Hijab Controversy : हिजाब फैसले पर भड़का विपक्ष, इस तरह से निकाल रहे अपना गुस्सा
hijab controversy : हिजाब मसले पर हाईकोर्ट के फैसले पर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने अपनी नाराजगी खुले रूप में राखी है।
Hijab Controversy : कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने आज यानी मंगलवार को शिक्षण संस्थानों में हिजाब (Hijab) पहनने के मुद्दे पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने इस मामले में छात्राओं की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, कि 'हिजाब इस्लाम (Islam) के धार्मिक व्यवहार का हिस्सा नहीं है।' इसके बाद राजनीतिक दलों की तरफ से प्रतिक्रिया आने लगी। यहां हम बात करने वाले हैं कि विपक्ष (Opposition) ने इस मुद्दे पर क्या कहा।
कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित तथा जस्टिस जेएम खाजी की तीन सदस्यीय बेंच सभी पक्ष की बतेब सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, कि 'स्कूल यूनिफॉर्म का निर्धारण (prescription) केवल एक उचित प्रतिबंध है। इस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते।
प्रियंका चतुर्वेदी- 'हिजाब कभी भी धर्म का हिस्सा नहीं था
इस संबंध में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में नाम है शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी का। उन्होंने इस मामले पर कहा, 'हिजाब कभी भी 'धर्म' का हिस्सा नहीं था। हिजाब मुद्दे पर बेवजह तूल दिया गया, जिसकी आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने साफ-साफ कहा, इसका मकसद राजनीतिक था, क्योंकि उस वक़्त पांच राज्यों में चुनाव हो रहे थे।'
मनोज झा- यह चुनावी मुद्दा बन गया
इसी मुद्दे पर बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सांसद मनोज झा ने लगभग प्रियंका चतुर्वेदी की बात को ही दोहराया। मनोज झा बोले, पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे थे, तो यह चुनावी मुद्दा बन गया। इसे बस राजनीतिक वजहों से इतना तूल दिया गया।'
महबूबा- एक 'साधारण विकल्प' के अधिकार से वंचित कर रहे
वहीं, कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती( Mehbooba Mufti और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने नाराजगी जाहिर की। महबूबा मुफ्ती ने अपनी भावना को ट्वीट के जरिए जाहिर किया। उन्होंने लिखा, 'हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखने का कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला निराशाजनक है। देश में एक तरफ हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं और दूसरी तरफ हम उन्हें एक 'साधारण विकल्प' के अधिकार से वंचित कर रहे हैं। यह सिर्फ धर्म के बारे में नहीं, बल्कि चुनने की स्वतंत्रता के बारे में है। '
उमर अब्दुल्ला-यह एक मजाक बन गया
इसी मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के लीडर और पूर्व सीए उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने ट्वीट किया। 'कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से बेहद निराश हुआ हूं। उन्होंने लिखा, आप हिजाब के बारे में क्या सोच सकते हैं, यह सिर्फ कपड़ों के बारे में नहीं है। बल्कि, यह एक महिला के अधिकार के बारे में है। जिसके तहत वह कैसे कपड़े पहनना चाहती है। कोर्ट ने इस मूल अधिकार को बरकरार नहीं रखा। यह एक मजाक बन गया।'
'इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता'
कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी सहित अन्य न्यायाधीशों ने कहा, 'हमारी राय है कि मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है।' 'पीठ ने आगे यह भी कहा, कि 'सरकार के पास 5 फरवरी 2022 के सरकारी आदेश जारी करने के अधिकार हैं। इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता।'