असम-मिजोरम सीमा विवाद: हालात फिर तनावपूर्ण, असम पुलिस पर खुलेआम की फायरिंग, एक घायल
Assam-Mizoram border dispute: असम पुलिस ने मिजोरम सीमा पर खुलेआम फायरिंग की, जिसमें एक व्यक्ति घायल हो गया।
Assam and Mizoram border dispute: असम और मिजोरम के बीच जारी सीमा विवाद और गहराता जा रहा है। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने मिजोरम के अधिकारियों के हवाले से बताया कि असम पुलिस ने मंगलवार को सीमा पर खुलेआम फायरिंग की, जिसमें एक व्यक्ति घायल हो गया। फिलहाल सीमाई क्षेत्र में तनाव बरकरार है।
बता दें कि पिछले महीने ही असम और मिजोरम में पुलिसबलों के बीच सीमा विवाद को लेकर ही हिंसा भड़क उठी। तब तनाव के कारण हुई गोलीबारी में असम पुलिस के कम से कम छह जवानों की मौत हो गई और एक पुलिस अधीक्षक समेत 50 अन्य घायल हो गए। झड़प के बाद दोनों राज्यों के पुलिस बल सीमा पर तैनात किए गए थे। हालांकि, बाद में दोनों राज्यों की सीमा पर सीआरपीएफ को तैनात कर दिया गया था।
असम-मिजोरम का सीमा विवाद 100 साल से पुराना
असम-मिजोरम सीमा विवाद 819.15 वर्ग किमी के जंगल को लेकर है। इसमें असम के जंगलों पर मिजोरम दावा करता आ रहा है।
ब्रिटिश राज में 1875 में इनर लाइन एग्रीमेंट से सीमा तय हुई थी। 1933 में अंग्रेजों ने इसे बदल दिया। अब 1875 का एग्रीमेंट मानें या 1933 का, यह विवाद है। असम से अलग होकर मिजोरम 1972 में केंद्रशासित प्रदेश और 1987 में राज्य बना। दोनों राज्यों की सीमा 164.6 किमी लंबी है। मौजूदा बॉर्डर नॉर्थ-ईस्टर्न एरिया (रीऑर्गेनाइजेशन) एक्ट 1971 के तहत तय हुई थी। पर मिजोरम इसे नहीं मानता, क्योंकि इसे 1933 के नोटिफिकेशन के आधार पर तय किया है।
मिजोरम कहता है कि ब्रिटिश इंडिया ने 1875 में इनर लाइन नोटिफिकेशन के तहत जो बॉर्डर तय की थी, उसे मान्यता दी जाए। असम का कहना है कि 1875 का इनर लाइन नोटिफिकेशन सिर्फ प्रशासनिक उद्देश्य से था, उसे कछार (असम) और लुशाई हिल्स (मिजोरम) की सीमा नहीं माना जा सकता।
समाधान की कोशिशें
1950 में लुशाई हिल्स (मिजोरम) डिस्ट्रिक्ट और असम के बीच बॉर्डर तय करने की कोशिश हुई थी, पर मिजोरम के कुछ लोगों ने असम सर्वे डिपार्टमेंट को आग लगा दी और काम अटक गया। 1994 में पहली बार बॉर्डर विवाद उठा, जब मिजोरम ने असम की रिजर्व फॉरेस्ट पर कब्जे की कोशिश का विरोध किया। इसके बाद 2006, 2018, 2020 और 2021 में इस विवाद पर हिंसा हुई।
मौजूदा स्थिति में भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 9 जुलाई 2021 को दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को बुलाया था, पर बातचीत आगे नहीं बढ़ी। 2020 से पहले की स्थिति को कायम रखने के असम के प्रपोजल पर मिजोरम ने विचार के लिए वक्त मांगा है।