रज्जू भैया के नाम पर सैनिक स्कूल खोलने पर अखिलेश ने जताया संदेह
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूर्व सर संघ संचालक प्रो. राजेंद्र सिंह ‘रज्जू भैया‘ के नाम पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बुलंदशहर में करीब 40 करोड़ रुपए की लागत से आर्मी स्कूल खोलने पर संदेह व्यक्त किया है। अखिलेश का कहना है कि जब पहले से सरकारी स्तर पर स्कूल हैं।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूर्व सर संघ संचालक प्रो. राजेंद्र सिंह ‘रज्जू भैया‘ के नाम पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बुलंदशहर में करीब 40 करोड़ रुपए की लागत से आर्मी स्कूल खोलने पर संदेह व्यक्त किया है। अखिलेश का कहना है कि जब पहले से सरकारी स्तर पर स्कूल हैं तो फिर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सैनिक स्कूल की क्या उपयोगिता और आवश्यकता है?
सपा मुखिया ने मंगलवार को कहा कि देश में पांच मिलिट्री स्कूल चल रहे है। इनमें दो राजस्थान में, दो कर्नाटक में और एक हिमाचल प्रदेश में स्थापित है। राजस्थान में अजमेर और धौलपुर में, बेलगाम और बंगलुरू में तथा हिमाचल प्रदेश में चैल में स्कूल हैं। इनके अलावा उत्तर प्रदेश में लखनऊ में तो पहले से एक सैनिक स्कूल है जबकि तीन सैनिक स्कूल सपा सरकार में स्थापित हुए, जो झांसी, अमेठी और मैनपुरी में हैं।
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उन्होंने कहा कि मिलिट्री स्कूलों में जल, थल और नौसेना के प्रशिक्षु जाबांज नौजवान तैयार होते हैं। वे देशभक्ति के भावना से ओतप्रोत होते है। सवाल है जब सरकार इन स्कूलों का संचालन कर रही है तो आरएसएस को अलग से आर्मी स्कूल खोलने की क्या जरूरत पड़ रही है? राष्ट्रीय धारा से अलग सैनिक संस्थान बनाने और चलाने का औचित्य क्या है? अखिलेश ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भूमिका समाज को बांटने की रही है।
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देश की आजादी के आंदोलन में उसकी सिर्फ नकारात्मक भूमिका थी और आज भी आजादी के संग्राम के तत्कालीन मूल्यों और आदर्शों से उसका कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में तय है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने राजनीतिक स्वार्थ साधन के लिए ऐसी संस्था खोलेगा। इस संस्था में माब लिंचिंग और सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के तौर तरीके ही सिखाए जाएंगे। जातियों के बीच नफरत फैलाना भी उसका लक्ष्य है।
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सपा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार के मिलिट्री और सैनिक स्कूलों के मुकाबले अलग से आर्मी स्कूल की स्थापना निश्चय ही पर्दे के पीछे कुछ और ही कारनामा करने की मंशा है। संघ इसका मास्टर माइंड है। इसी के चलते आजाद भारत में सरदार पटेल को संघ पर प्रतिबंध लगाना पड़ा था। प्रतिबंध हटते ही उसने राजनीतिक गतिविधियां जनसंघ और भाजपा के मुखौटे लगाकर शुरू कर दी है। अब वह राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा षडयंत्र करना चाहती है। सेना के मुकाबले संघ की निजी सेना का निर्माण संविधान की खुली अवमानना और राष्ट्रीय स्तर पर विघटनकारी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना होगा।