट ही होती है। इसी आधार पर फ्री सेवा तय की गई। ज़ूम एप के फ्री इस्तेमाल से लोग इतना प्रभावित और संतुष्ट हुये कि पेड ग्राहकों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। ज़ूम ने भी आगे बढ़ कर मार्च 2020 में स्कूलों के लिए फ्री सेवा के लिए 40 मिनट की सीमा खत्म कर दी।
ज़ूम का बिजनेस ब्रांड बनाने के लिए खर्चा
2013– 30 लाख लोगों ने ज़ूम वीडियो कान्फ्रेंसिंग की।
2014– 3 करोड़ लोगों ने ज़ूम वीडियो कान्फ्रेंसिंग की।
2015– ये संख्या बढ़ कर 10 करोड़ हो गई।
-2020 (मार्च तक) – 20 करोड़ लोग रोजाना ज़ूम पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर रहे थे।
ज़ूम ने अपना ब्रांड स्थापित करने के लिए पब्लिसिटी में जी खोल के खर्चा किया है। सिलिकॉन वैली की मुख्य सड़कों में ज़ूम ने अनेकों होर्डिंग लगाये। एक–एक होर्डिंग का किराया 50 हजार डालर प्रति माह था। प्रदर्शनियों और इवेंट्स में ज़ूम ने स्टाल लगाए जाते हैं जहां फालतू सजावट पर खर्चा करने की बजाए लोगों को ज़ूम प्रोडक्ट स्वयं इस्तेमाल करने के टॉप प्राथमिकता दी जाती है।
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ज़ूम ने बास्केटबाल की एक टॉप टीम के साथ 2016 में तीन साल का करार किया जिसके तहत टीम को ज़ूम टेक्नालजी के मुफ्त इस्तेमाल के बदले मैच के दौरान ज़ूम के डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए। ब्रांड डेवलपमेंट का नतीजा इसी से नजर आता है कि आज ट्विटर पर ज़ूम के फालोअर की संख्या 10 लाख से भी ज्यादा है।
49 वर्ष की उम्र में अरबपति
इस ज़ूम का आईपीओ आने के साथ एरिक युआन 49 साल की उम्र में अरबपति बन गए। ज़ूम का जब आईपीओ आया तब ज़ूम की सालाना आय 331 मिलियन डालर थी। ज़ूम ही एक ऐसी टेक यूनिकॉर्न कंपनी थी जो अपने आईपीओ के समय प्रॉफ़िट में थी। एरिक अपनी पढ़ाई के दिनों से ही उद्यमी थे। चीन के पूर्वी शांडोंग प्रांत में इंजीनियर माँ-पिता की संतान एरिक जब चौथी कक्षा में थे तब कन्स्ट्रकशन साइट्स से तांबा इकट्ठा करके बेचते थे और पैसा कमाते थे।
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शांडोंग यूनिवर्सिटी ऑफ साइन्स एंड टेक्क्नोलोजी में एरिक ने अप्लाइड मैथेमेटिक्क्स और कंप्यूटर साइन्स की पढ़ाई की और 22 साल की उम्र में जापान में मास्टर्स डिग्री की पढ़ाई के दौरान शादी कर ली। एरिक का हमेशा से मानना था कि वे एक दिन अपनी कंपनी शुरू करेंगे। वे बिल गेट्स से बहुत प्रभावित थे और अमेरिका में टेक्नोलोजी स्टार्टअप लगाना चाहते थे।
गर्ल फ्रेंड से मिला आइडिया
एरिक को अमेरिका का वीज़ा लेने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। जब पहली बार वीज़ा के लिए आवेदन किया तो उनसे कहा गया कि वे इंग्लिश में अपना विजिटिंग कार्ड प्रस्तुत करें। एरिक ने जो इंग्लिश वर्जन दिया उसमें उनको एक कंसल्टेंट बताया गया था। इमिग्रेशन अधिकारी ने गलती से इसे पार्ट टाइम कंट्रैक्टर समझ लिया और वीज़ा अप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी। अगले डेढ़ साल तक उनकी वीज़ा अर्जी आठ बार रिजेक्ट की गई।
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लेकिन एरिक ने तय कर रखा था कि जब तक उनके लिए इमिग्रेशन दफ्तर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद नहीं कर दिये जाते, वे कोशिश करते रहेंगे। अंततः 1997 में एरिक को वीज़ा मिला। जब एरिक चीन में पढ़ाई कर रहे थे तब उनकी गर्ल फ्रेंड दूसरे शहर में अलग कालेज में पढ़ रही थीं। दोनों की मुलाक़ात छह महीने में एक बार हो पाती थी और उसके लिए भी 10 घंटे की ट्रेन यात्रा करनी पड़ती थी। एरिक सोचते थे कि काश ऐसा होता कि एक डिवाइस हो जिसमें एक क्लिक करते ही मैं अपनी दोस्त को देख सकूँ और बात कर सकूँ।
भारत में विरोध
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ज़ूम पर अमेरिका में डेटा सुरक्षा का सवाल उठा था और भारत समेत कई देशों में चिंता प्रगट की गई थी। अब भारत –चीन तकरार के बाद ज़ूम के बहिष्कार का सिलसिला शुरू हो गया है। चीनी एप मान कर इसका विरोध किया जा रहा है हालांकि ज़ूम वस्तुतः एक अमेरिकी कंपनी है। लेकिन विरोधियों का कहना है कि ज़ूम के सीईओ और ज़्यादातर कर्मचारी चीनी हैं इसलिए विरोध जायज है।
नीलमणि लाल