सड़क पर मौत से जंग लड़ रहा था युवक, सिपाही ने ऐसे बचाई जान

नागरिक संशोधन अधिनियम(CAA) के पारित होने के बाद प्रदेश में भड़की हिंसा में यूपी पुलिस जगह-जगह बदनाम हुई। प्रदेश के कई जिलों में पुलिस ने वर्दी का रौब दिखाते हुए तांडव मचाया।

Update: 2020-01-11 14:30 GMT

अमेठी: नागरिक संशोधन अधिनियम(CAA) के पारित होने के बाद प्रदेश में भड़की हिंसा में यूपी पुलिस जगह-जगह बदनाम हुई। प्रदेश के कई जिलों में पुलिस ने वर्दी का रौब दिखाते हुए तांडव मचाया।

कहीं घरों में लूट का वर्दी के दामन पर धब्बा लगा तो कहीं नाजायज लोगों को पीटने का आरोप। लेकिन पुलिस का ये चेहरा आमतौर से बराबर देखने को मिल जाता है। किंतु सभी पुलिस कर्मी न एक जैसे होते हैं और न उनकी कार्यशैली एक सी। इन्हीं में कुछ फरिश्ता स्वरूप ही होते हैं जों जान लेते नहीं जान बचाते हैं।

अमेठी-दुर्गापुर रोड की घटना

अब अमेठी कोतवाली में तैनात सिपाही राघवेंद्र दूबे को ही ले लिया जाए। पीआरवी 112 में तैनात सिपाही राघवेंद्र का एक वीडियो सामने आया है जो इलाके में चर्चा का विषय बना है। दरअसल मामला ये है के डायल 112 को जितेंद्र सिंह नाम के एक व्यक्ति द्वारा सूचना दी गई के अमेठी-दुर्गापुर रोड स्थित तिवारी पुर के पास एक रोड एक्सीडेंट हो गया है।

घायल युवक खून में लथपथ बुरी तरह तड़प रहा है। इस सूचना के मिलते ही सिपाही राघवेंद्र दूबे ने बाइक स्टार्ट की और साथी को लेकर फौरन जान बचाने के लिए दौड़े।

राघवेंद्र बताते हैं की युवक को घटना स्थल से अस्पताल पहुंचाने के लिए उसने अपने मोबाइल से 108 एंबुलेंस को कॉल लगाई लेकिन काल नहीं लगी। थोड़ी देर में ही राघवेंद्र घटना स्थल पर पहुंच चुके थे, लोगों की भारी भीड़ वहां जमा थी लेकिन लोग तमाशबीन बने थे।

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समय रहते अस्पताल न पहुंचाता युवक तो जा सकती थी जान

ऐसे में राघवेंद्र ने बग़ैर समय गवाएं युवक को उठाया। किसी गाड़ी आदि का इंतेज़ार किए बिना उसने युवक को बाइक पर लादा और सीधे अमेठी सीएचसी लेकर पहुंचा। चोट अधिक होने के चलते यहां डाक्टरों ने प्रथम उपचार के बाद युवक को संजय गांधी हास्पिटल मुंशीगंज रेफर कर दिया।

युवक की पहचान राजू पुत्र रफीक निवासी गंगागंज कोतवाली अमेठी के रूप में हुई। सिपाही राघवेंद्र ने राजू के परिजनों को भी फोन कर घटना से अवगत कराया। राघवेंद्र कहते हैं कि अगर समय रहते युवक को अस्पताल न पहुंचाया गया होता तो अत्याधिक रक्त स्राव से उसकी जान जा सकती थी।

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